आज से भाजपा का घर-घर अभियान आरंभ

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक
पूरे देश में कोरोना बहुत तेजी से विस्तार करता जा रहा है। अब इसे उपलब्धि कहें या शर्म। दुनिया में छठा स्थान कोरोना में भारत ने हासिल कर लिया है। देश की अर्थव्यवस्था गर्त में जा रही है। गरीब रोजी-रोटी को तरस रहा है। व्यापारियों के काम ठप पड़े हैं। विद्यार्थी स्कूल न जाने को मजबूर हैं। ऐसी अवस्था में आज रविवार से भाजपा का घर-घर जाने का अभियान आरंभ हो रहा है।

सलाम है भाजपा के हौसले को कि इन विकट परिस्थितियों में भी जब देश की जनता अपने अस्तित्व बचाने की सोच में डूबी हुई है, उस समय में सरकार अपने कार्यकाल की एक वर्ष की उपलब्धि गाने को आतुर है। महामारी में जहां जवान ही नहीं, छोटे-छोटे बच्चे और वृद्ध परेशान हैं, कोरोना की दहशत लोगों में दिल में बैठी हुई है। और उस पर भी बारंबार सलाम है भाजपा के हौसले को जो घर-घर जाकर अपने कार्यकाल के गीत गाएंगे।

भाजपा के हौसले को सलाम करना ही पड़ेगा, क्योंकि इस विकट परिस्थिति में भी उसे अपनी राजनीति और प्रसिद्धि नजर आ रही है। परंतु देखने वाली बात यह होगी कि जब भाजपा के कार्यकर्ता उन लोगों को जो अपने अस्तित्व, अपने जीवन की परेशानियों में घिरे हुए हैं, उन्हें जाकर बताएंगे कि हमने धारा 370 हटा दी और तीन तलाक, राम मंदिर आदि काम कर दिए तो क्या उन मजबूर, व्यथित चेहरों पर कोई खुशी आएगी या वे आक्रोश में भरकर अपने आप में जलते रहेंगे या फिर वे अपने आक्रोश को काबू में न कर पाए, वे इन लोगों को अपशब्द नहीं बोलेंगे इसीलिए कहते हैं सलाम भाजपा के हौसले को।

बात घर-घर पहुंचने की है। हरियाणा में तो सोनाली फौगाट ने भाजपा का चरित्र घर-घर पहुंचाने की शुरुआत कर ही दी है। इसी प्रकार कोरोना में जो दिन-दिनों वृद्धि होती जा रही है और उस समय भाजपा के कार्यकर्ता ही नहीं, नेता और मुख्यमंत्री भी इस बात पर कुछ नहीं बोलते तो फिर घर-घर में सत्तारूढ़ दल की बात तो होती है, वह तो घर-घर पहुंच ही रहा है।

अब हम गुरुग्राम की बात करें तो दिनों-दिन कोरोना मरीज बढ़ रहे हैं। पहले सरकार कहती थी कि यह घातक बीमारी है और लोगों को बहुत अधिक समय का इलाज क्वारंटाइन औश्र आइसोलेशन बता रही थी लेकिन जैसे-जैसे भाजपा की उपलब्धियां गाने का समय आया, वैसे ही मरीज बढ़ते हुए भी लॉकडाउन समाप्त हो गया। गुरुग्राम में प्रशासन की ओर से संदेश आया कि 80 प्रतिशत लोगों को कोरोना स्पर्शात्मक हैं, यह घर में रहकर भी ठीक हो जाता है। ऐसे ही जो मरीज अस्पताल में दाखिल होते थे, उनका समय भी चार दिन आ गया।

जो हर जगह सेनेटाइजेशन की बात चल रही थी, वह भी समाप्त सी ही नजर आ रही है। अब यह विचारनीय विषय है कि सरकार ने क्या कोरोना पर कोई विशेष अध्यन कर लिया है, जो पहले जनता को इतना घातक बता रहे थे और लॉकडाउन लगाकर चेन तोडऩे की बात कर रहे थे, अब वही कोरोना घातक नहीं रह गया। जिस व्यक्ति को कोरोना हो जाता है, उसके घर में भी सरकार की ओर से सेनेटाइजेशन नहीं हो रहा है और कहीं होता भी है तो उसके लिए सिफारिशें लगाई जाती हैं। प्रश्न यह है कि यह कैसा डिजास्टर एक्ट है?

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