Category: विचार

लव जिहाद और फसाद…..बरोदा में हाई अलर्ट और बल्लभगढ़ में लठ्म-लठ्ठ

अब जरूरत महसूस कि योगी के जिगर जैसा हो जिगर. रविवार को हुए फसाद को पहचानने में कहां हुई चूक. जनता की एक ही आवाज सजा केवल और केवल मौत…

मीडिया से सवाल क्यों नहीं ?

–कमलेश भारतीय मुम्बई के रिपब्लिक टीवी के चीफ एडिटर अर्णब गोस्वामी की रिपोर्टिंग शैली पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि मीडिया के…

आखिर क्यों बदल रहे हैं मनोभाव और टूट रहे परिवार ?

भौतिकवादी युग में एक-दूसरे की सुख-सुविधाओं की प्रतिस्पर्धा ने मन के रिश्तों को झुलसा दिया है. कच्चे से पक्के होते घरों की ऊँची दीवारों ने आपसी वार्तालाप को लुप्त कर…

मूर्ति पूजक देश में प्रधानमंत्री के पुतले जलाने के क्या इशारे ?

-कमलेश भारतीय हमारा देश मूर्ति पूजक देश है । मंदिर , पार्क, सार्वजनिक स्थानों और कितनी ही जगह मूर्तियां ही मूर्तियां ही लगी दिखती हैं । एक चंडीगढ़ ऐसा शहर…

मैला ढोने वालों की दुर्दशा

28 साल पहले एक कानून के माध्यम से इस पर प्रतिबंध लगाने एवं तकनीकी प्रगति के बावजूद, मानव अधिकारों के प्रति संवेदनशीलता पैदा करने वाली , मैनुअल स्कैवेंजिंग भारत में…

क्राइम पेट्रोल को मात देती घटनाएं

-कमलेश भारतीय बचपन से ही जासूसी उपन्यास बहुत प्रिय रहे । अपने छोटे से शहर मे दो ऐसी दुकानें थीं जो किराये पर किताबें देती थीं -एक किताब, एक दिन…

राजनीति बनती जा रही आइटम ?

कमलेश भारतीय क्या राजनीति जो कभी जनसेवा या देशसेवा के लिए की जाती थी , आइटम में बदलती जा रही है ? यदि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ…

क्यों भय के दुष्चक्र में है भारत की निर्भयाएं ?

भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा से संबंधित मामलों के के निपटान, महिला सुरक्षा उपायों और हैंडलिंग के लिए दुनिया भर में आलोचना की जा रही है। 2012 के दिल्ली…

रंगहीन राजनीति और वीभत्स होती वाणी

–धनंजय कुमार गद्दार, नायक-खलनायक, चुन्नू-मुन्नू और अन्नू, भूखा-नंगा, रावण से भी गया बीता चेहरा, काला अंग्रेज, टंच माल, आयटम, जलेबी और न जाने क्या-क्या इस चुनाव में एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप…

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