• मोदी जी के जन्मदिवस पर देशभर के बेरोज़गार युवा दिखे भारी आक्रोश में. • यूपी सरकार की संविदा नीति के खिलाफ इलाहाबाद में प्रदर्शन कर रहे युवाओं पर लाठीचार्ज और गिरफ्तारी, ‘युवा हल्ला बोल’ ने जताया रोष. • युवाओं से किए वादों को अब भी पूरा करे मोदी जी, वरना हर साल 17 सितंबर ‘जुमला दिवस’ की तरह याद किया जाएगा: ‘युवा हल्ला बोल’. • मीडिया या राजनीतिक दल की मदद के बिना बेरोज़गारी का एजेंडा सेट करके युवाओं ने मोदी जी को दिखा दिया कि वो भी आत्मनिर्भर हैं: गोविंद मिश्रा. • बेरोज़गारी को दूर किये बिना देश का विकास संभव नहीं: अनुपम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 70वां जन्मदिवस देशभर के युवाओं ने यादगार बना दिया। ‘युवा हल्ला बोल’ आंदोलन की अपील पर इस दिन को युवाओं ने “जुमला दिवस” की तरह मनाया तो कई अन्य युवा संगठनों और राजनीतिक दलों ने बेरोज़गारी दिवस का आह्वाहन भी किया। कुल मिलाकर बेरोज़गार युवाओं ने प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर अपना एजेंडा सेट कर दिया। ‘युवा हल्ला बोल’ आंदोलन से जुड़े अलग अलग समूहों और भर्तियों से संबंधित बेरोज़गार छात्रों ने कहा कि मोदी जी द्वारा युवाओं से किये गए वादे सिर्फ जुमले साबित हुए हैं। यही कारण है कि इस दिन को जुमला दिवस की तरह मनाकर बेरोज़गारी के सवाल पर देश का ध्यान आकृष्ट किया गया। ‘युवा हल्ला बोल’ के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम ने कहा कि देश का विकास तभी संभव है जब इस भीषण बेरोज़गारी को दूर करने के उपाय किये जाएंगे। इस सफल डिजिटल प्रोटेस्ट पर सभी को बधाई देते हुए अनुपम ने कहा कि बिना टीवी मीडिया की मदद के और बिना राजनीतिक दलों के आगे पीछे किए युवाओं ने आज अपना एजेंडा खुद सेट कर लिया। 17 सितम्बर के जुमला दिवस और बेरोज़गारी दिवस की ज़ोरदार सफलता से मोदी जी को ये भी संदेश मिल गया होगा कि देश के युवा कितने “आत्मनिर्भर” हो चुके हैं। अब ये बेरोज़गार युवा मीडिया या पार्टियों के भरोसे नहीं हैं। 17 सितम्बर को दिनभर युवाओं में बेरोज़गारी के मुद्दे को लेकर भारी आक्रोश दिखा। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में नई संविदा नीति के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे युवाओं पर लाठीचार्ज की भी सूचना मिली। शहर के बालसन चौराहे पर युवा मंच के नेतृत्व में भारी संख्या में युवाओं ने संविदा नियमावली को वापिस लेने की मांग की जिसके बाद उनपर लाठीचार्ज और गिरफ्तारी की खबर है। ‘युवा हल्ला बोल’ ने युवाओं पर हुई पुलिस की कार्रवाई पर रोष प्रकट किया है। ‘युवा हल्ला बोल’ के नेशनल कॉर्डिनेटर गोविंद मिश्रा ने बताया कि संगठन के हेल्पलाइन पर छात्र युवा लगातार संपर्क करके अपनी व्यथा और पीड़ा साझा कर रहे हैं। कई तरह की सरकारी भर्तियां हैं जिनमें या तो विज्ञापन नहीं निकलता, या परीक्षा नहीं होती, या धांधली गड़बड़ी हो जाती है, या परिणाम नहीं निकलता या फिर समय पर नियुक्ति नहीं मिलती। लेकिन अफसोस कि बात है कि सरकार इन प्रक्रियायों को सुधारने के प्रति गंभीर नहीं है। उल्टा रोज़गार के अवसरों में कटौती करने की लगातार कोशिशें हो रही हैं। ‘युवा हल्ला बोल’ इन मुद्दों को आगे भी मजबूती से उठाकर न्याय की लड़ाई लड़ता रहेगा। अब भी हम निवेदन करते हैं कि यह सरकार और इसके मुखिया युवाओं से किये गए अपने वादों को जल्द से जल्द पूरा करे। वरना कहीं ऐसा न हो कि आने वाले हर साल 17 सितंबर को जुमला दिवस की तरह ही याद किया जाने लगे। Post navigation फिल्मी दुनिया या गटर गंगा ? सोलह साल के नहीं बन जाएंगे मोदी जी : माईकल सैनी