किसान आंदोलन समर्थकों को प्रताड़ित करने का आरोप, कितलाना टोल पर 67वें दिन धरना जारी चरखी दादरी जयवीर फोगाट सरकार ने बिजली के छापे बंद नहीं करवाये तो किसान कड़े कदम उठाने को मजबूर होंगे जिसकी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी। यह चेतावनी वक्ताओं ने कितलाना टोल पर चल रहे अनिश्चित कालीन धरने को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि सरकार किसान आंदोलन को तोड़ने के लिए गांवों में बिजली के छापे मरवा कर किसान और उनके समर्थकों को परेशान करना का काम कर रही है जो असहनीय है। उन्होंने कहा कि तीन काले कानूनों से विरोध में देश भर के किसान आंदोलनरत हैं। आज 97 दिन से दिल्ली के बॉर्डर पर और विभिन्न टोलों पर 67 दिन से देश के लाखों अन्नदाता अपनी जायज मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। इस दौरान 240 से ज्यादा किसान शहादत दे चुके हैं। उनकी समस्या का समाधान करने की बजाए सरकार उल्टे उनको प्रताड़ित कर रही है। अगर सरकार ने अपना रवैया नहीं बदला तो ग्रामीण बड़ी कार्यवाही करेंगे। द्रोणाचार्य अवार्डी बॉक्सिंग कोच जगदीश सिंह ने धरने का समर्थन करते हुए कहा कि किसानों की अनदेखी सरकार को भारी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि किसान- मजदूरों की एकजुटता ने इस आंदोलन को जनांदोलन बना दिया है। कितलाना टोल पर धरने के 67वें दिन नरसिंह डीपीई, बिजेंद्र बेरला, गंगाराम श्योराण, जमात अली, रतन्नी देवी, दिलबाग ग्रेवाल, सुभाष यादव, ठाकुर अजीत सिंह, कृष्ण फौगाट ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा कल मजदूरों संगठनों के साथ बैठक कर आंदोलन में तेजी लाने के लिए आगामी रणनीति की घोषणा करेगा। धरने का मंच संचालन रणधीर घिकाड़ा ने किया। इस अवसर पर सुरजभान सांगवान, राजू मान, कमल प्रधान, सत्यवान बलियाली, धर्मेन्द्र छपार, अमन डालावास, मुकेश पहाड़ी, कृष्णा सांगवान, इंदु परमार, सुरेन्द्र कुब्जानगर, वीरेंद्र बडराई, प्रोफेसर राजेन्द्र डोहकी, महेंद्र, कप्तान रामफल, जगदीश हुई, निहाल सिंह, ओम नम्बरदार, प्रेम डोहकी, कर्ण सिंह, बलजीत, बबलू मानकवास, नरेश अजीतपुर, सूबेदार सत्यवीर, पूर्व सरपंच समुन्द्र सिंह इत्यादि मौजूद थे। Post navigation “सुख” चाहते हो तो “प्रेम, प्रीत” और “सेवा” से मुहँ ना मोड़ो। : हुजूर कँवर साहेब महाराज जी आशा वर्कस यूनियन की सदस्योंं द्वारा प्रदर्शन कर सौंपा ज्ञापन