ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला
-अमित नेहरा


आज जब राजनीति में धर्म की घुसपैठ हद से ज्यादा हो गई है और दोनों में अंतर समझना मुश्किल हो गया है। आपको याद होगा ही कि 2014 में सिरसा में एक डेरे में एक पार्टी विशेष के लगभग सभी बड़े नेता आपराधिक मामलों में आरोपी (बाद में सजायाफ्ता) बाबा के पैरों में लेटते हुए नजर आए थे। बताया जाता है कि इससे पार्टी को काफी चुनावी फायदा हुआ था। लेकिन हरियाणा जब नया-नया बना था तब राजनीति और धर्म दोनों के बीच मर्यादा स्पष्ट दिखाई देती थी। यहाँ तक कि उस समय जब एक धर्मगुरु ने धर्म को साक्षी बनाकर अपने अनुयायियों को वोट डालने की अपील कर दी थी तो सुप्रीम कोर्ट ने इस आरोप को सही मानते हुए चुनाव ही रद्द कर दिया था।
दरअसल ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में यह तीसरा उपचुनाव है। इससे पहले 2009 में यहाँ से इनेलो की टिकट पर ओमप्रकाश चौटाला विधायक चुने गए, उसी चुनाव में चौटाला उचाना से भी विधायक बन गए और उन्होंने ऐलनाबाद से इस्तीफा दे दिया। अतः इस कारण खाली हुई सीट पर 2010 में हुए उपचुनाव में अभय सिंह चौटाला यहाँ से विधायक बने।
लेकिन ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में पहली बार हुए उपचुनाव की घटना बेहद रोमांचक है।1968 में हुए विधानसभा चुनाव में ऐलनाबाद के चुनाव काे सुप्रीम काेर्ट की ने रद्द कर दिया गया था। रद्द होने का कारण बहुत ही रोचक और चौंकाने वाला था। धार्मिक वजह से ये चुनाव रद्द कर दिया गया था। पूरी घटना इस प्रकार थी :
ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र से 1967 के पहले आम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर प्रताप सिंह चौटाला ने चुनाव लड़ा जबकि उनका सीधा मुकाबला निर्दलीय प्रत्याशी गांव भूर्टवाला निवासी लालचंद खोड से था। इस चुनाव में प्रताप सिंह चौटाला ने लालचंद खोड को हरा दिया।
वर्ष 1968 के दूसरे आम विधानसभा चुनाव में ऐलनाबाद में लालचंद खोड निर्दलीय की बजाय विशाल हरियाणा पार्टी से प्रत्याशी थे। जबकि प्रताप सिंह चौटाला की जगह कांग्रेस के उम्मीदवार थे ओमप्रकाश चौटाला। मतगणना में लालचंद खोड को 20816 वोट मिले जबकि ओमप्रकाश चौटाला को 15485 वोट मिले। लालचंद खोड ने ओमप्रकाश चौटाला को 5331 वोटों से हरा दिया।
हार जाने के बाद ओमप्रकाश चौटाला ने इस चुनाव को अदालत में चुनौती दे दी। ओमप्रकाश चौटाला ने आरोप लगाया कि एक धर्मगुरु ने धर्म को साक्षी बनाकर अपने अनुयायियों को लालचंद खोड के पक्ष में वोट डालने की अपील की थी। साथ ही उस धर्मगुरु ने अपने अनुयायियों को ओमप्रकाश चौटाला को अपना विरोधी बताकर उसे हराने का संकल्प दिलवाया था। इस बारे में ओमप्रकाश चौटाला ने सभी तथ्य अदालत में रखे। इन सबूतों को सही मानकर इसके आधार पर कोर्ट नेे ऐलनाबाद के चुनाव को रद्द कर दिया। अदालत ने इस चुनाव में भ्रष्टाचार का होना भी माना था। अदालत ने लालचंद खोड पर चुनाव लड़ने का प्रतिबंध भी लगा दिया।
ये चुनाव रद्द होने के बाद ऐलनाबाद में 1970 में उपचुनाव हुए। ऐलनाबाद के इस पहले उपचुनाव में ओमप्रकाश चौटाला पहली बार विधायक चुने गए।
चलते-चलते
विधानसभा आम चुनावों में ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र से अभी तक कांग्रेस के तीन ही विधायक चुनाव जीत सके हैं। वर्ष 1967 में प्रताप सिंह चौटाला, 1972 में बृजलाल और 1991 में मनीराम यहाँ कांग्रेस पार्टी से जीते हैं।
क्रमशः
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक, लेखक, समीक्षक और ब्लॉगर हैं)