केंद्रीय आम बजट पर युवाओं की प्रतिक्रिया • बजट में ‘पढ़ाई, कमाई और दवाई’ के नाम पर युवाओं के साथ छलावा • खाली पड़े लाखों सरकारी नौकरियों पर मोदी सरकार ‘मौन सरकार’ बन चुकी है आम बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए ‘युवा हल्ला बोल’ के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार आत्मनिर्भर आत्मनिर्भर बोलते हुए दरअसल देश बेचने की घोषणा कर रही है। भीषण आर्थिक संकट से गुज़र रहे देश को जब बड़े फैसलों की आवश्यकता थी, तो मोदी सरकार का ध्यान सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने में है। आज के आम बजट से स्पष्ट है कि “मैं देश नहीं बिकने दूँगा” के भावनात्मक नारे से सत्ता में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज देश को निजी उद्योगपतियों को सौंपने का पूरा मन बना चुके हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों एवं एक बीमा कंपनी को इस वित्तीय वर्ष में बेचने का मन बना लिया है। इसी वित्तीय वर्ष में जीवन बीमा निगम (LIC) का भी आईपीओ शेयर बाजार में लाया जाएगा। बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश 49% से बढ़ाकर 74% करने की घोषणा हुई है। आपको याद होगा कि भाजपा सरकार हमेशा से FDI बढ़ाने का विरोध करती रही है परंतु अब यू-टर्न मार रही है। एक तरफ ‘लोकल फॉर वोकल’ का नारा दिया जाता है, तो दूसरी तरफ विदेशी निवेश 49% से भी ज़्यादा बढ़ाया जा रहा है। अनुपम ने कहा कि केंद्रीय बजट में ‘पढ़ाई, कमाई और दवाई’ के सवाल पर देश के युवाओं के साथ छलावा हुआ है। वित्त मंत्री जी ने मानवीय पूंजी को बजट का एक आधार तो बताया लेकिन शिक्षा और कौशल विकास का सार्थक ढंग से उल्लेख ही नहीं किया। ‘नई शिक्षा नीति’ में जो रंगीन सपने दिखाए गए थे उन सपनों के उड़ान के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं है। महामारी के समय स्कूल से लेकर काॅलेज सभी जगह शिक्षा प्रभावित हुई है पर सरकार के पास इसकी भरपाई के लिए कोई रुपरेखा नहीं है। देश के बड़े युवा वर्ग की कार्यक्षमता पर सरकार का ध्यान नहीं है पर दावा ये है कि लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। बेरोज़गारी का सवाल आज देश का सबसे गंभीर मुद्दा है, लेकिन मोदी सरकार के आम बजट में रोज़गार सृजन पर कोई ठोस बात नहीं है। बिना शिक्षा, कौशल विकास और रोज़गार पर ठोस योजना के देश को आत्मनिर्भर कैसे बना दिया जाएगा ये तो शायद प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री ही बता पाएं। Post navigation सादगी परम विशेषज्ञता है भक्त पता नहीं किस मिट्टी के बने है