भाजपा के चुनावी रणनीतिकार राजनीतिक हालात पर बनाए हैं नजर

राव इंद्रजीत का एक ही दावपेच पलट सकता है राजनीति के समीकरण

एक बार फिर भाजपा-राव इंद्रजीत ने बिमला चौधरी पर ही किया भरोसा

फतह सिंह उजाला 

पटौदी । चुनाव चाहे लोकसभा का हो, चाहे विधानसभा का हो, चाहे नगर निगम का हो, चाहे नगर परिषद का हो, जिला परिषद का हो, नगर पालिका का हो या फिर देहात की अपनी सरकार का ही हो । चुनाव में मतदान से पहले की रात और 72 घंटे पूर्व , चुनावी रणनीति के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय होता है । यही वह समय होता है जब राजनीतिक प्रतिद्वंदी एक दूसरे को राजनीतिक पटकनी देने के लिए राजनीतिक रणनीति की अपनी-अपनी नीति पर चलते हुए रणनीति को अमली जामा पहनाते हुए बाजी को भी पलटने का काम कर दिखाते हैं । इसीलिए कहा गया है राजनीति के मैदान में प्रतिद्वंदी को कभी भी कमतर या कमजोर नहीं समझना चाहिए।

लोकसभा चुनाव के बाद बने हुए राजनीतिक हालात में गुरुग्राम संसदीय क्षेत्र की विधानसभा सीटों में एक आरक्षित पटौदी विधानसभा सीट पर भी सभी की नज़रें टिकी हुई है। जानकारी के मुताबिक इसका मुख्य कारण कथित रूप से राव इंद्रजीत की इच्छा के विरुद्ध 2005 में भूपेंद्र चौधरी को यहां से विधायक का चुनाव लड़वाया गया। अब एक बार फिर से पूर्व विधायक स्वर्गीय भूपेंद्र चौधरी की पुत्री पर्ल चौधरी राव इंद्रजीत सिंह की विश्वसनीय पटौदी की ही पूर्व विधायक विमला चौधरी की राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के रूप में चुनावी मैदान में सक्रिय होकर अपने और कांग्रेस के लिए वोट की फसल तैयार करने में समर्थकों सहित सक्रिय है । पिछले तीन-चार दिन में जिस प्रकार से मुकाबला भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवार के बीच टक्कर का बनता हुआ दिखा दिया है । आने वाले समय में प्रबल संभावना व्यक्त की जा रही है कांग्रेस का ही पलड़ा भारी होता चला जाएगा। सूत्रों के मुताबिक इसी प्रकार की चर्चा और जानकारी को भाजपा खेमे के द्वारा बेहद संजीदगी के साथ में लेकर अभी से अपनी रणनीति पर गंभीरता से काम आरंभ कर दिया गया है।

राजनीति के जानकार और राव इंद्रजीत सिंह की चुनावी रणनीति के रणनीतिकार सूत्रों के मुताबिक पटौदी विधानसभा सीट और अपने समर्थक की जीत सुनिश्चित करना प्राथमिकता में शामिल रहा है। अभी तक के विधानसभा चुनाव परिणाम पर ध्यान दिया जाए तो एक दो अपवाद को छोड़कर अधिकांश विधानसभा चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह की राजनीतिक रणनीति पटौदी विधानसभा सीट पर जीत में महत्वपूर्ण रही है। भाजपा सरकार की नीतियों को लेकर लोगों में बनी नाराजगी को भी नजरअंदाज करना संभव नहीं है। कुछ इसी प्रकार का गणित कांग्रेस खेमे में भी कहा जा सकता है, टिकट कटने से कांग्रेस के खेमे में भी नाराजगी को देखते हुए टिकट के प्रबल दावेदारों के द्वारा रखी गई दूरी भी महसूस की जा रही है। आज भी पटौदी विधानसभा क्षेत्र में राव इंद्रजीत सिंह के कट्टर समर्थकों की मौजूदगी विरोधी के लिए राजनीतिक चुनौती से काम नहीं है । भाजपा विरोधी लहर और कांग्रेस के पक्ष में कही जा रही सुनामी में भाजपा की बिमला चौधरी या फिर कांग्रेस की पार्लर चौधरी दोनों में से किसका नुकसान अथवा फायदा होगा ? यह  5 अक्टूबर को मतदान होने  और 8 अक्टूबर को चुनाव परिणाम आने पर सभी के सामने आ जाएगा । लेकिन सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक बात यही है कि भाजपा की रणनीतिकार और भाजपा की नजरे कांग्रेस और कांग्रेसी उम्मीदवार पर्ल चौधरी के द्वारा तैयार की जा रही वोटो की फसल पर ही टिकी हुई है। 

error: Content is protected !!