अब जरूरत महसूस कि योगी के जिगर जैसा हो जिगर. रविवार को हुए फसाद को पहचानने में कहां हुई चूक. जनता की एक ही आवाज सजा केवल और केवल मौत

फतह सिंह उजाला

बीते कुछ दिनों से लव जिहाद और लव जिहाद के साथ ही जबरन धर्म परिवर्तन , इससे आगे धर्म परिवर्तन नहीं करने पर निर्मम हत्या । बीते कुछ समय की घटनाओं को देखें तो इसकी जड़ में कथित प्यार , धोखा और निर्मम हत्या ही सामने आ रही हैं । ऐसी तमाम घटनाओं को आखिर कोई भी सभ्य समाज विशेषतया हिंदू समाज, जिसकी मासूम, भोली-भाली बहन बेटियों , युवतियों को बरगला कर आसानी से अपने चुंगल में फसाया जा रहा सहन कैसे और कब तक कर सकेगा ? इसका दूसरा पहलू यह भी है कि यदि हिंदू समाज के किसी किशोर अथवा युवक का प्रेम प्रसंग मुस्लिम वर्ग की लड़की अथवा यूवती से हो जाए तो फिर युवक का भी वही हंश्र होता देखा गया है जोकि हिंदू समाज की बहन, बेटियांे, युवतियों का अब हत्या के रूप में सामने आ रहा है ।

लाख टके का सवाल यह है कि हरियाणा में बरोदा में चुनाव प्रचार के अंतिम दिन प्रचार थमने के साथ ही जहां हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया। वही इसी दिन बल्लभगढ़ में जमकर लठ्ठ भी चले और जो कुछ उपद्रव हुआ वह भी सभी के सामने हैं । इस पूरे प्रकरण में जो सबसे महत्वपूर्ण आवाज अब सामने निकल कर आ रही है वह यह है कि लव जिहाद को रोकने के लिए योगी जैसे जिगर वाला जिगर चाहिए । इस प्रकार के मामलों को जिस प्रकार से योजनाबद्ध रणनीति सहित कानूनी पहलुओं के मुताबिक योगी के द्वारा नकेल कसी जा रही है , अब उसी तर्ज पर लव जिहाद पर कार्रवाई की मांग भी जोर पकड़ चुकी है । यह बात कहने में कोई गुरेज नहीं की बल्लभगढ़ में कॉलेज छात्रा निकिता की जिस प्रकार से कथित योजनाबद्ध तरीके से अपहरण में नाकाम रहने पर बेरहमी से हत्या की गई और जो हत्या के सार्वजनिक सबूत सीसीटीवी फुटेज है, गुस्साए लोग उसी सबूत को आधार मानकर बिना समय गवाए दोषियों को सजा अर्थात सरेआम गोली मारने या फांसी दिए जाने की मांग -आवाज को बुलंद किए हुए हैं ।

रविवार को लव जिहाद के मामले को लेकर जानकारी के मुताबिक पंचायत बुलाई गई थी । जिसमें की कोई ना कोई फैसला आगामी रणनीति के लिए किया जाना था । इस पंचायत में ही कथित रूप से विवाद हो गया । यह भी नहीं भूलना चाहिए कि समाज में आज भी ऐसे तत्व मौजूद हैं, मामला चाहे कैसा भी संगीन , संजीदा या संवेदनशील हो उपद्रव करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं । इसका खामियाजा उपद्रव को नियंत्रण करने के दौरान की जाने वाली कार्रवाई में और गुस्साई भीड़ के द्वारा की जाने वाली आगजनी सहित हिंसा के रूप में भुगतना तो पड़ता ही है । लेकिन इस सब के बीच भी अनजाने में अक्सर जानी नुकसान और शारीरिक चोट भी उठानी पड़ती है । लोगों का इस पूरे मामले में अपना-अपना तर्क है , हादसे के बाद अथवा छात्रा की हत्या के बाद पीड़ित परिवार के लोगों से सरकार को बरोदा से समय चुराकर बात अवश्य करनी चाहिये थी। लोगों के द्वारा कथित राजनीतिक हित को देखते दौड़ लगाने वाले नेताओं को भी निशाना बनाया गया और खरी-खोटी भी सुनाई गई ।

यह बात कहने में संकोच नहीं कि हकीकत तो नेताओं को मालूम हो ही जाती है , लेकिन कुछ संवेदनहीन नेता जानबूझकर मामलों को तूल देने से भी नहीं चूकते और जब सच्चाई सामने आती है , नेताओं ,उनकी पार्टियों और समर्थकों के मुंह पर ताले भी लटक  जाते हैं ।

लोगों में चर्चा तो यहां तक हो रही है कि बरोदा चुनाव में जहां सरकार पूरी तरह से व्यस्त रही, तो क्या ऐसा भी संभव नहीं था की कुछ समय निकालकर तत्काल पीड़ित परिवार से मिलकर दुख दर्द को सांझा कर किसी हद तक अन्य किसी विपक्षी पार्टी, किसी संगठन या भीड़ तंत्र को सड़कों पर आने का मौका ही नहीं उपलब्ध होने दिया जाता । बहरहाल ऐसे प्रकरण, लव जिहाद जैसे प्रकरण में यूपी के सीएम योगी पहले ही कठोरतम कानून बनाने की बात कह चुके हैं । बल्लभगढ़ की घटना के बाद ही मेवात में भी उसी प्रकार का एक और मामला सामने आया , जिसको लेकर हिंदू समाज और सनातन समर्थकों का नाराज होना स्वाभाविक बात रहीं। करणी सेना ने तो दो टूक शब्दों में साफ कर दिया है कि कि अब देश में कहीं भी लव जिहाद की आड़ में किसी भी बहन बेटी की आबरू नहीं लुटने दी जाएगी । न हीं धर्म परिवर्तन होने दिया जाएगा और ऐसा कोई भी प्रयास किया गया तो करणी सेना लव जिहाद को रोकने के लिए कानून को भी हाथ में लेने से नहीं हिचकेगी।  

बहरहाल रविवार को बल्लभगढ़ में काटे गए बवाल में जहां आम लोगों को छोटे लगी, पुलिस पुलिसकर्मी भी घायल हुए । यहां एक और महत्वपूर्ण सवाल यह है कि सरकार का और पुलिस का अपना खुफिया तंत्र इस बात का आकलन करने में कैसे चूक गया कि रविवार को माहौल बल्लभगढ़ में हिंसात्मक रूप में बेकाबू भी हो जाएगा ? वही इस मामले में राजनीतिक पार्टियों के द्वारा भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर चालू हो गया है । जबकि इस प्रकार के सामाजिक ढांचे और व्यवस्था को केवल और केवल बर्बादी की तरफ ले जाते हुए हत्या के अंजाम तक पहुंचाने को देखते हुए कम से कम एक राय बनाया जाने की जरूरत बहुत जरूरी है । अब देखना यह है कि बरोदा में चुनाव का शोर थमने के बाद हाई अलर्ट के  साथ बल्लभगढ़ के घाव को किस प्रकार से भरा जा सकेगा। जबकि रविवार की हिंसा, उपद्रव को लेकर दावे अनुसार बाहरी लोग शामिल बताए गए, जिनकी पहचान के साथ कईयों को काबू भी किया गया है।

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