रामचरित्र मानस को जीवन में करें आत्मसात: सुशील गिरी

हेलीमंडी में शुक्रवार को हवन में पूर्णाहुति के साथ रामकथा का समापन.
देवेश कृष्ण सच्चिदानंद के मुखारविंद से राम कथा वाचन 9 दिनों तक.
भगवान राम की भक्ति रस में डूबे रहे श्रद्धालु , माहौल राममय हुआ

फतह सिंह उजाला

पटौदी । रामचरित्र मानस केवल मात्र सुनने के लिए नहीं है । आध्यात्मिक और आत्मिक शांति के लिए रामचरित्र मानस को जीवन में आत्मसात भी करना चाहिए। भारतीय सनातन संस्कृति और ऋषि-मुनियों और तपस्वीयों की परंपरा अनादि काल से चली आ रही है । यज्ञ हवन में विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों से निर्मित हवन सामग्री , शुद्ध देसी घी की आहुति अर्पित करने से जहां समस्त देवी देवता प्रसन्न होते हैं। वही पर्यावरण भी शुद्ध होता है , यह ज्ञान उपदेश मानव निर्माण अभियान के प्रमुख सुशील गिरी महाराज ने श्रद्धालुओं के बीच दीया ।

शुक्रवार को हेली मंडी अनाज मंडी में 30 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद हो रही रामकथा का समापन हुआ। 9 दिनों तक भागवत व्यास पंडित देवेश कृष्ण सच्चिदानंद ने रामचरितमानस का संगीतमय जीवंत प्रस्तुतीकरण करते हुए प्रत्येक दिन भगवान श्री राम के जीवन आदर्शों और चरित्रों को लेकर इस प्रकार से प्रसंग चित्रण प्रस्तुत किया कि राम कथा को सुनने के लिए आने वाले श्रद्धालु भाव विभोर होते रहे। भगवान श्री राम के जन्म से लेकर उनके द्वारा जनहित के किए गए तमाम काम और आसुरी शक्तियों का संहार किया जाने से प्रेरणा लेने का आह्वान किया । शुक्रवार को राम कथा के अंतिम दिन हवन यज्ञ में आहुति अर्पित कर पुण्य कमाने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब जैसे उमड़ आया । संपूर्ण विधि विधान और मंत्रोच्चारण के बीच सभी देवी देवताओं को साक्षी मानकर पवित्र अग्नि में आहुतियां अर्पित की गई।

इसी मौके पर श्रद्धालुओं के लिए विशाल भंडारा का भी आयोजन कर प्रसाद का वितरण किया गया। हवन यज्ञ के समापन के साथ ही श्रद्धालुओं विशेष रूप से महिलाओं के द्वारा हवन कुंड की श्रद्धा अनुसार परिक्रमा भी की गई । इसके साथ ही राम कथा वाचक भागवत व्यास पंडित देवेश कृष्ण सच्चिदानंद के हाथों प्रसाद ग्रहण करने के लिए भी श्रद्धालुओं में असीम उत्साह देखा गया । इसी मौके पर कथा आरंभ होने के पहले दिन स्थापित किए गए पवित्र कलश श्रद्धालु महिलाओं के द्वारा श्रद्धा भाव के साथ अपने अपने घरों में ले जाकर स्थापित किए गए । इस मौके पर स्वामी सुशील गिरी और पंडित देवेश कृष्ण सच्चिदानंद ने सभी स्वस्थ रहने, धन-धान्य से भंडार भरे रहने, शुद्ध पर्यावरण, राष्ट्र की एकता-अखंडता सहित आपसी भाईचारा और सामाजिक सौहार्द की परम पिता परमेश्वर से कामना भी की है।

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