कहा : सत्संग का मायना है, सत्य का संग — आज ना सन्त सच्चे हैं ना भक्त : परमसंत सतगुरु हुजूर कंवर साहेब जी महाराज कहा : सत्संग के नाम पर आज कलयुग में तो नाम की चर्चा कम और नौटंकी बाज़ी बढ़ गई है दिनोद धाम जयवीर सिंह, 07 जुलाई, सत्संग का मायना है सत्य का संग। सत्य केवल परमात्मा है इसलिए सत्संग परमात्मा का संग है। परमात्मा का संग तभी सम्भव है जब हम उसे हर पल अंगीकार कर लेते हैं। हर सांस में जब परमात्मा का जिक्र होगा तब सत्संग होगा। यह सत्संग वचन परमसंत सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज ने दिनोद गांव में स्थित राधास्वामी आश्रम में फरमाए। हुजूर कंवर साहेब ने कहा कि सत्संग के नाम पर आज कलयुग में तो नाम की चर्चा कम और नौटंकीबाज़ी बढ़ गई है। आज ना सन्त सच्चे हैं ना भक्त। भक्ति तो तन मन धन की बाजी है। ये बाज़ी कोई बिरला साधक ही लगा पाता है। तन से सेवा, मन से सुमिरन और धन भक्ति का। ऐसी बिरली बाज़ी वही लगा सकता है जो हृदय पर चोट लगवाता है। ये चोट किसी बरछी या ग्यासी से नहीं लगती ना ही ये किसी तीर कमान से लगती है। ये चोट तो सतगुरु के ज्ञान बाण से ही लगती है। हुजूर महाराज जी ने आज के दिन को स्मरण करते हुए कहा कि मेरे गुरु कुल मालिक ताराचंद जी महाराज ने 46 साल पहले सात जुलाई को ये बाण मारा था जिसने मेरे ज्ञान चक्षु खोल दिये थे। उलेखनीय है कि सात जुलाई का दिन राधास्वामी सत्संग दिनोद की संगत के लिए पवित्र दिन है क्योंकि सात जुलाई सतहत्तर को हुजूर महाराज जी गुरु की शरण मे आये थे। आने के पश्चात उन्होंने सेवा और समर्पण की एक मिसाल कायम की। गुरु महाराज जी ने कहा कि मान बड़ाई अभिमान को तजे बिना आप सेवक नहीं बन सकते और जो सेवक नहीं वो गुरु नहीं बन सकता। भक्ति की पहली सीढ़ी सदचरित्र है। तप, संयम, सेवा, दीनता अगली सीढ़ियां हैं। हुजूर ने फरमाया कि जो अवसर मिला है उसे मत गंवाओ। इसे दूसरे की बुराइयों को देखने में मत जाया करो। इस बुराइयों से आपको घुन्न लग जायेगा जो आपको थोथा कर देगा। उन्होंने कहा कि कद्र इंसान की देह की नहीं बल्कि उसके गुणों की है। इंसान का पहला गुण माता- पिता सास- ससुर की सेवा है। दूसरा गुण ग्रहस्थ धर्म की पालना है। जिस घर में प्यार प्रेम और शांति है भक्ति भी वही है। जिस प्रकार घड़ा बनाने से पहले मिट्टी को रौंदा और मथा जाता है उसी प्रकार भक्त बनने से पहले गुरु आपको तायेगा तपायेगा। अगर आप ना डिगे तो आपका कल्याण निश्चित है। उन्होंने कहा कि सत को निकलने ना दो क्योंकि जब सत निकल जाता है तो कुछ बाकी नहीं बचता। सत्य सतगुरु है। नूरी सतगुरु के दर्शन देह के सतगुरु के माध्यम से ही होंगे। नूर का दर्शन तन मन धन की बाज़ी लगाने से होता है। हुजूर ने कहा कि सन्तमत गुरु वचन पर टिके रहने का मत है। गुरु का वचन हर लिहाज से कल्याणकारी है। जिसने आप को बड़ा बनाया है उनके आगे कभी बड़े मत बनो। अहंकार को त्याग कर माँ बाप दीन दुखी गरीब की सहायता करो। Post navigation प्रदेश में लोकसभा से भी बड़े बदलाव के लिए जनता तैयार: अनुराग ढांडा सनातन धर्म में यजमान,शिष्य और सेवक का दायित्व : डा. महेंद्र शर्मा