दिनोद धाम जयवीर सिंह फौगाट,

12 मई, हुजूर महाराज कंवर साहेब ने कहा कि सत्संग नाम उस विचार का है, जिसमे परमात्मा का गुणगान होता है और इंसान को उसके असल कर्म करने की प्रेरणा देता है। सत्संग इस असार संसार से सार निकालने की विधा बताता है। सत्संग इस जगत के मिथ्या नातो से बचा कर सच्चे नातो से जोड़ता है।

यह सत्संग वाणी राधास्वामी सन्त सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज ने दिनोद गांव में स्थित राधास्वामी आश्रम में रविवार को फ़रमाई। हुज़ूर कंवर साहेब ने फरमाया कि सन्तो का उपदेश उनके लिए नही है। जो जगत कामनाओं में फसे पड़े हैं। गुरु महाराज जी ने फरमाया कि जीवन की परेशानियों से क्या घबराना ? ये परेशानियां किस को नही आती। लेकिन विवेकी इनसे जल्दी पीछा छुड़ा लेता है। उन्होंने कहा कि प्रारब्ध कर्म हमारा जीवन तय करता है। ये जीवन भी कर्मो की डोर से लिपटा है। जो अपने कर्म कटवा लेता है, वो इस आवन जान से मुक्ति पा लेता है। कर्मो का निपटान मन की वृतियों को बांधने से होगा। जो जीव अपने कर्मो की गठड़ी को उतार कर फेंक देगा। उसे जगात नही देनी पड़ेगी। प्रारब्ध कर्मो से बचना चाहते ही तो सन्तो की संगति करो। सन्तो के वचन में रहो। यदि गुरु विहिन हुए या गुरु यदि अपने माथे से उतार दिया तो काल तुम्हे बांह पकड़ कर घसिटेगा। हुजूर महाराज जी कंवर साहेब ने कहा कि हैरत की बात है, कि हर कोई ये सोचता है कि सारा संसार मर जायेगा लेकिन मैं नही। इसी डर में वो हर रोज़ हर पल मरता है। इस डर से केवल पूर्ण गुरु ही आपको बचा सकता है। उन्होंने कहा कि राम की तलाश करते हो और संत से दूर रहते हो तो ये सम्भव नही है। उन्होंने कहा कि राम और संत में अंतर नाही। राम के दर्शन संत के माही। गुरु महाराज जी ने कहा कि भक्ति का रास्ता तो स्वयं आपसे निकलता है। यदि घर मे मां-बाप को कष्ट देकर, गाली देकर आप भक्ति कमाना चाहते हो तो ये असम्भव है। असली राम असली परमात्मा आपके माता पिता हैं। उनकी सेवा सत्कार करके ना सिर्फ हम भक्ति कमाते है। बल्कि हम आने वाली पीढ़ी में संस्कार उगाते हैं। दीं अधीन बनो, परमात्मा स्वयं प्रकट होगा। वो चतुराई में नही मिलेगा। बल्कि सरलता में सहजता में मिलेगा।

गुरु महाराज जी ने कहा कि अपना सा जीव सब को मानो। यदि आपको किसी वचन से, किसी कार्य से, किसी घटना से दुख होता है तो याद रखो दुसरो को भी आपके गलत आचरण से कष्ट होता होगा। उन्होंने कहा कि पशु पक्षियों का भी ख्याल रखना। उनके लिए भी दाना-पानी का प्रबंध करके रखना। पर्यावरण और प्रकृति का संरक्षण करना। नशे विषयों से दूर रहना। पाप कर्म से बचना। यह सब एक सच्चे सत्संगी में मिलता है। 

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