सत्ता की शतरंज ……. … देहात में देख रहे बाट ग्रामीण थामे पर्ल चौधरी का हाथ

कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक के अलावा व्यक्तिगत व्यक्तिगत वोट बैंक का भी महत्व

करीब 100 गांव और पुराना पटौदी और हेली मंडी नगर पालिका क्षेत्र में इंतजार

उच्च शिक्षित कांग्रेस की पर्ल चौधरी को लेकर देहात में चर्चा और जिज्ञासा

फतह सिंह उजाला

पटौदी । 2024 में हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 5 अक्टूबर को मतदान का दिन निश्चित किया गया है। इससे पहले 16 सितंबर सोमवार को नामांकन वापस लेने के साथ चुनाव लड़ने के गंभीर उम्मीदवार ही मैदान में अपनी दावेदारी, पार्टी की नीतियों और वादों के साथ दौड़ लगाना आरंभ कर देंगे । मतदान से लगभग 20 दिन पहले संडे को खामोशी के साथ देहात के इलाके में मतदाता और ग्रामीणों के मन को समझने और पढ़ने का प्रयास किया गया । यह बात तो साफ हो गई की मुख्य मुकाबला राव इंद्रजीत सिंह की विश्वसनीय भाजपा की पूर्व विधायक विमला चौधरी और पटौदी के ही पूर्व विधायक स्वर्गीय भूपेंद्र चौधरी की पुत्री कांग्रेस उम्मीदवार श्रीमती पर्ल चौधरी के बीच होना निश्चित है।

यहां गांव का नाम और ग्रामीणों का नाम लिखने से परहेज किया जाना बेहतर समझ गया । देहात में चर्चा तो इसी बात को लेकर है मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होगा। लेकिन जब मुख्य मुकाबले के उम्मीदवारों की चर्चा विभिन्न स्थानों पर ग्रामीणों के बीच सुनते हुए समझने का प्रयास किया गया तो यह बात खुलकर निकाल कर आई की देहात में सबसे अधिक इंतजार, जिसको की देहात की भाषा में बाट भी कहा जाता है, प्रदेश एससी सेल की प्रदेश महासचिव कांग्रेस नेत्री श्रीमती पर्ल चौधरी के पहुंचने और उनकी बात सुनने को लेकर ही जिज्ञासा बनी हुई है । बरसात के बाद बाजरे की फसल की खराब होने की चिंता की चर्चा करती हुई ग्रामीण महिलाओं में वोट की चर्चा के साथ, दो महिलाओं में से किस को समर्थन किया जाए या कौन अच्छा हो सकता है? इस पर भी बात सुनी गई। अपनी बात को कहने वाली संभवत  ग्रामीण परिवार की बहू थी, जिसके द्वारा कहा गया कांग्रेस पार्टी ने इस बार बहुत पढ़ी लिखी महिला को चुनाव में टिकट दी है। इसी कड़ी में साथ में बैठी बुजुर्ग महिला बोली मेरी बेटी भी और मेरी बहू भी खूब पढ़ी-लिखी है। आज के समय में पढ़ा लिखा होना बहुत जरूरी है।

तीन-चार गांव को छोड़ अचानक से एक गांव की दुकान पर चाय पीने के लिए रुकने पर भी वहां बैठे लोगों के बीच चुनाव की ही चर्चा हो रही थी। चर्चा का मुद्दा और बहस यही रहा की कौन सी पार्टी के राज में आम आदमी को क्या सुविधा रही ? किसने कितने वादे किए ? काम के लिए परेशानी हुई या जल्दी काम हुए ? दुकानदार चाय डालते हुए बोला गली सड़क रास्ते बनेंगे भी और टूटते भी रहेंगे। इलाके और इलाके के लोगों के भले के लिए काम ऐसे होने चाहिए जो लंबे समय तक लोगों को सुविधा मिलती रहे । इसी बीच में एक अन्य अधेड़ व्यक्ति ने चाय की चुस्की लेते कहा भूपेंद्र चौधरी याद है, पटौदी का बस अड्डा, पटौदी का अस्पताल, पटौदी का सब डिवीजन और भी कई काम, यह उसके राज में ही  किये गए थे । इनका फीता चाहे किसी और ने काटा हो , जनता जब मौका दे तो  नींव ऐसी रखनी चाहिए आने वाले टाइम में उस पर बिल्डिंग बनाना दूसरे आदमी या नेता के लिए मजबूरी बन जाए।

वापस लौटते हुए गांव के बाहर बैठे ग्रामीणों में मौजूद परिचितों ने आवाज लगाकर रोक लिया और पत्रकार का ही मन टटोला पत्रकार भाई क्या कुछ चल रहा है, किसकी हवा है, आप तो सारे इलाके में घूमते हो सीधा सवाल दाग दिया ? लोगों का मन और मिजाज जानने के लिए ही निकले हैं, इतना जवाब सुनने के बाद ग्रामीणों में से एक नहीं जवाब दिया भूपेंद्र चौधरी ने ही अनुसूचित वर्ग की चांद नगर ढाणी के लोगों को कांग्रेस की सरकार में ही वोट डालने का अधिकार दिलाया था। भाई पता है या नहीं , यह ढाणी संयुक्त पंजाब के टाइम मंत्री रहे केंद्र में मंत्री रहे चांद  राम के नाम पर ही बसी हुई है। गरीब आदमी को काम के लिए भूपेंद्र चौधरी ने कतई भी परेशान नहीं होने दिया । नेता ऐसे काम करें तो भाई हमेशा याद किया जाता है। कुल मिलाकर निष्कर्ष यह निकला की भाजपा की उम्मीदवार पूर्व विधायक विमला चौधरी का चेहरा तो फिर भी जाना पहचाना हो चुका है । लेकिन अब आम लोगों की अपेक्षा के अनुरूप सत्ता परिवर्तन के लिए उतावले दिख रहे ग्रामीणों के बीच बहुत ही बेसब्री के साथ कांग्रेस की उम्मीदवार श्रीमती पर्ल चौधरी से आमने-सामने मिलने का इंतजार महसूस किया गया। जिससे कि कांग्रेस, कांग्रेस के चुनाव चिन्ह हाथ और पर्ल चौधरी को लेकर, पटौदी में इतिहास को दोहराते हुए फिर इतिहास के रूप में लिख सके।

Previous post

नारनौल में नायब सिंह सैनी को उनकी बिरादरी ने बैरंग लौटाया, बागी प्रत्याशी भारती सैनी का नामांकन वापस करवाने आए थे

Next post

हम किसी को हराने के लिए नहीं बादशाहपुर के रुके हुए विकास को गति देने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं : वर्धन यादव

Post Comment

You May Have Missed