Tag: लोकतंत्र

स्वतंत्रता खो रही पत्रकारिता- -डॉ. प्रियंका सौरभ

आज पेड न्यूज, मीडिया ट्रायल, गैर-मुद्दों को वास्तविक समाचार के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जबकि वास्तविक मुद्दों को दरकिनार किया जा रहा है, वास्तविक और समाज हित…

स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता का अभाव झेलती मीडिया

डॉ. सत्यवान ‘सौरभ’ हाल के वर्षों में मीडिया की भूमिका बदली है। स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता का घोर अभाव है। समाज का ध्रुवीकरण करने के लिए मीडिया के बड़े पैमाने…

गोपनीयता का एक बंधन – आंखें खोलने वाला लेख, चुनावी बांड पर – अशोक लवासा, भारत के पूर्व चुनाव आयुक्त

गुस्ताख़ी माफ़ हरियाणा – पवन कुमार बंसल गुरुग्राम – चुनावी बांड के माध्यम से प्राप्त फंडिंग के प्रकटीकरण (या गैर-प्रकटीकरण) के पक्ष और विपक्ष में लगभग सभी चीजें सार्वजनिक डोमेन…

एक साथ चुनाव भारत के लोकतंत्र के लिए हानिकारक क्यों ?

एक साथ चुनावों से देश की संघवाद को चुनौती मिलने की भी आशंका है। एक साथ चुनाव होने से लोकतंत्र के इन विशिष्ट मंचों और क्षेत्रों के धुंधला होने का…

लोकतंत्र पर एक अलोकतांत्रिक बहस …………

योगेन्द्र यादव जैसे -जैसे लोकतंत्र का पतन होता है, सार्वजनिक बहस छिछली और बेतुकी होती जाती है। इसका नमूना हाल ही में देखने को मिला। अनएकैडमी नामक ऑनलाइन कोचिंग संस्था…

अमृत महोत्सव के जश्न में डूबे, कहाँ खड़े हैं आज हम ?

विश्व की उदीयमान प्रबल शक्ति के बावजूद भारत अक्सर वैचारिक ऊहापोह में घिरा रहता है. यही कारण है कि देश के उज्ज्वल भविष्य और वास्तविकता में अंतर दिखाई देता है.…

लोकतंत्र की जगह किस ओर भाजपा ?

-कमलेश भारतीय भाजपा के स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े गर्व से कहा कि भाजपा ऐसी पार्टी है जो लोकतंत्र की कोख से जन्मी है न कि परिवारवाद…

मीडिया और सत्ता दोनों को आइना !

–कमलेश भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने न केवल सत्ता बल्कि मीडिया को भी आइना दिखा दिया । यह फैसले की घड़ी आई मलयाली न्यूज चैनल पर केंद्र द्वारा रोक लगाने पर…

राजनीतिक लाभ के लिए सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग

स्वतंत्र, कानून का पालन करने वाले संस्थान आवश्यक जांच और संतुलन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे मजबूत और लचीले लोकतंत्रों के लिए अंतिम आधार प्रदान करते हैं।…

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