गज पे सवार होके आजा शेरांवांलिएं – शेरावांलिएं मां ज्योतावांलिएं
चैत्र नवरात्रि देवी दुर्गा के हर स्वरूप की उपासना का पर्व है, जो नारी शक्ति के हर पहलू को दर्शाता है और महिला सशक्तिकरण की अद्भुत मिसाल पेश करता है।
-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

भारत की आध्यात्मिक परंपरा और नवरात्रि का महत्व
भारत अपनी आध्यात्मिक और धार्मिक मान्यताओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां विभिन्न धर्मों, जातियों और परंपराओं के अनुसार धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है, जो हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होती है। इस वर्ष यह पर्व 30 मार्च 2025 से 6 अप्रैल 2025 तक मनाया जाएगा।
नवरात्रि और मां दुर्गा का आगमन
इस बार चैत्र नवरात्रि रविवार से प्रारंभ हो रही है, जिसके कारण मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब नवरात्रि रविवार या सोमवार से शुरू होती है, तो मां दुर्गा का वाहन हाथी होता है, जो अधिक वर्षा और समृद्धि का संकेत देता है।

नवरात्रि के नौ दिन और देवी के स्वरूप
चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है:
- शैलपुत्री – हिमालय की पुत्री, जिन्हें घी का भोग लगाया जाता है।
- ब्रह्मचारिणी – तपस्या की देवी, जिन्हें शक्कर का भोग दिया जाता है।
- चंद्रघंटा – राक्षसों के संहारक स्वरूप, जिनका भोग दूध और खीर है।
- कूष्मांडा – सृष्टि की रचनाकार, जिन्हें मालपुए का भोग लगाया जाता है।
- स्कंदमाता – कार्तिकेय की माता, जिन्हें केले का भोग दिया जाता है।
- कात्यायनी – शक्ति और युद्ध की देवी, जिन्हें शहद अर्पित किया जाता है।
- कालरात्रि – नकारात्मक ऊर्जा का विनाश करने वाली, जिन्हें गुड़ का भोग दिया जाता है।
- महागौरी – शांति और सौंदर्य की देवी, जिनका भोग नारियल है।
- सिद्धिदात्री – सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी, जिन्हें हलवा-पूरी और चने का भोग दिया जाता है।
कन्या पूजन और दुर्गाष्टमी का महत्व

अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन नौ कन्याओं को भोजन कराकर देवी का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
नवरात्रि के समापन का महत्व
इस वर्ष नवरात्रि का समापन रविवार, 6 अप्रैल 2025 को होगा। मान्यताओं के अनुसार, यदि नवरात्रि रविवार या सोमवार को समाप्त होती है, तो मां दुर्गा भैंसे पर सवार होकर जाती हैं, जिसे शुभ नहीं माना जाता। यह प्राकृतिक आपदाओं और रोगों के बढ़ने का संकेत हो सकता है।
निष्कर्ष
चैत्र नवरात्रि न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि यह नारी शक्ति और महिला सशक्तिकरण का भी प्रतीक है। इस दौरान भक्तजन मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना कर सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।