— पता नहीं किस सृजनहार ने रचा है इन जाहिलों को,पशु बनाना था,धोखे से इंसान बन गए!

— आप सरकार चलाते हैं, देश नही
— पहले डिजिटल का नारा दिया और अब लोग आदि हो गए तो इंटरनेट बंद कर दिया।

अशोक कुमार कौशिक 

इस लेख में हम दो मुद्दों पर बात करेंगे पहला मुद्दा बीजेपी के कट्टर भक्तों का है और दूसरा मुद्दा है सरकार को लेकर। सोशल मीडिया के कुछ लोगों को देखकर बड़ी घिन आती है अब। पता नहीं किस मिट्टी के बने लोग हैं!पता नहीं किस सृजनहार ने रचा है इन जाहिलों को!पशु बनाना था,धोखे से इंसान बन गए!

मुझे याद नहीं कि इन्होंने पिछले 5-6 सालों में कभी भी ऐसे किसी शख्स को गालियाँ न बकी हों जिसने अपने अधिकारों के लिए सत्ता के अहंकारी दरवाजों के सामने सिर नहीं झुकाया।इन्होनें हर उस शख्स को देशद्रोही,पकिस्तानी कहा है जो सरकार के विरुद्ध खड़ा हुआ,चाहे वो किसान हो या विद्यार्थी।

व्हाटसप के अधकचरा ज्ञान और आईटी सेल की सैकड़ों घटिया तस्वीरों को जहाँ तहां दिन भर चिपकाते ये नमूने सोशल मीडिया में कूड़े के ढ़ेर के समान बिखरे पड़े हैं।

इन्हें खालिस्तानी झंडे और निशाने साहिब में फर्क नहीं पता लेकिन बहस अमरीका के संविधान से लेकर फ्रांस की क्रांति तक सबमें करनी है।

इनकी नजर में राष्ट्र विरोधी पहले केवल मुसलमान हुआ करते थे,आजकल सिख भी हैं और आगे जाने कौन कौन होगा!

इनकी माने तो मोदी जी के कारण आज पाकिस्तान को खाने के लाले पड़े हुए हैं लेकिन फिर भी सिंधु बॉर्डर पर 2 महीने से चल रहा लंगर पाकिस्तान ही चलवा रहा है!

ज़ी,रिपब्लिक,सुदर्शन देख देखकर बेचारों का दिमाग वो कूड़ादान बन चुका है,जिसमें से अब बदबू आने लगी है।

हमने कांग्रेस सरकार के विरुद्ध भी आंदोलन देखें हैं और उस वक्त के क्रांतिकारी रहे अन्ना हजारे से लेकर रामदेव तक का पक्ष भी लिया है लेकिन विरोधी पक्ष को कभी इतनी नीचतापूर्ण बातें लिखते नहीं देखा,जैसी आजकल किसानों और उनके नेता राकेश टिकैत के बारे में लिखीं जा रहीं हैं।

अरे भलेमानुषो! कुछ तो शर्म करो! आज जिस आजाद भारत की खुली हवा में बीस हजार का मोबाइल किये घूम रहे हो वो भी इसी तरह के आन्दोलनों की ही देन है और अगर उस वक्त सभी तुम्हारी ही तरह आंदोलनों और आंदोलनकारी नेताओं को राष्ट्रविरोधी समझ लेते तो आज किसी अंग्रेज के घर झाड़ू पोछा मार रहे होते तुम सब।

वाईस प्रेजिडेंट हिमांशु खरे के अनुसार सरकार ने कोविड के नाम पर पहले से ही डीजल और पेट्रोल की आसमान छूती कीमतों के जरिये खूब कमाई की है। इसके अलावा PM केयर फंड भी बनाया।

इस किसान आंदोलन से मोदी सरकार पहले से ही बैकफुट पर है। इस सरकार के चाटुकार सलाहकार छात्रों, पत्रकारों और किसानों पर हमलों की रोज नई योजना बनाने में व्यस्त हैं । अगर वाकई में सरकार की मनमानी और हठ धर्मिता के चलते  व्यापारी भी धरने पर बैठ गए तो ये सरकार कहां मुहं छिपायेगी?

–  आप सरकार चलाते हैं, देश नही

भाजपा को आपने देश चलाने के लिए सत्ता दी। वे डरे हुए थे कि सरकार चलाना चुनौती है। उन्होंने सरकार चलाने को प्राथमिकता दी। उन्हें यह भान नही रहा कि उनका मुख्य काम देश चलाना था। देश तो 2016 से खड़ा है जड़। देख रहा है टुकुर टुकुर सरकार को चलते हुए, भाजपा को जीतते हुए। देश बार बार बार चुनी हुई सरकार की ओर देखता है। सरकार बेचारी सरकार चलाने को ही देश चलाना समझ बैठी है।

2014 में आपने डिजिटल इंडिया का नारा दिया। आपकी 2021 तक भी डिजिटल इंडिया की तैयारी क्या है?  2016 में आपने नोटबन्दी करके नेट बैंकिंग और डिजिटल पेमेन्ट के लिए बलात बाध्य किया। आज जब लोग गूगल pay और paytm के आदि हो गए हैं तो आप बेशर्मी से पूरे प्रान्त का इंटरनेट बन्द कर देते हैं क्योंकि इंटरनेट से सोशल मीडिया चलता है। सरकार का गुणगान करने वाला टीवी, मीडिया और प्रिन्ट मीडिया की रीढ़ तो दुम में बदल गई है। उनकी तो औकात बची नही सवाल करने की, निष्पक्ष रिपोर्टिंग करने की। सोशल मीडिया आपकी सरकार चलाना मुश्किल कर रहा था तो इंटरनेट ही बन्द कर दिया आपने? 

क्या इंटरनेट पर सिर्फ सोशल मीडिया ही चलता है? कोरोना के समय lockdown करते वक्त क्या आपने बेसिक ढांचा मुहैया करवाया था जनता को? जिस पर जनता के काम काज चलते रहें?  ज़ूम आदि app और निजी सेक्टर के APPS ने एकदम से बेसिक चीजें हमे मुहैया करवाई
आज जब इंटरनेट पर परीक्षाएं हो रही हैं, कक्षाएं लग रही हैं। बैंकिंग हो रही है। iot यानी इंटरनेट ऑफ थिंग्स पर जीवन खड़ा हो गया है, टिकट टैक्सी रेल बस सिनेमा होटल flight सब इंटरनेट से बुक हो रहे हैं जिससे लोग दैनंदिन कार्य करते हैं। और लोगों के चलने से ही देश चलता है। लेकिन आपको देश का पता ही नही है सरकार जी, बकौल कवि, देश कागज पर बना नक्शा नही होता। लोगों का लोगों से लोगो के लिए देश है लेकिन आपको क्या परवाह है। आपको तो सरकार चलानी है। आपकी प्राथमिकता में देश कभी था ही नही। सामदाम दंड भेद आपकी सरकार चलनी चाहिए बननी चाहिए, बचनी चाहिए।

 तमाम टैक्स डिपाजिट, रिटर्न्स , ट्रेडिंग, बैंकिंग, पोस्टल, बिलिंग के लिए इंटरनेट चाहिए। मेडिकल कार्ड, फैमिली id, जैसे 240 काम खुद सरकार इंटरनेट से करती है लेकिन आपको डर है कि लोग दिल्ली सीमा तक न चले जाएं। कुछ हजार लोगों के डर से आपने तमाम हरियाणा को चॉक करके रख दिया। यह हरकत बताती है कि आपको देश चलाना तो नही ही आता आपको सरकार चलाने की तमीज भी नही है। 

डिजिटल इंडिया में देश को बदलना है तो पहले खुद कमिटेड होइए। बेसिक ढांचा ही आप खुद बर्बाद कर देंगे या डिजिटल इंडिया की आत्मा ही आप निकाल लेंगे तो करोड़ो रूपये इस पर खर्च करने का क्या औचित्य, करोड़ो लोगो की डिजिटल इंडिया में लाने के लिए बार बार क्यो विज्ञापन पर करोड़ो रूपये फूंकते हो। 

बेसिक्स समझिये सरकार जी। सरकार चलाने औऱ देश चलाने के बेसिक्स अलग होंगे तो जल्दी जाना पड़ेगा आपको।  देश की कीमत पर सरकार नही चला करती। नरेंद्र भाई मोदी को सब समझाओ बैठकर आप कि देश चलाना औऱ सरकार चलाना में संतुलन साध ले और अपनी पर्सनल ईगो को देश से बड़ी न करे। किसी तानाशाह की ईगो देश से बड़ी नही हो सकती। 

और वैसे भी आप किससे डर रहे हैं। बकौल कवि, आप इस बात से डरते हैं कि जनता जाग न जाये। लेकिन जनता के जागने के तत्व भी आपके क्रियाकलापों मे छिपे हैं।

इसलिए आप को समझना होगा की आंदोलन लोकतंत्र की नींव हैं जिस पर देश का संविधान खड़ा होता है। किसी ने कहा था कि जिस दिन सड़कें सूनी हो जाएँगीं उस दिन संसद आवारा हो जाएगी।क्या तुम एक आवारा संसद और राजशाही से चलने वाला भारत देखना पसंद करते हो..?

अगर नहीं तो आंदोलनों का उपहास उड़ाने की बजाय उसका साथ दो क्योंकि अब अगर यह मुल्क किसी बड़ी ताकत का गुलाम हुआ तो तुममें इतनी कूबत नहीं कि दोबारा गाँधी और सुभाष पैदा कर सको।

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