-कमलेश भारतीय अभी तक पिछले दस साल से दो उद्योगपतियों के नाम की चर्चा गर्म रही लेकिन अब यह पहली बार है जब विदेश में भी अडाणी की चर्चा हो रही है यानी अडाणी देश ही नहीं विदेश में भी लपेटे में हैं । अडाणी पर अमेरिका में एक लाइसेंस लपकने के लिए पिछले चार साल के दौरान 2236 करोड़ रुपये रिश्वत के रूप में देने के आरोप से न केवल भारत बल्कि अमेरिका में भी बबाल मच गया है । कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अडाणी को गिरफ्तार करने की मांग की है तो भाजपा प्रवकता संबित पात्रा ने कहा कि यह तो अडाणी की कम्पनी को देखना है कि कैसे अपना पक्ष रखे । कमाल की जादूगरी है कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तो छह महीने अपना पक्ष रखने पर भी जेल में डाले रखा, जब अडाणी की बारी आई तो कम्पनी को अपना पक्ष रखने का पूरा, पूरा अवसर प्रदान किया जा रहा है । तभी तो पंजाबी में कहते हैं : मेरे यार नूं मंदा न आक्खींमेरी भावे़ जिंद कड्ड लै ! अडणी को छूने से पहले भाजपा से पार पाना होगा, यह बात स्पष्ट समझ आ रही है। आखिर सत्ता के करीबी होने का कुछ तो लिहाज रखा ही जायेगा ! कुछ भाजपा नेता यह भी कह रहे हैं कि यह भाजपा का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध दुष्प्रचार है, इससे ज्यादा और कुछ भी नहीं ! अपने मन को समझाने की बात है। राहुल गांधी ने तो महाराष्ट्र चुनाव में यह भी कहा था कि मोदी और अडाणी एक हैं तो सेफ हैं लेकिन इतना ध्यान रखना कि इनको दिये वोट से अडाणी धारावी की करोड़ों रुपये की योजनायें ले उड़ेगा । अब जो कम्पनी विदेश में लाइसेंस पाने के लिए करोड़ों रुपये की रिश्वत देने के आरोप में फंसती नज़र आ रही है तो अपने देश में क्या न क्या करके सब कुछ मनचाहा पाने में कोई कसर छोड़ देगी ? मित्रो, मेरी भावुक अपील है कि आप कांग्रेस की बातों पर गौर न करना, ये तो इनका दुष्प्रचार मात्र है । बाकी आप समझदार हैं ! कांग्रेस का काम है कहना ! वैसे अहमद फराज का कहना है : कठिन है राहगुजर थोड़ी देर साथ चलोबहुत कड़ा है सफ़र थोड़ी दूर साथ चलो !!-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी। 9416047075 Post navigation सामयिक व्यंग्य : एग्जिट पोल ……. जल्दबाजी न करना, कई बार ‘जलेबियां’ बंट जाती है !