पूरे विश्व के शेयर बाजारों में हाहाकार ! भारत में चंद मिनट में 19 लाख करोड़ स्वाहा:

भारतीय शेयर बाजार में जितनी बड़ी गिरावट 7 अप्रैल को 1 दिन में देखी गई, यह पहली बार नहीं, इसके पहले भी कई बार हो चुका है-गहन चिंतन ज़रूरी

-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

गोंदिया – 7 अप्रैल 2025 को वैश्विक शेयर बाजारों में जो भयानक गिरावट देखने को मिली, उसने निवेशकों के होश उड़ा दिए। भारत में चंद मिनटों में ही 19 लाख करोड़ रुपये की पूंजी स्वाहा हो गई। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों प्रमुख सूचकांक जबरदस्त गिरावट के साथ खुले और निवेशकों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा। लेकिन यह कोई पहली बार नहीं है जब ऐसा हुआ हो—ऐतिहासिक रूप से भी कई बार ऐसी गिरावट देखी जा चुकी है। इस लेख में हम इस हालिया घटनाक्रम के पीछे के कारणों और इसके वैश्विक प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।

वैश्विक घटनाओं का असर शेयर बाजारों पर

वैश्विक घटनाएं जैसे युद्ध, सत्ता परिवर्तन, महामारी, नीतिगत बदलाव आदि हमेशा शेयर बाजारों को प्रभावित करते रहे हैं। इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 180 देशों पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा ने वैश्विक स्तर पर कोहराम मचा दिया है। चीन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर 34% टैक्स लगाने की बात कही है, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका और बढ़ गई है।

भारत में शेयर बाजार का प्रभाव

7 अप्रैल को भारतीय बाजार लाल निशान में खुले।

  • सेंसेक्स: 3,939.68 अंक की गिरावट के साथ 71,425.01 पर खुला।
  • निफ्टी: 1,160.8 अंक गिरकर 21,743.65 पर पहुंचा।

कुछ ही घंटों में निवेशकों को करीब 19.4 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। टाटा ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे अकेले इस समूह के निवेशकों को 1.49 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

अन्य देशों में भी हाहाकार

  • हॉन्गकॉन्ग: हैंग सेंग इंडेक्स में 13% से अधिक की गिरावट—1997 के एशियाई वित्तीय संकट के बाद सबसे बड़ी।
  • ताइवान: ताइएक्स इंडेक्स में 10% तक गिरावट।
  • दक्षिण कोरिया: कोस्पी इंडेक्स में 5% गिरावट, कई कंपनियों पर लोअर सर्किट लगा।
  • जापान: निक्केई 225 इंडेक्स 7.8% गिरकर 1.5 साल के निचले स्तर पर।
  • यूरोप: जर्मनी का DAX इंडेक्स 10% गिरा, लंदन का FTSE 100 करीब 6% लुढ़का।

इतिहास में ऐसे और काले दिन

भारत में शेयर बाजार की गिरावट कोई नई बात नहीं है। कुछ प्रमुख उदाहरण:

  1. 4 जून 2024 – चुनाव परिणामों के दिन सेंसेक्स 6094 अंक गिरा।
  2. 23 मार्च 2020 – कोविड-19 के डर से सेंसेक्स 3,935 अंक टूटा।
  3. 12 मार्च 2020 – यस बैंक संकट और महामारी से 2,919 अंक की गिरावट।
  4. 9 मार्च 2020 – तेल कीमतों में गिरावट से 1,941 अंकों की गिरावट।
  5. 27 फरवरी 2020 – कोविड डर से 1,448 अंक की गिरावट।
  6. 24 फरवरी 2020 – शुरुआती महामारी डर से 806 अंक की गिरावट।
  7. 6 फरवरी 2020 – बजट के बाद अस्थिरता से 1,000 अंक की गिरावट।
  8. फरवरी 2020 – बजट निराशा से 2,100 अंकों की गिरावट।

निष्कर्ष: गहन चिंतन की आवश्यकता

आज की वैश्विक स्थिति हमें यही सिखाती है कि बाजार में स्थिरता एक मिथक है। वैश्विक घटनाएं, राजनीतिक अस्थिरता, और आर्थिक नीतियां सीधा प्रभाव डालती हैं। 7 अप्रैल 2025 को हुई ऐतिहासिक गिरावट ने यह साफ कर दिया है कि निवेशकों को दूरदर्शिता, विवेक और सतर्कता के साथ कदम उठाना होगा। साथ ही सरकारों को भी ऐसे झटकों से निपटने के लिए मजबूत और लचीले आर्थिक ढांचे की आवश्यकता है।

-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

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