Category: विचार

राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस 21 अप्रैल 2025-लोक प्रशासन में ईमानदारी, प्रतिबद्धता और निष्पक्षता के मूल्यों को याद करने व संकल्प लेने का दिन

सिविल सर्वेंट को भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने का संकल्प राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस पर लेना ज़रूरी सिविल सेवकों को जनता के प्रति अपनी सेवा में ईमानदारी दक्षता और जवाबदेही…

गरीब बच्चों को दाखिले से वंचित कर रहे कुछ निजी स्कूल: इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह

RTE के तहत दाखिले में आनाकानी, सरकार के आदेशों की खुलेआम अवहेलना गुरुग्राम, 18 अप्रैल। समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने आरोप लगाया है कि गुरुग्राम समेत प्रदेश के कई निजी…

परदेस से मोहभंग: लौटता विश्वास, बदलती दिशा

विदेशी शिक्षा के सपनों से मोहभंग का यथार्थ और भारत में नवाचार की संभावनाएं ✍️ विजय गर्ग(सेवानिवृत्त प्रिंसिपल, मलोट, पंजाब) विदेश जाने की होड़ को लगा विराम बीते वर्ष (2024)…

दुनिया के अखाड़े में टैरिफ का महादंगल: चीन के 125% पर अमेरिका ने लगाया 245% शुल्क

दो आर्थिक महाशक्तियों की जंग में पिसती वैश्विक अर्थव्यवस्था टैरिफ़ वार से ग्लोबल सप्लाई चैन बाधित होने से पूरी दुनियाँ सांसत में!- जो सामान कई देशों के जॉइंट प्रोडक्ट से…

चॉक से चुभता शोषण: प्राइवेट स्कूल का मास्टर और उसकी गूंगी पीड़ा

“प्राइवेट स्कूल का मास्टर: सम्मान से दूर, सिस्टम का मज़दूर” प्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों से उम्मीदें तो आसमान छूती हैं, लेकिन उन्हें न तो उचित वेतन मिलता है, न सम्मान,…

आधी सच्चाई का लाइव तमाशा: रिश्तों की मौत का नया मंच

आजकल लोग निजी झगड़ों और रिश्तों की परेशानियों को सोशल मीडिया पर लाइव आकर सार्वजनिक करने लगे हैं, जहां आधी-अधूरी सच्चाई दिखाकर सहानुभूति बटोरी जाती है। ‘सुट्टा आली’ और ‘मुक्का…

“क्लासरूम से कॉर्पोरेट तक : उच्च शिक्षा और उद्योग के बीच की दूरी”

“डिग्री से दक्षता तक: शिक्षा प्रणाली को उद्योग से जोड़ने की चुनौती” “डिग्री नहीं, दक्षता चाहिए: नई अर्थव्यवस्था की नई ज़रूरतें” “कुशल भारत की कुंजी: उद्योग अनुरूप विश्वविद्यालय शिक्षा” वर्तमान…

भीमराव अंबेडकर और आज: विचारों का आईना या प्रतीकों का प्रदर्शन?

डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भारत को एक समतामूलक, न्यायप्रिय और जातिविहीन समाज का सपना दिखाया था। उन्होंने संविधान बनाया, शिक्षा और सामाजिक न्याय को हथियार बनाया, और जाति व्यवस्था का…

जलियांवाला बाग: इतिहास नहीं, आज का आईना

जालियाँवाला बाग के अमर शहीदों को शत् शत् नमन। वो मरे नहीं थे, वो देश को जगा गए थे। श्रीमती पर्ल चौधरी 13 अप्रैल 1919—इस दिन को याद करना केवल…

“जयंती का शोर, विचारों से ग़ैरहाज़िरी” – “मूर्ति की पूजा, विचारों की हत्या” – “हाथ में माला, मन में पाखंड”

बाबा साहेब की विरासत पर सत्ता की सियासत, जयंती या सत्ता का स्वार्थी तमाशा? बाबा साहब के विचारों—जैसे सामाजिक न्याय, जातिवाद का उन्मूलन, दलित-पिछड़ों को सत्ता में हिस्सेदारी, और संविधान…