मानवीय मृत्यु एक अनसुल्झी पहेली बनी हुई है – शरीर से आखिर ऐसा क्या निकल जाता है कि शरीर निर्जीव हो जाता है
– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

सृष्टि की सबसे अद्भुत और रहस्यमयी घटनाओं में से एक मृत्यु है। यह एक ऐसा सत्य है, जिसे कोई टाल नहीं सकता। जन्म लेने वाले प्रत्येक प्राणी को एक दिन मृत्यु का वरण करना ही पड़ता है। परंतु, मृत्यु क्या है? शरीर से ऐसा क्या निकल जाता है कि वह निर्जीव हो जाता है? आधुनिक विज्ञान इस रहस्य को सुलझाने में निरंतर प्रयासरत है, फिर भी यह एक अनसुलझी पहेली बनी हुई है।
मृत्यु: जीवन का अनिवार्य सत्य
मानव समाज में जन्म और मृत्यु का सिलसिला आदिकाल से चला आ रहा है। जब किसी परिवार में शिशु का जन्म होता है, तो वहाँ खुशियों की लहर दौड़ जाती है। इसके विपरीत, जब किसी की मृत्यु होती है, तो गहरा शोक छा जाता है। यह सत्य है कि जिसने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु निश्चित है। लेकिन सवाल यह उठता है कि मृत्यु के बाद क्या होता है? आत्मा अगर होती है, तो वह कहाँ जाती है?
विज्ञान और मृत्यु का रहस्य

विज्ञान मृत्यु को जैविक प्रक्रियाओं का अंत मानता है। जब हृदय की धड़कन रुक जाती है, मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है और अन्य अंग निष्क्रिय हो जाते हैं, तो जीवित प्राणी मृत घोषित कर दिया जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, मृत्यु वृद्धावस्था, बीमारियों, दुर्घटनाओं, कुपोषण, आघात आदि कारणों से होती है। मृत्यु के बाद शरीर तेजी से विघटित होकर पंचतत्वों में विलीन हो जाता है।
लेकिन, यह प्रश्न अभी भी अनुत्तरित है कि शरीर में आखिर कौन-सा तत्व जीवन का कारक है और उसके नष्ट होते ही मृत्यु क्यों हो जाती है? विज्ञान इस रहस्य को समझने में अब तक असमर्थ रहा है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण: आत्मा का अस्तित्व
आध्यात्मिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आत्मा शरीर में वास करती है और मृत्यु के बाद इसे त्याग देती है। आत्मा अमर मानी जाती है और पुनर्जन्म के सिद्धांत के अनुसार, वह एक नए शरीर में प्रवेश कर सकती है। आध्यात्मिक ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि मृत्यु के बाद मनुष्य के कर्मों का लेखा-जोखा होता है, जिसके आधार पर उसे पुनर्जन्म या मोक्ष प्राप्त होता है।
मृत्यु और पुनर्जन्म की घटनाएँ
आज भी ऐसी कई घटनाएँ सामने आती हैं, जिनमें लोग मृत्यु के बाद पुनः जीवित होने का दावा करते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे महज संयोग माना जाता है, लेकिन आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह आत्मा की यात्रा का प्रमाण हो सकता है।
निष्कर्ष
अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन और विश्लेषण करें, तो यह स्पष्ट होता है कि मृत्यु एक अटल सत्य है और इसका रहस्य आज भी विज्ञान और आध्यात्मिकता के लिए एक चुनौती बना हुआ है। यह प्रश्न अब भी अनसुलझा है कि शरीर से आखिर ऐसा क्या निकल जाता है कि वह निर्जीव हो जाता है। शायद यह रहस्य कभी सुलझेगा भी नहीं, क्योंकि यह सृष्टि के सबसे बड़े चमत्कारों में से एक है।
-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र