कमलेश भारतीय क्या राजनीति जो कभी जनसेवा या देशसेवा के लिए की जाती थी , आइटम में बदलती जा रही है ? यदि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ के बयान पर गौर करें तो ऐसा ही आभास होने लगता है । कमलनाथ ने राज्य में हो रहे उपचुनावों के लिए ग्वालियर के डबरा में मंत्री इमरती देवी का नाम लिए बिना कहा-मैं क्यों नाम लूं उसका? आप तो मुझसे बेहतर जानते हो । आपको तो पहले से ही सावधान कर देना चाहिए था कि ये क्या आइटम है । बताइए । पहले तो महिला, फिर मंत्री और आप सम्माननीय पूर्व मुख्यमंत्री । क्या यह आपके श्रीमुख से शोभा देता है ? कितने कितने महत्त्वपूर्ण पदों पर रहे लेकिन महिला का सम्मान करना नहीं सीख पाए । बेशक कांग्रेस के राहुल गांधी ने इस बयान पर कहा कि ये भाषा अच्छी नहीं और वे निजी तौर पर पसंद नहीं करते । फिर यह चाहे मेरी ही पार्टी के क्यो न हों ? यह बयान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है । इसके बावजूद कमलनाथ की ढिठाई देखिए कि मैं क्यों माफी मांगूंगा ? यह राहुल जी की निजी राय है । मेरा लक्ष्य किसी का अपमान करना नहीं था । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे कमलनाथ का अहंकार करार दिया । इससे पहले क्या क्या नहीं कहा हमारे सामने के संपादक और शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कंगना रानौत के बारे में -हरामखोर । बताइए यह क्या अंदाजे बयान है आपका ? क्या एक्ट्रेस के लिए या मुम्बई में आने वाले लोगों के प्रति आपकी यही भावना है ? इस पर हंगामा तो हुआ लेकिन माफी तो संजय राउत ने भी नहीं मांगी । हां , मासूम बन कर स्पष्टीकरण जरूर दिये कि हमारे मुम्बई में नाॅटी को हरामखोरी कहते हैं । बलिहारी जाऊं आपकी सादगी पर । हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने कभी लड़कियों के छेडछाड़ के मामले पर कहा था कि इसमें लड़कियों का भी रोल है जो कपड़े वे पहनती हैं । बताइए । तभी अमिताभ बच्चन ने अपनी नवासी नव्या को ट्वीट कर लिखा था कि जो तुम्हारी इच्छा हो , वे पहनो । दूसरे आपके बारे में फैसले क्यों करें ? भाजपा में सपना चौधरी के शामिल किये जाने पर आरएसएस ने नाक भौं सिकोड़ी जरूर लेकिन सपना भाजपा में ही रही और है । राजनीति को आइटम बनाने में खुद राजनीतिक दलों का ही योगदान है । कभी यूपी के मुख्यमंत्री व वरिष्ठ नेता मुलायम यादव ने भी रेप के बारे मे हल्की बात कही थी जिसकी कड़ी आलोचना हुई थी । आखिर जिन लोगों की बात पर लोग ध्यान देते हों , उन्हें सार्वजनिक तौर पर कुछ कहने से पहले सोचना चाहिए कि हमारी बात का क्या असर हो सकता है ? नारी का सम्मान करना सीखें । जब दिग्विजय सिंह ने एक टीवी एंकर से शादी की तब क्या क्या हवा नहीं चली ? यह उनकी निजी जिंदगी है । राजस्थान में भंवरों ने मदेरणा का राजनीतिक जीवन ही चौपट कर दिया । कितने किस्से और कितने उदाहरण । बस ।।आइटम गर्ल न बनाइए किसी को भी । Post navigation क्यों भय के दुष्चक्र में है भारत की निर्भयाएं ? अशफाक उल्ला खां, क्रांतिकारी इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है