Category: विचार

विकसित भारत 2047 के लिए कृषि सुधारों में व्यापक दृष्टिकोण आवश्यक

विकसित भारत 2047 को प्राप्त करने के लिए, कृषि सुधारों के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण आवश्यक है जो कल्याणकारी उपायों को बाजार-संचालित तंत्रों के साथ जोड़ता है। भारत एक ऐसे…

नकली दुनिया की पोल खोलता आईआईटी बाबा ‘अभय सिंह’

**युवाओं को प्रोत्साहित करते हुए आध्यात्मिकता की यात्रा पर आईआईटी बाबा ‘अभय सिंह’। ***जो शून्य हैं वही शिव से मिल सकते हैं। ****कहाँ जाओगे चलते चलते? यहीं आओगे। “एक आईआईटीयन…

*गंभीर चिंता का विषय ……… आत्महत्या करते छात्र

**जीवन-मृत्यु का प्रश्न बनती कोचिंग के बोझ तले पढाई। ***प्रतिस्पर्धा के बीच जीवित रहने का संघर्ष करते बच्चे। स्कूली पढाई के बजाय कोचिंग के भयावह दौर में, छात्रों में आत्महत्या…

“क्षमा: आत्मा की शांति और रिश्तों की प्रगाढ़ता” ……… भैयाजी, मुझको माफ़ करना – गलती मुझसे हो गई।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गलती हो जाने पर क्षमा मांगना हर समस्या का तर्कसंगत समाधान है। यदि हमसे वाकई कोई गलती हो गई है, तो गंभीरता से क्षमा मांगना और…

ज्वलंत प्रश्न : युवा जोड़ों की निजता की समस्या

विवाह पूर्व सम्बंधों में रहने वाले व्यक्तियों को छोड़कर, विभिन्न लिंगों के व्यक्ति जो दोस्त, सहकर्मी या चचेरे भाई हैं, वे भी एक साथ यात्रा कर सकते हैं और उन्हें…

काम एक पैसे का नहीं, फुर्सत एक मिनट की नहीं!

व्यस्तता और फुर्सत: क्या है असल में इसका मतलब? एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया – भारतीय सामाजिक संरचना हजारों वर्षों पुरानी है, और इसके बीच हमारे पूर्वजों ने ऐसी कहावतें…

तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा : आओ मन को सकारात्मक सोच में ढालें …….

– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं वर्तमान आधुनिक प्रौद्योगिकी डिजिटल युग में अंधविश्वासों और गलतफहमियों से दूर, सकारात्मक सोच रखना सफलता की कुंजी है। हम जैसा सोचते हैं, वैसा हमारा मन…

हिम्मत-ए-मर्दां मदद-ए-ख़ुदा – आओ परिस्थितियों से लड़कर इतिहास रचें ……..

जो खुद में स्थिर होते हैं और हर परिस्थितियों से लड़ते हैं, वही अपने जीवन में इतिहास रचते है – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं परिचय जब हम निर्भीकता से विपत्तियों…

आखिर प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा का कारण क्या है? 

आंकड़ों के अनुसार, जो लोग आजीविका की तलाश में स्थानीय और क्षेत्रीय सीमाओं के पार जाते हैं, उन्हें अपने मेजबान समाज में स्थायी रूप से बाहरी समझे जाने का अपमान…

घटते छात्र, बढ़ते स्कूल ……….. क्या शिक्षा नहीं अनुकूल?

सरकारी स्कूलों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन छात्रों का नामांकन घट रहा है। हरियाणा में साल 2023-24 में सरकारी स्कूलों में नामांकन 22.30 लाख रहा, जो साल 2022-23 के…

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