दुनियाँ भर की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मची टैरिफ वार तमाम देशों के लिए मुसीबत बंना
चीन अमेरिका से सीधा टकराव के मूड में है, तो भारत टैरिफ का ज़वाब टैरिफ से देने के पक्ष में नहीं जो विपक्षीय व्यापार समझौते में कारगर सिद्ध होगा
-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

वैश्विक अर्थव्यवस्था एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक टकराव ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयातित वस्तुओं पर 104 प्रतिशत टैरिफ लगाने का फैसला कर एक नया भूचाल ला दिया है। इसके जवाब में चीन ने भी अपने टैरिफ बढ़ाकर 84 प्रतिशत कर दिए हैं। इस टकराव का असर भारत समेत पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं पर गहरा पड़ रहा है।
अमेरिका-चीन टैरिफ वॉर: बढ़ता तनाव
ट्रंप प्रशासन की ओर से 104 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा 8 अप्रैल 2025 से लागू हो गई है। यह निर्णय चीन द्वारा पहले लगाए गए 34 प्रतिशत टैरिफ का प्रतिशोध है। ट्रंप ने इस कदम को ‘अनुचित व्यापार प्रथाओं’ का जवाब बताया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर ट्रंप ने चीन की आलोचना करते हुए कहा कि “बीजिंग घबरा गया है और ऐसे काम कर रहा है जो वह बर्दाश्त नहीं कर सकता।”

इस टैरिफ युद्ध का इतिहास 2018 में ट्रंप के पहले कार्यकाल से शुरू होता है, जब अमेरिका ने चीन पर दबाव डालने के लिए टैरिफ लगाया था। अब 2025 में ट्रंप की सत्ता में वापसी के साथ यह तनाव फिर से चरम पर पहुंच गया है।
भारत पर संभावित प्रभाव
भारत पर इस युद्ध का सीधा असर खासकर आईटी और एक्सपोर्ट इंडस्ट्री पर पड़ सकता है। अगर अमेरिका और चीन के बीच यह व्यापार युद्ध और तीव्र होता है, तो भारत की सबसे तेज़ी से बढ़ती व्यापारिक गतिविधियां मंद पड़ सकती हैं।
हालांकि भारत अभी टैरिफ का जवाब टैरिफ से देने के पक्ष में नहीं है। भारत एक रणनीतिक स्थिति में है और वर्तमान में अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते की दिशा में काम कर रहा है, जिससे दीर्घकालिक लाभ मिल सकते हैं।
चीन की भारत से मदद की अपील
चीन की भारत में एम्बेसी के प्रवक्ता ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वैश्विक व्यापार और विकास के लिए बहुपक्षीयता का समर्थन और संरक्षणवाद का विरोध जरूरी है। चीन ने भारत को “वैश्विक दक्षिण” देशों की एकता का प्रतीक मानते हुए कहा कि दोनों देशों को मिलकर अमेरिका की नीतियों का जवाब देना चाहिए।

वैश्विक प्रभाव: अर्थव्यवस्था पर गहरा संकट
7 अप्रैल 2025 को दुनियाभर के शेयर बाजार गिर गए। हालांकि चीन ने अपनी सरकारी कंपनियों और बैंकों के जरिए यह सुनिश्चित किया कि उसका बाजार ज्यादा प्रभावित न हो। अमेरिका में महंगाई और मंदी की आशंका बढ़ती जा रही है, वहीं टैरिफ से उपभोक्ता वस्तुएं और अधिक महंगी हो सकती हैं, जिससे आम अमेरिकी प्रभावित होगा।
निष्कर्ष
इस समय दुनिया को एक संतुलित और दूरदर्शी नीति की आवश्यकता है। भारत को चाहिए कि वह अमेरिका के साथ मजबूत राजनीतिक और व्यापारिक संबंध बनाए रखे और विवादों से बचते हुए विजन 2047 की ओर अग्रसर हो। चीन और अमेरिका की इस टैरिफ जंग में भारत को तटस्थ और संतुलित भूमिका निभानी चाहिए, ताकि वह वैश्विक मंच पर अपनी सकारात्मक छवि और आर्थिक हित सुरक्षित रख सके।
लेखक परिचय:
संकलनकर्ता, लेखक, आर्थिक विशेषज्ञ, स्तंभकार, साहित्यकार, अंतरराष्ट्रीय चिंतक, कवि, संगीत माध्यम सीए(एटीसी) और एडवोकेट – किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र