सीड्स एंड पेस्टिसाइड्स एक्ट 2025 के विरोध में हड़ताल दूसरे दिन भी जारी
देशभर में हरियाणा से बीज व्यापार पर रोक, किसान और व्यापारी दोनों असमंजस में
फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम/पटौदी, 8 अप्रैल: हरियाणा में सीड्स एंड पेस्टिसाइड्स एक्ट 2025 के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन तेज हो गया है। बीज और कृषि-रसायन विक्रेताओं की प्रदेशव्यापी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी पूरी तरह प्रभावी रही। पटौदी, हेली मंडी, फरुखनगर, सोहना समेत कई कस्बों और ग्रामीण इलाकों में दुकानों पर ताले लटके रहे, जिससे किसानों को जरूरी दवाइयां और बीज नहीं मिल पाए।
गुरुग्राम सीड्स एंड पेस्टिसाइड्स संगठन के अध्यक्ष श्रवण गर्ग ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि नया कानून केवल बीज विक्रेताओं के लिए ही नहीं, बल्कि किसानों के लिए भी विनाशकारी साबित होगा। उनका कहना है कि सरकार ने ‘सब-स्टैंडर्ड बीज’ के नाम पर जो सख्त प्रावधान किए हैं, वे व्यावसायिक वास्तविकताओं को नजरअंदाज करते हैं।
“विक्रेता की गलती नहीं, फिर भी सजा?”
श्रवण गर्ग ने स्पष्ट किया कि बीज विक्रेता जो बीज और दवाइयां बेचते हैं, वे सभी अधिकृत कंपनियों से खरीदी जाती हैं। अगर कोई बीज खराब निकलता है, तो इसमें विक्रेता की कोई भूमिका नहीं होती, फिर भी नए एक्ट के तहत उस पर गैर-जमानती धाराओं में केस दर्ज होगा और 6 महीने से 2 साल तक की सजा और जुर्माना भुगतना पड़ेगा।
बीज आपूर्ति पर ताला, किसान परेशान
पुरुषोत्तम सिंगला, पंकज जैन, मोंटू जैसे स्थानीय व्यापारियों ने बताया कि एक्ट के चलते हरियाणा की बीज कंपनियों ने डीलरों को बीज की आपूर्ति बंद कर दी है, वहीं उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों की कंपनियों ने भी हरियाणा को बीज भेजना बंद कर दिया है।
बुधवार को करनाल में रणनीतिक बैठक
हड़ताल के बीच बुधवार को करनाल में प्रदेशभर के सीड्स व पेस्टिसाइड्स विक्रेताओं की अहम बैठक बुलाई गई है, जिसमें आगामी रणनीति तय होगी। उसी दिन सभी जिले मुख्यालयों पर सरकार के खिलाफ ज्ञापन सौंपे जाएंगे।
किसानों की खेती पर संकट गहराया
प्रदर्शनकारी दुकानदारों ने चेतावनी दी कि अगर यही स्थिति रही तो बीज की अनुपलब्धता के कारण हरियाणा का किसान फसलें नहीं बो पाएगा, जिससे सीधा असर राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
सरकार से पुनर्विचार की मांग
व्यापारियों और किसानों की मांग है कि सरकार नए एक्ट पर पुनर्विचार करे और नकली व सब-स्टैंडर्ड बीज के फर्क को समझते हुए तटस्थ नीति बनाए ताकि न किसान पिसे और न व्यापारी जेल जाए।