मैं भी मोदी का परिवार केवल और केवल सोशल मीडिया तक  सीमित

देखते और सुनते हुए नारा भी हुआ न्यारा कि मोदी है तो मुमकिन है

मोदी परिवार के इलेक्शन कैंडिडेटस की घोषणा होते ही अदावत कम बगावत ज्यादा

फतह सिंह उजाला 

गुरुग्राम । हरियाणा में 2024 के सप्ताह का संघर्ष आरंभ होने से पहले लोकसभा चुनाव को ज्यादा लंबा समय भी नहीं गुजारा है । भाजपा और भाजपा के शीर्ष नेताओं के द्वारा 400 पर का नारा से लेकर जेवरात तक की चर्चा करते हुए वोट बटोरने के लिए हर संभव प्रयास गंभीरता के साथ किए गए। 2019 में ‘मोदी है तो मुमकिन है’ जैसी लहर ‘2024 में 400 पार’ तक पहुंच कर हरियाणा प्रदेश में पांच लोकसभा सीट जितने तक भाजपा के लिए सिमट गई । लोकसभा चुनाव में कहा गया कमल का फूल ही कैंडिडेट है । इसी फार्मूले को आगे ले जाते हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव की भी भाजपा शीर्ष नेतृत्व और चुनाव के चाणक्य के द्वारा रणनीति तैयार की गई । विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के साथ ही हरियाणा में भाजपा सरकार की हैट्रिक बनाने के वास्ते आईपीएल की तरह पॉलिटिकल खिलाड़ियों की भी तलाश आरंभ कर दी गई और ऐसा होता हुआ दिखाई भी दे रहा है । लेकिन इस बात की शायद भाजपा की रणनीति कारों को उम्मीद बिल्कुल भी नहीं रही होगी कि भाजपा के कैंडिडेट डिक्लेअर किए जाने के साथ ही अदावत से अधिक बगावत भाजपा परिवार में देखने के लिए मिलेगी । दुनिया की सबसे बड़ी पॉलीटिकल पार्टी के नेताओं कार्यकर्ताओं पदाधिकारी के ऊपर मोदी के  मैजिक कोई असर नहीं दिखाई दिया । गुरुवार को चुनाव में नामांकन की प्रक्रिया आरंभ होने के दिन और इससे एक दिन पहले ही भाजपा के द्वारा घोषित किए गए कमल फूल के कैंडिडेट से अधिक संख्या कमल के फूल से अपना हाथ खींचने वालों की रही है।

राजनीति के जानकारो के मुताबिक भाजपा संगठन और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को मौजूदा बने हुए राजनीतिक हालात और भाजपा सरकार के प्रति लोगों की नाराजगी किसी हद तक पूर्वाभास हो चुका था । लेकिन लोगों की नाराजगी भाजपा और भाजपा के रणनीतिकारों के सोच और उम्मीद से कहीं अधिक लोगों के बीच दिखाई दी। सरकार का बीजेपी पार्टी ने नेतृत्व और चेहरा भी बदल कर जनता के बीच भेजने का काम किया। लेकिन आम जनता की असली नाराजगी के कारण को भाजपा के रणनीतिकार समझने में नाकाम रहे । दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ-साथ प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं के द्वारा एक अलग ही रणनीति के तहत आम जनता के बीच भाजपा की नीतियों को लेकर कमियां और लोगों को हो रही परेशानियों को लोगों के बीच में इस प्रकार से बयां किया गया। कि माहौल तेजी से बदलता कांग्रेस के पक्ष में तेजी से चला गया। यह बदलता हुआ माहौल ही भाजपा और भाजपा के प्रदेश तथा केंद्रीय नेतृत्व के लिए चिंतन मंथन का विषय बन गया।

राजनीति के विश्लेषक, रुचि रखने वाले तथा राजनीति को समझने वाले लोगों के अलावा आम आदमी या फिर मतदाता के द्वारा भी इस बात को कहने में संकोच नहीं किया जा रहा  कि ऐसा क्या कारण रहा ? कि मैं भी मोदी का परिवार होने का दावा करने वाले अब मोदी और भाजपा परिवार से ही संबंध विच्छेद करने पर एक दूसरे से आगे निकलने का प्रयास कर रहे हैं । जिन लोगों के द्वारा मौजूदा समय में भाजपा से संबंध विच्छेद किया जा रहे हैं । लोकसभा चुनाव में ऐसे ही लोगों के द्वारा कमल के ‘फूल को कैंडिडेट बताते हुए कहा जा रहा था कि मोदी है तो मुमकिन है’ । व्यक्ति, नेता, उम्मीदवार नहीं कमल का फूल ही भाजपा का कैंडिडेट है । आम लोगों और आम मतदाता भी अब इस बात को समझने लगा है कि सत्ता में भागीदारी रखने या निभाने वाले सत्ता में फिर से अपनी हिस्सेदारी के लिए अपनी आस्था को भी बदल सकते हैं और पॉलीटिकल पार्टी को छोड़ने में भी देर लगाना बेहतर नहीं समझते हैं । आज भी केंद्र में वहीं भारतीय जनता पार्टी है और वही पीएम नरेंद्र मोदी हैं। प्रदेश में भी डबल इंजन सरकार का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार मौजूद है। प्रदेश स्तर से लेकर बूथ लेवल तक कार्यकर्ता और पदाधिकारी भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी पॉलीटिकल पार्टी बनाने के साथ-साथ नई मेंबरशिप को भी युद्ध स्तर पर जारी रखे हुए हैं । चुनाव की घोषणा होते ही चुनावी टिकट के प्रबल दावेदार या फिर हरियाणा सरकार में भागीदार नेताओं के द्वारा भी युद्ध स्तर पर ही बगावत करते हुए अलग-अलग स्थान पर  विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी आरंभ करने की खबरें सुर्खियां बनती जा रही है । अब देखना यही है कि भाजपा का केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व किस प्रकार से डैमेज कंट्रोल करने की रणनीति पर काम करता है।

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