लोकसभा में 12 घंटे की मैराथन बहस के बाद बिल पारित

-एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानीं

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की संसद में एक ऐतिहासिक क्षण तब आया जब वक़्फ़ (संशोधन) बिल 2025 को 12 घंटे की लंबी बहस के बाद पारित कर दिया गया। 288 मतों के समर्थन और 232 मतों के विरोध के साथ, यह विधेयक लोकसभा से पास हुआ। अब यह 3 अप्रैल को राज्यसभा में प्रस्तुत किया जाएगा, जहां इसके पारित होने की पूरी संभावना जताई जा रही है।

विधेयक की पारित होने की प्रक्रिया

रात्रि 1:56 बजे लोकसभा में हुए मतदान के दौरान बिल के समर्थन में 288 मत और विरोध में 232 मत पड़े। इस दौरान कुल 100 से अधिक संशोधनों पर चर्चा हुई, जिनमें से तीन संशोधन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग के माध्यम से और शेष ध्वनि मत से खारिज कर दिए गए। सबसे महत्वपूर्ण संशोधन बोर्ड में 11 गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का था, जिसे 231 के मुकाबले 288 मतों से खारिज कर दिया गया।

विपक्ष और सत्ता पक्ष के तर्क

इस विधेयक पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखी गई।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

(1)’एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों पर हमला बताया और बिल को फाड़ने की कोशिश की, हालांकि वे केवल स्टेपलर की पिन निकाल पाए।

(2) जमीयत उलमा-ए- हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।

(3) कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे मुस्लिम समुदाय को हाशिए पर धकेलने की साजिश करार दिया।

सत्ताधारी पक्ष का पक्ष

(1) केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने वक़्फ़ कानून में बदलाव कर इसे अन्य कानूनों से ऊपर कर दिया था, इसलिए इसमें संशोधन आवश्यक था।

(2)भाजपा के वरिष्ठ नेता रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि इस विधेयक के जरिए वक़्फ़ बोर्ड में पिछड़े मुसलमानों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है।

(3) सरकार का दावा है कि यह बिल वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा और इसमें किसी के धार्मिक अधिकारों का हनन नहीं होगा।

विधेयक के प्रभाव और आगे की प्रक्रिया

यह विधेयक अब राज्यसभा में पेश किया जाएगा, जहां बहस के बाद इसके पारित होने की संभावना है। इस विधेयक को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है, और इसके कानूनी व राजनीतिक प्रभावों पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।

निष्कर्ष

वक़्फ़ (संशोधन) बिल 2025 की लड़ाई अब अंतिम चरण में है। लोकसभा में इसे ऐतिहासिक बहस और मतदान के बाद पारित किया गया और अब यह राज्यसभा की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के तहत इस विधेयक ने कई विरोधाभासों और समर्थन को जन्म दिया है, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि यह भारत की राजनीति और विधायी प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

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