भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। वर्तमान में देखा जा रहा है कि हरियाणा सरकार के नक्शे-कदम पर चलते हुए भाजपा संगठन के लोग भी इवेंट-इवेंट का खेल खेल रहे हैं और यदि यह कहें कि इसमें इनको प्रशासन का पूर्ण सहयोग मिल रहा है तो शायद अनुचित न होगा। इस इवेंट-इवेंट के खेल में भाजपा ही नहीं कुछ उच्च महत्वकांक्षी लोग भी शामिल हैं, जो कोविड के नाम पर, पेड़ लगाने के नाम पर या वैक्सीन लगाने के नाम पर… आदि-आदि कुछ न कुछ कार्यक्रम करते रहते हैं और कार्यक्रम के नाम पर तथा प्रशासनिक अधिकारियों को बुलाकर अपना समाज में नाम चमकाते हैं। मेरा तात्पर्य सबसे नहीं है लेकिन फिर भी ऐसे बहुत हैं, जो सेवा के नाम पर लोगों से चंदा लेते हैं। अभी पिछले दिनों एक मामला सामने आया था कि एक व्यक्ति राशन तो रेडक्रॉस से ले आता था और बांटता अपने नाम से था और समाज तथा नेताओं से सहयोग राशि वसूल रहा था। अभी पिछले दिनों गुरुग्राम में पंकज गुप्ता का मामला सामने आया था, जो 5 रूपए में भरपेट भोजन कराते थे। अपने कार्यक्रम में उन्होंने एमएलए और भाजपा जिला अध्यक्ष को भी बुलाया था लेकिन बाद में कितना घ्रणित मामला सामने आया यह आपको याद होगा। तात्पर्य यह कि इस समय जो एनजीओ सक्रिय हैं, उनकी जांच का काम भी प्रशासन और पुलिस विभाग को करना चाहिए। ऐसी जांच जिस जांच में यह देखा जाए कि वह व्यक्ति जो समाजसेवा कर रहा है, उसकी आय के साधन क्या हैं? उसका चरित्र क्या है? आदि-आदि। अब बात कर रहे थे हरियाणा सरकार के इवेंट-इवेंट की तो भाजपा कार्यकारिणी की वर्चुअल मीटिंग हुई, जिसमें क्या बात हुई वह जनता को बताया नहीं गया, कहा गया कि यह अंदरूनी बातें होती हैं लेकिन जश्न उसका भी खूब मनाया। कोविड काल में भी शहर में झंडे-बैनर लगाए। नेताओं के साथ खूब एकत्र होकर फोटो खिंचवाई। तात्पर्य यह कि कोविड प्रोटोकॉल का जमकर उल्लंघन हुआ लेकिन पुलिस विभाग की नजर नहीं पड़ी। इसी प्रकार वर्तमान में भाजपा की ओर से श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर कार्यक्रमों में पेड़ लगाए जा रहे हैं। उसमें भी कोविड प्रोटोकॉल का जमकर उल्लंघन हो रहा है। एक पेड़ लगाते हैं, दस आदमी हाथ लगाते हैं, समाचार बनवाते हैं और जमकर सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं। इस प्रकार ये लोग यह समझ रहे हैं कि हम अपने को स्थापित कर रहे हैं, जबकि जनता यह सोचती है कि इनको इन कामों के लिए तो फुर्सत है लेकिन जिन मूलभूत समस्याओं से हम जूझ रहे हैं, उन्हें हल कराने का इनको ध्यान नहीं आता। कुछ व्यक्तियों से बातचीत कर पता चला कि प्राइवेट अस्पतालों में अब भी लूट जारी है। सरकारी अस्पताल बदहाल है और जगह-जगह जो पीएचसी खोली हुई हैं, उनकी स्थिति भी बेहाल है। कहने को तो खूब किटें और दवाइयां बांट रहे हैं और मरीज को देने के लिए इनके पास दवाई उपलब्ध नहीं होती और देखिए ज्ञात हुआ है कि आयुष विभाग के कर्मचारियों को पिछले तीन माह से वेतन भी नहीं मिला, जोकि कोरोना वॉरियर्स हैं। क्या ही अच्छा हो कि भाजपा संगठन को, सरकार को और एनजीओÓज को अपना कोई भी कार्य करके इवेंट बनाने की बजाय जनता की कठिनाइयों का हल करने पर ध्यान दें कद अपने आप बढ़ जाएगा। Post navigation जिला में आज 09 लोगों ने कोरोना को हराया, आए 08 पॉजिटिव केस आउटसोर्स पर कार्यरत कर्मचारी भ्रष्टाचार की भेेंट चढ़ रहे है- भारतीय मजदूर संघ