आखिरी दिन मेले में बंपर हुई खरीदारी, दोपहर से देर रात तक लगी रही लोगों की भीड़
मेले की व्यवस्था, साफ-सफाई व सुरक्षा आदि को लेकर लोगों ने मेले की सराहना की
26 से 11 नवंबर तक चलने वाले इस उत्सव में 800 के करीब महिला शिल्पकलाकार, 400 से अधिक स्टॉलों पर अपनी अपनी उत्कृष्ट प्रदर्शनी का प्रदर्शन किया

गुरुग्राम, 11 नवंबर। सरस आजीविका मेला 2023 का आज क्लोजिंग सेरोमनी के साथ विधिवत रूप से समापन हो गया। सरस मेले में इस वर्ष 12 करोड़ का कारोबार हुआ। मेले में आखिरी दिन लोगों की अच्छी खासी भीड़ लगी रही। दोपहर से लेकर देर रात तक लोगों ने मेले में जमकर खरीदारी की, साथ ही फूड कोर्ट में जायके का भी आनंद उठाया। आखिरी दिन व डिस्काउंट के कारण आज बंपर खरीदारी हुई। समापन समारोह के इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में ग्रामीण विकास मंत्रालय के अपर सचिव चरणजीत सिंह, संयुक्त सचिव स्मृति शरण, निदेशक राघवेंद्र प्रताप सिंह, राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) के सहायक निदेशक चिरंजी लाल कटारिया, अवर सचिव विनोद कुमार समेत मंत्रालय व एनआईआरडीपीआर के तमाम अधिकारी मौजूद रहे। समापन समारोह के दौरान जहां मेजबान राज्य हरियाणा सहित देश के विभिन्न राज्यों से आई हुईं स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली दीदी को अवार्ड से सम्मानित किया गया वहीं, देश भर के 28 राज्यों से आए हुए स्टेट कोआर्डिनेटर्स को भी सर्टिफिकेट देकर अच्छे प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया।

समापन समारोह के मौके पर अवार्ड के रूप में हेंडलूम के लिए असम की रीना हजारिका, पश्चिम बंगाल की नुरुनेस्सा बेगम व छत्तीसगढ़ की हेमलता को अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। साथ ही हेंडीक्राफ्ट के क्षेत्र में गुजरात की भावना बेग, राजस्थान की कमलेश व कर्नाटक की नरसामना को सम्मानित किया गया। फूड आइटम्स की अगर हम बात करें तो आंध्रप्रदेश की एन. सुनीथा, महाराष्ट्र की कृषि भूषण सुनन्दा पाटिल व पंजाब की मनजीत कौर को सम्मानित किया गया। वहीं, लाइव फूड में (फूड कोर्ट में) हिमाचल की ममता ठाकुर, केरल की श्रीदेवी व छत्तीसगढ़ की विद्या शाहू को अवार्ड दिया गया। जबकि स्टेट कोऑर्डिनेटर में बिहार के संदीप कुमार, गुजरात की सफुरा जफर व उत्तर प्रदेश की गुलनाज रतीक को सम्मानित किया गया। वहीं, इस इस पूरे कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए आर्च कांसेप्ट को भी धन्यवाद दिया गया।

ज्ञात हो कि राजधानी से सटे गुरुग्राम में ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) द्वारा हरियाणा सरकार के सहयोग से आयोजित सरस आजीविका मेला का आयोजन किया गया। 26 अक्टूबर से 11 नवंबर तक आयोजित होने वाले मेला भारत की विविधता और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाया। पहले दिन से लेकर आखिरी दिन तक इस मेले का आकर्षण लोगों को अपनी तरफ खींच लाया। यहां हर आयु वर्ग के लोग मेला देखने व खरीदारी करने आए।

गुरुग्राम के सेक्टर-29 स्थित लेजरवैली ग्राउंड में लगे इस मेले में देश के 28 राज्यों के 400 से अधिक स्टॉलों पर लोगों ने खरीदारी की। स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की महिलाओं की विशेष उपस्थिति वाला यह मेला महिला सशक्तिकरण की एक बेहतरीन मिसाल रही जहां न केवल वह अपना उत्पाद लेकर आईं बल्कि वह भारत की विविधता और अनेकता में एकता का संदेश भी दीं। सुबह 11 बजे से रात्रि 9.30 तक चलने वाले इस मेले में लोगों की खासी दिलचस्पी रही। दूसरी बार यह मेला गुरुग्राम में लगा। इस मेला में 28 राज्यों से आई स्वयं सहायता समूह की 800 दीदी अपनी कला एवं संस्कृति से जुड़े हस्तनिर्मित उत्पादों की स्टॉल लगाईं।

खाने के शौकीन लोगों के लिए खास रहा मेला

यह मेला देश के विभिन्न राज्यों के खाद्य उत्पाद के लिए भी जाना जाता है। जो लोग खाने के शौकीन हैं उनके लिए यह मेला खास रहा। यहां अलग अलग राज्यों के लाइव फूड स्टॉलों पर राज्यों के विविध व्यंजन लोगों को पसंद आया। यहां लोकप्रिय उत्पादों के अलावा स्वादिष्ट व्यंजन मिले और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से वहां की संस्कृति को जानने व समझने का भी पूरा अवसर मिला।

महिलाओं के लिए कार्यशाला भी हुईं
इस मेला में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के लिए रोजाना विभिन्न विषयों पर कार्यशाला भी आयोजित की गईं। ताकि वे अपने उत्पादों की बिक्री करने व मार्केटिंग का कौशल विकसित करके ज्यादा मुनाफा कमा सकें। पैकेजिंग, ब्रेंडिंग, बिजनेस प्रपोजल तैयार करने, सोशल मीडिया प्लैटफार्म का उत्पादों की मार्किटिंग में उपयोग करने, वित्तीय प्रबंधन से लेकर कई अन्य विषयों के बारे मे प्रशिक्षण दिया गया तथा महिलाओ को सीधे बाज़ार से जोड़ने हेतु बी-टू-बी व बी-टू-सी बैठके आयोजित की गईं।

मेला बच्चों के लिए भी रहा खास
इस मेले में देशभर से आए कलाकारों द्वारा अपने राज्य से जुड़ी सभ्यता व संस्कृति पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम तो प्रस्तुत हुए ही लेकिन यह मेला बच्चों के लिए भी खास रहा। मेले में छोटे बच्चों के साथ आने वाली माताओं व बुजुर्गों के विश्राम के लिए भी विशेष व्यवस्था की गई थी। मेले में बच्चों के खेलकूद व मनोरंजन के लिए भी संसाधन मौजूद रहे। इतना ही नहीं, क्रिकेट वर्ल्ड कप मैच के दौरान युवाओं के लिए बड़े स्क्रीनों पर मैच भी लगाया गया ताकि लोग मेले का भी आनंद ले सकें साथ ही मेले में रहकर मैच भी देख सकें।

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