Category: विचार

धिक्कार है हिंसक नेतृत्व आत्ममुग्ध रक्षकुल शठ

– यानी चित भी मेरी,पट भी मेरी,अंटा मेरे बाप का!— मृतक कभी आंदोलित नही होते, आंदोलन जीवनदर्शन है , जो आंदोलित नही रहेगा वह मर जायेगा ।– आन्दोलनजीविता, चैत्यन्तता का…

बात विचारों की नही संस्कारो की है।

– किसान आंदोलन से कुछ तो बदलेगा। कितना बदलेगा, ये इस बात पर निर्भर करेगा कि युवा छदम हिंदुत्व, छद्म राष्ट्रवाद की छाया से निकल पाता है या नहीं? –…

मेरा डर उस मध्यम वर्गीय के लिए जो गरीबी की ओर अग्रसर है !

– “जिम्मेदारियां” जिंदगी भर पीछे लगी रहती हैं मध्यम वर्ग के, इनके लिए ही कहा है जिसका कोई नहीं किनारा उसका नाम है जीवन धारा.– ये बड़ा वर्ग है जिसके…

कानून इतना पर्याप्त और सरल होना चाहिए कि इसे किसान समझ सके

आज प्रशासन के सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार इतना व्यापक है कि समानुभूति और सार्वजनिक सेवा का एक मूलभूत मूल्य अस्तित्वहीन है। यहां तक कि सबसे गरीब और कमजोर भी क्षुद्र…

संवाद खत्म और चक्का जाम, हे राम क्या होगा अंजाम ?

-कमलेश भारतीय क्या यही सच है ? सरकार और किसान नेताओं के बीच बात डेडलाॅक और किसान छह को करने जा रहे हैं चक्का जाम । हे राम, क्या होगा…

तो फिर इस देश में राष्ट्रवादी है कौन?

अशोक कुमार कौशिक देश में किसान आंदोलन का मुद्दा बड़े जोर शोर से चल रहा है। कुछ इसे जायज ठहराते हैं तो किसी का मानना है यह गलत है और…

गद्दी खाली करो कि किसान आते हैं …जेपी की वापसी?

–कमलेश भारतीय कभी जननायक जयप्रकाश नारायण ने पटना से प्रदर्शन कर आवाज़ बुलंद की थी इंदिरा गांधी के तानाशाही फैसले के खिलाफ और वह आवाज़ कब देश भर में गूंज…

पुलिसतंत्र या लोकतंत्र

— आंदोलन में लोगों की व्यक्तिगत संपत्तियों को क्षति पहुंचाने का अधिकार किसने दिया— यही जाबांज दिल्ली पुलिस वकील आंदोलन के आगे क्यों विवश हो गई थी?— आमतौर पर पुलिस…

भक्त पता नहीं किस मिट्टी के बने है

— पता नहीं किस सृजनहार ने रचा है इन जाहिलों को,पशु बनाना था,धोखे से इंसान बन गए! — आप सरकार चलाते हैं, देश नही— पहले डिजिटल का नारा दिया और…

सादगी परम विशेषज्ञता है

हृदय की पवित्रता, मानसिक सरलता और आंतरिक संवेदनशीलता हमारी यात्रा के अंतिम साधन बन सकते हैं। मौलिक रूप से, सादगी एक मानसिक स्थिति को इंगित करती है, जिसे फिर जीवन…