मातृभूमि सेवा मिशन आश्रम परिसर मे काइंड बीइंग्स कुरुक्षेत्र इकाई द्वारा सनातन संस्कृति एवं युवा पीढ़ी विषय पर युवा विमर्श कार्यक्रम आयोजित।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र 20 अप्रैल : आज के विषाक्त वातावरण को दृष्टिगत रखे हुए सनातन की शिक्षा ही भारत की संस्कृति की रक्षक बनेगी। आज जिस तरह से पाश्चात्य संस्कृति का भारत के कोने-कोने में आक्रमण हुआ है। वह किसी भी सैन्य आक्रमणों से कई गुना भयावह एवं हानिप्रद है। आज सनातनी अर्थात हिंदू संस्कृति को जिस तरह से मनोवैज्ञानिक ढंग से अप्रसांगिक सिद्ध करने के प्रत्यक्ष एवं परोक्ष प्रयास चल रहे हैं, वह आसानी से देखे व समझे जा सकते हैं। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने सामाजिक संस्था काइंड बीइंग्स कुरुक्षेत्र इकाई द्वारा मातृभूमि शिक्षा मंदिर परिसर मे सनातन संस्कृति एवं युवा पीढ़ी विषय पर आयोजित युवा विमर्श कार्यक्रम मे व्यक्त किये। काइंड बीइंग्स कुरुक्षेत्र इकाई के सदस्यों ने कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट्रभक्ति के गीतों से किया।

युवाओं को सम्बोधित करते हुए मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा सनातन संस्कृति, जिसका गहरा संबंध भारतीय सभ्यता से है, न केवल धार्मिक धारणाओं का संग्रह है, बल्कि यह एक सम्पूर्ण जीवन दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। यह संस्कृति अपने भीतर विविधतापूर्ण तत्वों को समाहित करती है, जो युवाओं को प्रेरित करने का कार्य करती है। इसके ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो, सनातन संस्कृति की जड़ें प्राचीन काल तक फैली हुई हैं, जहां पर प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का बोध कराया जाता था। इस संस्कृति में महान ऋषियों और संतों द्वारा प्रस्तुत शिक्षाएं और नैतिक मूल्य न केवल आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाने में सहायक होती हैं, बल्कि यह युवाओं को आत्मिक विकास की ओर प्रेरित भी करती हैं। जब युवा पीढ़ी इन शिक्षाओं को अपनाती है, तो वे अपने जीवन में अनुशासन, समर्पण और सेवा की भावना विकसित कर सकते हैं।

डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा वर्तमान समय में, जब समाज विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहा है, ऐसे में सनातन संस्कृति की उच्चतम ज्ञान और मूल्य प्रणाली युवाओं के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य कर सकती है। धर्म और अध्यात्मिकता का चेहरा भी इस संस्कृति के द्वारा ही उजागर होता है। भारतीय धार्मिकता में निहित तत्व जैसे मानवता की सेवा, प्राकृतिक संतुलन, और दूसरों के प्रति सम्मान, युवाओं को एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। इस प्रकार, सनातन संस्कृति एक प्रेरणा का स्रोत बनकर उभरती है, जो युवाओं को न केवल अपने व्यक्तिगत विकास के लिए प्रेरित करती है, बल्कि उन्हें सामाजिक परिवर्तन के लिए भी प्रोत्साहित करती है। युवा विमर्श कार्यक्रम में काइंड बीइंग्स के अनेक सदस्यों ने अपने विचार एवं अनुभव साँझा किये। आभार ज्ञापन काइंड बीइंग्स कुरुक्षेत्र इकाई के संयोजक राघव गर्ग ने किया। कार्यक्रम का संचालन सदस्य मोंटी ने किया। कार्यक्रम के समापन पर काइंड बीइंग्स के सदस्यों ने मातृभूमि शिक्षा परिसर के बच्चों के साथ सहभोज किया। कार्यक्रम में काइंड बीइंग्स के नमन गर्ग, सुश्री श्वेता, सौरभ, समीर, हर्षित, रमन, ध्रुव, चिराग, रीत, नवजोत, प्रज्जवल, भुवन,सागर आदि सदस्य उपस्तित रहे।

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