उत्सुकता बहुत है लोगों में और उनके मन में उद्विग्नता का कोई अनुमान नहीं लगा सकता हर कोई व्याकुल है शशक्त ( सम्पन्न) होकर मदद करने के लिए ततपर है , आज किसानों के आंदोलन की सफलता की कामना देश का बहुत बड़ा वर्ग कर रहा है क्योंकि वो किसान ही है जिससे आढ़ती हो या व्यापारी मजदूर हो या मध्यवर्गीय दुकानदार अथवा ट्रांसपोर्ट से जुड़े लोग हों या फैक्ट्रियों , बेकरियों में काम करने वाले श्रमिक , यहां तक कि नोकरीशुदा अधिकारी फिर चाहें पुलिस हो या फ़ौज प्रत्येक व्यक्ति का जुड़ाव किसानों के परिवार से ही है बल्कि देश की जीडीपी की निर्भरता भी किसानी पर ही है , इसलिए सभी चाहते हैं कि देश के अन्नदाता की मांगे पूरी हों उसके हक़ों के खिलाफ कोई समझौता न हो । प्रत्येक व्यक्ति आज अपने स्तर पर जैसी भी मदद कर पा रहा है वह कर रहा है प्रतीक्षा है तो केवल सरकार और किसानों के मध्य होने वाली सार्थक वार्ता की उसके बाद की रणनीतियां तैयार कर ली गई हैं किसानों द्वारा , हाल ही में 360 गांवों की महापंचायत हुई आमतौर पर शांत समझे जाने वाले क्षेत्र दक्षिण हरियाणा के सर छोटूराम भवन गुरुग्राम में जहां सरकार के निर्णय को जांचकर भविष्य का फैंसला लिया जाएगा । बहुत दिनों से रेल लाइनों पर अपना शांतिपूर्ण आंदोलन चला रहे किसानों की मांगों को अनसुना करने का खामयाजा भुगत रहे हैं लोग , किसानों की चेतावनी पर भी गौर नहीं किया गया ,हल्के में लेकर उनकी उपेक्षाएं करती रही सरकारें , आज ईन किसानों को अपने घरबार छोड़े छ दिन हो गए मांगे मनवाने के लिए , उन्हें आज भी सहूलियतें देने की बजाय षड़यन्त्रकारी बताया जा रहा है गद्दार और देशद्रोहियों द्वारा प्रायोजित बताया जा रहा उनके बीच अलगाववादी छिपे हुए हैं बताया जा रहा है ? हरियाणा पंजाब के किसानों में एकता नहीं ऐसा भृम फैलाकर किसे अंधेरे में रख रहे थे हरियाणा के मुख्यमंत्री जी अपने आप को ,मोदी जी को या देश की जनता को ? आंदोलन इतना बड़ा रूप इख्तियार नहीं करता यदि ऊलजलूल बयान नहीं दिए जाते तो , किसान अपनी बातें ही तो सरकार से मनवाने आ रहे थे कोई हमला तो नहीं करने आ रहे थे देश की राजधानी दिल्ली पर जो आपने उनपर अश्रुगैस के गोले दागे ,ऐसी ठंड में पानी बरसाया , लाठी डंडे मारे, सड़कें खोद डाली , उनके ट्रक्टरों की हवा निकाली उनपर मुक़द्दमे लगाए ! सच पूछो तो मुख्यमंत्री जी के बयानों ने आग में घी का काम किया है और अब ईस ज्वाला की तपन से निज सरकार भी झुलसे बगैर नहीं रह सकती ईस झुलस से बचने का केवल एक ही मार्ग है और वह है किसानों से सहमति जिसे सरकार को मानना ही होगा क्योंकि आज देश प्रदेश का अधिकांश तबका यही चाहता है उनकी सेवा करना अपना धर्म समझता है और जिसके लिए उन्हें सरकार को भी बाध्य करना पड़ेगा तो वह पीछे नहीं हटेंगे । हरियाणा सरकार की अपरिपक्वता और निष्ठुरता को पूरा देश ही नहीं पूरे विश्व ने देखा है , स्वम् मोदी जी के लिए भी संकट पैदा कर दिया है ईन फिजूल बयानबाजियों से आंदोलन को भड़काकर ।बकौल तरविंदर सैनी ( माईकल ) लोसुपा वास्तविक स्तितियाँ यह हैं कि सूबे के क़ई निर्दलीय विधायकों का सत्ता की भागीदारी से दूर होना जारी है और जिन्होंने चिपकू राजनीति के चलते पद, प्रतिस्ठा, कुर्सी के मोह में किसानों के प्रति सहयोगात्मक रुख नहीं अपनाया है उनके राजनैतिक भविष्य का समझीये कि गर्भ में ही भूर्ण समाप्त हो जाने के समान होगा – कारण जनता इनकी महत्वकांशाओं को देख परख रही है बारीकी से और जिसे वह समय आने पर जाहिर जरूर करेगी । Post navigation देश में पहली बार मास्क और सैनिटाइजर का भात भरा गया कॉविड 19 अपडेट…दिसंबर के पहले दो दिन में निकल गया दस का दम !