खेतों में सिंचाई के लिए लगाए जा रहे सोलर पैनलों की गुणवत्ता काफी खराब, सबमर्सीबल पंप सेटों से नहीं हो पा रही फसलों की सिंचाई

भारत सारथी/ कौशिक

 नारनौल/ रेवाड़ी । अक्षय ऊर्जा विभाग की ओर से किसानों को सरकारी अनुदान पर खेतों में सोलर एनर्जी बेस्ड पंप सेट लगाने की योजना को संबंधित कंपनियां पलीता लगा रही हैं। एक लाख रुपए से अधिक राशि खर्च करने के बावजूद किसानों को फसल सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है, जिससे उनके सामने फसलों को बचाने का संकट खड़ा हो रहा है। इन पंप सेटों को लगाने में ही मोटा गोलमाल किया जा रहा है। सोलर पैनलों की क्वालिटी इतनी घटिया है कि इनके ज्यादा समय तक चलने की संभावनाएं ही काफी कम हैं। पैनलों को स्थापित करने में भी जमकर घालमेल किया जा रहा है।

प्रदेश सरकार की ओर से किसानों को सौर ऊर्जा पर आधारित पंप सेट स्थापित करने के लिए 75 फीसदी अनुदान देने की योजना शुरू की हुई है। इस योजना के तहत किसानों को अपने हिस्से की करीब 1.10 लाख रुपए राशि जमा करानी होती है। सिस्टम स्थापित करने के लिए विभिन्न कंपनियों को ठेका दिया हुआ है। कुछ कंपनियों की ओर से अच्छी गुणवत्ता के यंत्र लगाकर किसानों को उचित फायदा दिया जा रहा है, जबकि कुछ कंपनियों के ठेकेदार किसानों के हक पर जमकर डाका डालने का काम कर रहे हैं। सोलर पैनलों की गुणवत्ता ही इतनी खराब है कि वह लगाने के साथ ही मुड़ जाते हैं। आंधी या तेज हवाओं के दौरान इन पैनलों के टिके रहने की संभावनाएं काफी कम रहती हैं। पैनलों को लगाने के लिए नॉर्म्स के अनुसार सामग्री का इस्तेमाल भी नहीं किया जा रहा है। किसानों को इससे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खराब गुणवत्ता के चलते किसानों को सोलर बेस्ड सबमर्सीबल पंप सेटों का फायदा ज्यादा समय तक मिलता नजर नहीं आ रहा है।

रेवाड़ी जिले में बड़ी संख्या में किसान इन पंप सेटों को लगवा रहे हैं। कई किसान कर्ज लेकर पंप सेट लगवा रहे हैं, ताकि उन्हें फसल सिंचाई के लिए पानी मिल सके। गांव ढाणी कोलाना निवासी किसान राकेश और संजय ने बताया कि उन्होंने पंप सेट लगाने के बाद फसल सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी की उम्मीद की थी, लेकिन उनके पंप सेट तकनीकी खामियों का शिकार हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके सोलर पैनल स्थापित करने के लिए ठेकेदार ने न तो पर्याप्त सामग्री का इस्तेमाल किया और न ही अच्छी गुणवत्ता के पैनल लगवाए। उनके पैनल हलकी आंधी आने पर ही टूट सकते हैं। ठेकेदार की ओर से बिजली के लिए दी जाने वाली केबल व पंप सेट बांधने के लिए दिया जाने वाला रस्सा भी नियमानुसार पूरा नहीं दिया जाता। डिलीवरी का पाइप भी छोटा दिया जा रहा है। किसानों को यह सामान अपने खर्च पर खरीदना पड़ रहा है, जिससे उनकी जेब पर अनाश्यवक खर्च बढ़ रहा है।

किसानों के यह पंप सेट पूरी तरह शो-पीस साबित हो रहे हैं। किसानों का आरोप है कि जब वह इस संबंध में ठेकेदार से बात करते हैं, तो उन्हें ही देख लेने की धमकी दी जाती है। पंप सेट नहीं चलने के कारण उनकी फसलें सिंचाई के अभाव में खराब हो रही हैं। जब वह विभाग की ओर से मुहैया कराए गए ‘टॉल फ्री’ नंबर पर बात करते हैं, तो भी उन्हें कोई संतुष्टिजनक जवाब नहीं मिलता। कुल मिलाकर पैनल लगाने के नाम पर किसानों के हकों पर जमकर डाला जा रहा है। डीआरडीए रेवाड़ी के एपीओ रविंद्र कुमार ने बताया कि इस संबंध में उन्हें किसानों की ओर से कोई शिकायत नहीं मिली है। किसानों को पंप सेटों की स्थापना के बाद कमी पाए जाने पर संबंधित कागजों पर साइन नहीं करने चाहिएं। इस संबंध में अगर किसानों की ओर से शिकायत मिली, तो वह संबंधित ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।

error: Content is protected !!