संशोधित अधिनियमों के विरोध में सरकार को सौंपा गया ज्ञापन, किसानों और कृषि कार्यों पर पड़ेगा असर

फतेह सिंह उजाला

गुरुग्राम/पटौदी, 09 अप्रैल 2025 – बीज, खाद और कीटनाशकों पर लागू नवीन संशोधित अधिनियमों के विरोध में हरियाणा में विक्रेताओं ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का बिगुल फूंक दिया है। इस हड़ताल के चलते प्रदेशभर में कृषि कार्य बाधित होने की आशंका है, जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ेगा।

गुरुग्राम जिला खाद-बीज-दवाई विक्रेता एसोसिएशन के बैनर तले एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने कृषि उपनिदेशक अनिल कुमार को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नाम ज्ञापन सौंपते हुए माँग की कि नए बीज और कीटनाशी अधिनियमों को या तो रद्द किया जाए या उसमें आवश्यक संशोधन किए जाएँ।

अध्यक्ष श्रवण गर्ग ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि मार्च 2025 में पारित बीज अधिनियम 1966 की धारा 19 तथा कीटनाशी अधिनियम 1968 की धारा 29 में ऐसे संशोधन किए गए हैं, जिनके तहत विक्रेताओं और उत्पादकों पर कठोर आर्थिक दंड एवं जेल की सजा का प्रावधान कर दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह संशोधन बिना प्रभावित पक्षों की आपत्तियाँ सुने पारित किए गए हैं, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अनदेखी है।

व्यापार पर भारी संकट
इस अवसर पर एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्यों नितिन रूस्तगी, पुरुषोत्तम सिंगला, मुकेश बोहड़ा, अशोक सिद्रावली, राजेश सैनी, दीपक गुगलानी, हिमांशु मंगला, सोनू कुंटल, सचिन, छोटू राम समेत दर्जनों दुकानदार उपस्थित रहे।

सभी ने एक स्वर में कहा कि नए प्रावधान व्यापार को तहस-नहस कर देंगे। सैम्पल के ‘सब स्टैंडर्ड’ पाए जाने पर विक्रेता को गैर-जमानती व संज्ञेय अपराध के तहत दंडित किया जाना न केवल अनुचित है बल्कि यह व्यवस्था विक्रेताओं को आतंकवादियों जैसी श्रेणी में खड़ा कर देती है।

“हम सीलबंद उत्पाद बेचते हैं, न कि खुद उत्पादक हैं,”
– इस भाव के साथ विक्रेताओं ने सरकार को याद दिलाया कि बीज व कीटनाशक उत्पाद की गुणवत्ता का उत्तरदायित्व निर्माता कंपनी का होता है, न कि लाइसेंसधारी दुकानदार का।

खेती-किसानी पर प्रभाव
विक्रेताओं ने बताया कि बीज आपूर्ति का संपूर्ण तंत्र रुक गया है। हरियाणा के अलावा राजस्थान, पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के उत्पादकों ने भी बीज आपूर्ति रोक दी है। यदि यही स्थिति बनी रही, तो खरीफ सीजन में किसान बगैर बीज व कीटनाशकों के रह जाएगा, जिससे कृषि उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा।

राज्य और केंद्र सरकार से अपील
विक्रेताओं ने केंद्र और हरियाणा सरकार से अपील की है कि किसानों और व्यापारियों – दोनों की पीड़ा को समझते हुए बीज और कीटनाशक अधिनियमों के संशोधनों पर पुनर्विचार किया जाए। उन्होंने आग्रह किया कि आर्थिक दंड को युक्तिसंगत बनाया जाए और गैर-जमानती अपराध जैसे कठोर प्रावधानों को समाप्त किया जाए।

“हरियाणा कृषि प्रधान राज्य है। कृषि हित और किसान हित सर्वोपरि है, इसलिए सरकार को बिना देर किए आवश्यक राहत प्रदान करनी चाहिए।”

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