जामनगर हादसे में रेवाड़ी के सिद्धार्थ यादव हुए शहीद, तकनीकी खराबी के बावजूद साथी की जान बचाई

सतीश भारद्वाज, गुरुग्राम। गुजरात के जामनगर में सोमवार रात हुए फाइटर जेट क्रैश ने देशभर में एक बार फिर वायुसेना के विमानों की सुरक्षा और तकनीकी मजबूती को लेकर बहस छेड़ दी है। इस हादसे में हरियाणा के रेवाड़ी जिले के भालकी माजरा गांव निवासी फ्लाइंग लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव वीरगति को प्राप्त हो गए।

जानकारी के मुताबिक, फ्लाइंग लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव ग्रुप कैप्टन मनोज कुमार सिंह के साथ नाइट ट्रेनिंग मिशन पर थे। उड़ान के दौरान विमान में तकनीकी खराबी आ गई। खराबी को सुधारने के हरसंभव प्रयास किए गए, लेकिन जब दुर्घटना अपरिहार्य लगने लगी, तब सिद्धार्थ यादव ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अपने सीनियर साथी को सफलतापूर्वक इजेक्ट कर बचा लिया। खुद विमान में रहकर शहादत को गले लगा लिया।

अब तक मिग को ठहराया जाता था जिम्मेदार, लेकिन अब?

अब तक फाइटर जेट क्रैश का ठीकरा मिग सीरीज जैसे पुराने विमानों पर फोड़ा जाता था, जिन्हें ‘उड़ता हुआ ताबूत’ तक कहा गया। लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं कि जब तेजस, सुखोई और मिराज जैसे आधुनिक विमान भी दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं, तो इसके पीछे असली वजह क्या है?

एक साल में छह फाइटर जेट क्रैश

बीते एक वर्ष (4 जून 2024 से 2 अप्रैल 2025) में छह लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। इनमें दो जगुआर, एक मिराज और एक सुखोई शामिल हैं। वहीं, पिछले महीने पश्चिम बंगाल में वायुसेना का एयर-32 मालवाहक विमान भी क्रैश हो गया, जिसे अब तक सुरक्षित माना जाता था।

क्या मानवीय भूल बन रही है बड़ी वजह?

दिसंबर 2024 में संसद की स्टैंडिंग कमेटी द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ था। रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 से 2022 के बीच हुई कुल दुर्घटनाओं में 54% हादसे तकनीकी कारणों से नहीं, बल्कि मानवीय भूल के चलते हुए।

हादसों की दर में गिरावट, लेकिन खतरा बरकरार

रिपोर्ट के अनुसार पहले जहां हर 10,000 उड़ान घंटे में 0.9 प्रतिशत की दर से दुर्घटनाएं होती थीं, अब यह आंकड़ा घटकर 0.2 प्रतिशत पर आ गया है। इसके बावजूद आधुनिक विमानों के क्रैश होने से यह सवाल बना हुआ है कि क्या प्रशिक्षण प्रणाली, तकनीकी जांच या उड़ान से पहले की प्रक्रियाओं में खामी है?

जवानों की जान है सबसे बड़ा नुकसान

विशेषज्ञों का मानना है कि जब भी कोई फाइटर जेट क्रैश होता है, तो असली नुकसान विमान का नहीं, बल्कि उसमें तैनात सैनिक की जान जाने से होता है। फ्लाइंग लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव जैसे जांबाज अफसरों की असमय शहादत पूरे देश के लिए चिंता का विषय है।

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