तिब्बतियों एवं गलवान में शहीद हुए सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित की.
चीन को उसके मनसूबों में कभी भी कामयाब नहीं होने दिया जाएगा.
तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह की 63वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य पर कार्यक्रम

फतह सिंह उजाला

पटौदी। तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह की 63वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य पर पटौैदी हलके में गीेपी कृष्णा वाटिका हेलीमंडी में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया।  भारत तिब्बत संवाद मंच पदाधिकारियों ने धूर्त व कपटी चीन की दमनकारी और विस्तारवादी नीति की कटु शब्दों में निन्दा करते हुए तिब्बत में बौद्ध संस्कृति  के समाप्त करने, मानवाधिकारों की हत्या करने तथा पर्यावरण के विनाश करने का आरोप लगाया। इस दौरान तिब्बत मुक्ति साधना में अपना बलिदान देने वाले सभी तिब्बतियों एवं गलवान में शहीद हुए मां भारती के अमर सपूतों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।

इसके साथ ही 14वें परम पावन दलाईलामा के दीर्घायु होने की कामना के करते हुए चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का संकल्प लिया गया। कार्यक्रम में शामिल सुशील गिरी सच्चिदानंद अखिल भारतीय भारत तिब्बत संवाद मंच के सदस्य और हरियाणा प्रदेश के संरक्षक, राहुल पालीवाल जी दिल्ली व हरियाणा के परभारी , बीरेन्द्र श्रीवास्तव सह संयोजक दिल्ली , अभिषेक जैन महा मन्त्री, मुकुल जैन सहादरा जिलाध्यक्ष, सुरेन्द्र गर्ग हेली मण्डी गुरुग्राम जिलाध्यक्ष , व हेलीमण्डी  नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन शिव कुमार (शेष गुप्ता) ,हेलीमंडी व्यापार मंडल के अध्यक्ष रमेश गर्ग (सेठी), भाजपा नेता एवं पूर्व पार्षद विनोद शर्मा ,विजय भार्द्वाज, आनन्द गोयल, सुभाष गर्ग, जितू चौहान, सहित अन्य ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारत तिब्बत संवाद मंच के सुशील गिरी ने कहा कि मानवाधिकार का हत्यारे, धूर्त व कपटी चीन ने सन् 1949 शुरुआत से तिब्बत के भूमि में प्रवेश किया । अन्ततः 1950 (लोह-बाघ वर्ष) को छम-दो पर दमन द्वारा कब्ज़ा किया। 1951 को साम्यवादी चीनी नेताओं ने एक तिब्बती प्रतिनिधिमंडल को “एक सत्रह सूत्रीय संधि” पर हठ पूर्वक हस्ताक्षर करने के लिए बंधक के भांति रखा गया था। उन्होंने कहा तिब्बत में चीन वहां की कला संस्कृति व ऐतिहासिक धरोहरों के साथ साथ छेड़छाड़ करके उन्हें समाप्त कर देना चाहता है। तिब्बत में वहां के लोग नरक जैसा जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं।  तिब्बती की आजादी के लिए वीर तिब्बती महिला पुरुष बलिदान दे रहे हैं, अब तक लगभग 200 युवा आत्मदाह कर अपना बलिदान दे चुके है। साम्यवादी चीनी सरकार ने तिब्बत पर लंबे समय से हिंसक दमन की नीति को तिब्बतियों का विरोध कर रहें है। चीन सरकार द्वारा तिब्बत मे दमनकारी नीति अपनाते हुए तिब्बतियों की हत्या के साथ ही पर्यावरण विनाश किया जा रहा है।

चीन द्वारा भारत के खिलाफ लगातार षड्यंत्र करने, संयुक्त राष्ट्रसंघ सहित अन्तर्राष्ट्रीय मंचो पर पाकिस्तान सहित भारत विरोधी ताकतों को समर्थन देने और भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिशों को किसी भी दशा में किसी भी दशा मे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। भारत तिब्बत संवाद मंच चीन के खिलाफ देशव्यापी जनजागरण अभियान चलाएगा। जिसके अन्तर्गत देश वासियों को चीनी उत्पादों के बहिष्कार का संकल्प लिया गया। इसी मौके पर दलाईलामा के दीर्घायू होने की सभी के द्वारा कामना की गई।

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