गुडगांव, 3 अप्रैल (अशोक) : बिजली चोरी के मामले में उपभोक्ता के पक्ष में निचली अदालत के फैसले को बिजली निगम द्वारा जिला एवं सत्र न्यायालय में चुनौती देने वाली अपील की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पुनीत सहगल की अदालत ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए बिजली निगम की अपील को खारिज कर दिया है।

राजीव नगर क्षेत्र के उपभोक्ता प्रदीप के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार बिजली निगम ने 11 अगस्त 2017 को बिजली मीटरों के चैकिंग अभियान के दौरान उपभोक्ता पर बिजली चोरी करने के आरोप लगाते हुए उस पर 68 हजार 060 रुपए का जुर्माना लगा दिया था। जिस पर उपभोक्ता ने बिजली निगम को पत्र लिखकर गुहार लगाई थी कि उसने कोई बिजली की चोरी नहीं की है। लेकिन उसकी गुहार पर बिजली निगम ने कोई ध्यान नहीं दिया। अपितु उस पर दबाव बनाया गया कि वह जुर्माना राशि जमा कर दे, नहीं तो उसका बिजली का कनेक्शन काट दिया जाएगा। मजबूर होकर 24 अगस्त 2017 को उसने जुर्माना राशि का भुगतान बिजली निगम को कर दिया था।

अधिवक्ता का कहना है कि 13 अक्टूबर 2017 को उसने बिजली निगम के खिलाफ अदालत में केस दायर कर दिया था। 31 अगस्त 2022 को तत्कालीन सिविल जज हर्ष कुमार सिंह की अदालत ने बिजली चोरी के आरोप को गलत करार देते हुए बिजली निगम को आदेश दिए थे कि जमा कराई गई जुर्माना राशि उपभोक्ता के बिजली के बिलों में वापिस की जाए। बिजली निगम ने निचली अदालत के इस फैसले को जिला एवं सत्र न्यायालय में चुनौती दी थी। जिसका निपटारा जिला सत्र न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए निगम की अपील को खारिज कर दिया है। हालांकि अदालत ने जमा राशि पर कोई ब्याज नहीं दिया है। अधिवक्ता का कहना है कि अब उपभोक्ता बिजली निगम के खिलाफ प्रताडि़त करने का केस अदालत में दायर करेगा।

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