कहा: संगति करती है आपकी आधार प्रवृति की और इशारा संयम और धैर्य भक्ति के आभूषण : हुजूर कंवर साहेब कहा: पहले अपनी रहनी सुधारो करनी स्वतः सकारात्मक हो जाएगी दिनोद धाम जयवीर सिंह फौगाट, 19 मई, हुजूर महाराज कंवर साहेब ने कहा कि अच्छी संगति और नेक इंसानों से हरि चर्चा ही इंसानी प्रवृति को सिद्ध करती है। आपकी संगति आपकी आधार प्रवृति की और इशारा करती है। सज्जन इंसान सैदेव सन्त महापुरषो की संगति करते हैं और दुर्जन सैदेव शैतानो की। यह सत्संग विचार परमसंत सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज ने आज रविवार को दिनोद गांव में स्थित राधास्वामी आश्रम में फरमाए। हुजूर कंवर साहेब जी ने कहा कि घर और मन दोनों में शांति जरुरी है। घर मे शांति तभी आएगी जब मन शांत होगा। उन्होंने कहा कि दो ही बाते रह जाती हैं एक गीत और दूसरी भीत। यही गीत और भीत यानी दीवारें आपके जाने के बाद भी आपको अमर बना कर रखती हैं। युग बदलने पर भी आज महापुरषो के आदर्श जिंदा हैं। जो परोपकार और परमार्थ का रास्ता स्थापित कर गए गीत सदा उन्ही के गाये जाते हैं। स्वर्ग और नर्क इसी जगत में भोगे जाते हैं। जिन्होंने वर्तमान को स्वर्ग सरीखा बना लिया उनको आगे भी स्वर्ग ही मिलेगा। गुरु महाराज जी ने आगे फरमाया कि गुरु नाम ज्ञान है। ज्ञान अच्छे और बुरे में फर्क करना है। गुरु अज्ञान से ज्ञान की और ले जाता है। ज्ञान ही भक्ति की समझ का ज्ञान है। परमात्मा के भेद को जान लेना। इंद्री भोग में गाफिल इंसान शरीर इंद्री के आनंद तक ही सीमित है। उसे नाम रस के आनन्द का संज्ञान ही नहीं है। लेकिन जब नाम का रस आना शुरू हो जाता है। तब बाकी रस फीके पड़ जाते हैं।हुजूर ने फरमाया कि सत्संग की बुराई वहीं करता है, जिसकी स्वंय की बुराई नहीं छुटी। नाच ना जाने आंगन टेढ़ा की तर्ज पर ऐसे अज्ञानी लोग सतगुरु सत्संग और सतनाम में खोट निकालते हैं। आपके कर्म आपको आगे बढ़ने नहीं देते। हाथों पर सरसों हरी नहीं होती। संयम और धैर्य भक्ति के आभूषण हैं। पहले अपनी रहनी सुधारो करनी स्वतः सकारात्मक हो जाएगी। उन्होंने उच्च कोटि का अध्यात्म परोसते हुए कहा कि परमात्मा सबका ख्याल रखता है। उसकी करोड़ो आंखे और हाथ हैं। हम भेदभाव करते हैं परमात्मा नहीं। उन्होंने कहा कि समय की कीमत पहचानो। जो जन्मा है वो मरेगा जरूर इसलिए भक्ति करो ताकि जन्म मरण के चक्कर से छुटकारा मिल सके। उन्होंने कहा कि आप भाग्यशाली हो कि इंसान का चौला मिला। उस से बढ़कर गुरु मिला और सबसे बढ़कर बात ये कि नाम मिला। गुरु महाराज जी ने कहा कि दो नावों की सवारी कभी सफल नहीं होती। या तो भक्ति को पकड़ो या संसार को लेकिन सन्तो ने इस बात को भी गलत साबित कर दिया। सन्तमत गृहस्थ और भक्ति दोनों को साथ लेकर चलने वाला मत है। अच्छे बनो। यदि आपके लिए कोई कांटा भी बोता है तो भी आप उसके लिए फूल बोओ। मीठा बोलो, सजन्नता को कभी मत त्यागो, आदत सुधारो। मां बाप बड़े बुजुर्गों की सेवा करो। Post navigation सत्संग नाम उस विचार का है, जिसमे परमात्मा का गुणगान होता है : हुजूर महाराज कंवर साहेब रामनगर कपूरी में एसएस टैंक बनाकर किसानों को रॉयल्टी देना भूला विभाग