निर्दलीय सांसद या विधायक  अपने कार्यकाल दौरान किसी राजनीतिक दल में नहीं हो सकता शामिल — एडवोकेट हेमंत 

चंडीगढ़ —  गत दिवस 21 नवंबर 2024 को हरियाणा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष  पंडित मोहन लाल बडोली द्वारा राज्य के सभी 22 जिलों के लिए पार्टी की   नई  सदस्यता अभियान के लिए विभिन्न नेताओं की   जिला पर्यवेक्षक के तौर पर  नियुक्ति की गई है.  इस सूची में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का नाम भी शामिल है जिन्हें अंबाला शहर के पूर्व विधायक असीम गोयल के साथ कुरुक्षेत्र जिले के लिए सह-पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है.  राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और करनाल से मौजूदा लोकसभा सांसद मनोहर लाल, जो केंद्रीय आवास एवं शहरी मामले और बिजली मंत्री भी हैं, को करनाल जिले के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है.  इसके अलावा पार्टी के 2 लोकसभा सांसद कृष्ण पाल गुर्जर (वर्तमान में केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री भी) और चौ. धर्मबीर सिंह को क्रमशः फरीदाबाद और चरखी दादरी जिलों के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है, जबकि 2  राज्यसभा सांसद सुभाष बराला और किरण चौधरी को क्रमशः सिरसा और भिवानी जिलों के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है.वहीं हरियाणा से राज्यसभा के निर्दलीय सांसद कार्तिकेय शर्मा को भी अंबाला जिले के लिए भाजपा की नई  सदस्यता अभियान  के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है, जिस पर गंभीर सवाल उठने आरम्भ हो गए हैं.

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट और संवैधानिक मामलों के जानकार   हेमंत कुमार ने बताया  कि भारत के संविधान की दसवीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(2) (जिसे आमतौर पर दलबदल विरोधी कानून के रूप में जाना जाता है) में प्रावधान है कि सदन का कोई निर्वाचित सदस्य जो किसी राजनीतिक दल द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवार के अलावा किसी अन्य रूप में चुना गया है ( अर्थात जो निर्दलीय के तौर पर चुनाव जीत कर निर्वाचित हुआ हो)  यदि वह ऐसे चुनाव के बाद किसी राजनीतिक दल में शामिल होता है तो उसे सदन का सदस्य होने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा.

हेमंत ने बताया कि अब  इस सबके बीच एक रोचक परन्तु   महत्वपूर्ण कानूनी  पॉइंट  यह है कि हालांकि आज  तक, हरियाणा से निर्दलीय  राज्यसभा सांसद, कार्तिकेय शर्मा, आधिकारिक तौर पर या कहा जाए कि सार्वजनिक रूप से भाजपा में शामिल नहीं हुए हैं, लेकिन अगर वास्तव में ऐसा है, तो क्या और कैसे उन्हें भाजपा पार्टी  की नई  सदस्यता अभियान के लिए  अंबाला जिले के लिए पर्यवेक्षक के तौर पर  नियुक्त किया  जा सकता है, जो कि निस्संदेह भाजपा का मुख्यत: संगठनात्मक कार्यक्रम है, और ऐसी  नियुक्ति किसी और के द्वारा नहीं   बल्कि  भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के आदेश से  और  पार्टी के आधिकारिक लेटरहेड पर जारी एक प्रेस नोट मार्फ़त  की गई हो.  हेमंत ने यह भी बताया कि कार्तिकेय शर्मा, जो जून 2022 में हरियाणा से निर्दलीय राज्यसभा सांसद चुने गए और जो अपने  कार्यकाल के  आरम्भ  से ही केंद्र में सत्तासीन  मोदी सरकार का समर्थन कर रहे हैं, को न तो अप्रैल-मई 2024 में 18वीं लोकसभा आम चुनाव दौरान  हरियाणा राज्य के लिए भाजपा की स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया गया और न ही सितंबर-अक्टूबर 2024 में 15वीं हरियाणा विधानसभा आम चुनाव के लिए ऐसी स्टार प्रचारकों की सूची में उनका नाम शामिल था.

गौरतलब है कि कार्तिकेय शर्मा की माता, शक्ति रानी शर्मा, जो अंबाला नगर निगम की पूर्व मेयर रही  हैं एवं  जो इसी वर्ष  सितंबर में आधिकारिक रूप से भाजपा में शामिल हुईं थी, उन्होंने पंचकूला जिले के कालका विधानसभा क्षेत्र से भाजपा  के टिकट पर चुनाव लड़ा और वहां से विधायक चुनी गईं हैं. कार्तिकेय के पिता विनोद शर्मा, जो पूर्व में कांग्रेस के दिग्गज नेता थे, ने वर्ष 2014 में कांग्रेस छोड़ दी थी  और अपनी स्वयं की  हरियाणा जन-चेतना पार्टी (वी) बनाई थी, जो आज भी  हरियाणा राज्य में एक पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी है एवं इस पार्टी का  आज तक भाजपा में विलय नहीं किया गया है.

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