खोरी-फरीदाबाद क्षेत्र की अरावली भूमि पर बनाये सभी अवैधे कब्जे हटाने होंगे : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, खोरी-फरीदाबाद क्षेत्र की अरावली भूमि पर बनाये सभी अवैधे कब्जे हटाने होंगे, क्या वास्तव में ऐसा होगा ?

रेवाड़ी, 4 अगस्त 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने एक बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एकबार फिर जोर देकर कहा है कि खोरी-फरीदाबाद क्षेत्र की अरावली भूमि पर बनाये सभी अवैधे कब्जे हटाने होंगे। विद्रोही ने सवाल किया कि क्या वास्तव में ऐसा होगा? गुरूग्राम, फरीदाबाद व रेवाड़ी जिले की अरावली क्षेत्र वन भूमि पर काफी अवैध कब्जे है जिनमें गुरूग्राम व फरीदाबाद जिले की अरावली भूमि पर देश-प्रदेश के बडे-बडे नेताओं ने अवैध फार्म हाऊसे बना रखे है। इस क्षेत्र में अवैध फार्म हाऊस, होटल, शिक्षा व व्यवसायिक संस्थान बनाने में बड़े-बड़े आईएएस, आईपीएस, एचसीएस व जूडिशियल अधिकारी व प्रभावी धन्ना सेठों भी पीछे नही है। अवैध कब्जे हटाने के नाम पर गरीबों के आशियाने तो उजाड़ दिये जाते है, पर बड़े लोगों के फार्म हाऊसों, होटलों, शिक्षा संस्थानों, घरों का आज तक बाल भी बाका नही हुआ है और न ही भविष्य में होने की कोई संभावना नजर आती है। 

विद्रोहीे ने कहा कि अरावली क्षेत्र में बड़े नेताओं, अफसरों व धन्ना सेठों के फार्म हाऊस, अवैध कब्जे, निर्माण को बचाने के लिए लोकसभा चुनाव 2019 से ठीक पहले हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार तो सवा सौ साल पहले बने पंजाब भू-सरंक्षण कानून 1901 में भी हरियाणा विधानसभा में बदलाव करके अपनी ओर से बड़े लोगों के फार्म हाऊस, अवैध कब्जों को बचाने का कुप्रयास भी कर चुकी है। विद्रोही ने कहा कि हरियाणा भाजपा सरकार द्वारा पंजाब भू-सरंक्षण कानून 1901 में किये गए परिवर्तन अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने रद्द नही किये है। केवल सुप्रीम कोर्ट ने इतना कहा है कि हम जानते है कि हरियाणा सरकार ने उक्त कानून में परिवर्तन क्यों और किसलिए किए है, हम इस मंशा को कामयाब नही होने देंगे। जब तक उक्त कानून को सुप्रीम कोर्ट रद्द नही करता, उसके जबानी जमा खर्च से कुछ नही होने वाला।

हरियाणा भाजपा सरकार आज भी गुरूग्राम व फरीदाबाद में बने प्रभावशाली लोगों के फार्म हाऊस व आशियानों को बचाने के लिए इस परिवर्तित कानून को आगे करती रहती है। सवाल उठता है कि जब गरीब को उजाडने का मौका आता है तो सरकार व कोर्ट बेरहम क्यों हो जाता है और जब बड़े लोगों के अरावली क्षेत्र में बने  अवैध कब्जे हटाने की बात आती है तो आंखे मूंदकर सो क्यों जाते है? विद्रोही ने आरोप लगाया कि अरावली वन भूमि पर अवैध कब्जे हटाने मामले में सरकार के दोहर मापदंड है। गरीब को उजाडने को तत्पर रहती है और अमीरों व प्रभावशाली लोगों पर कार्रवाई करते समय बगले क्यों झांकने लगती है?

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