भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। आज दीपावली का पर्व है और हिन्दू धर्म में यह सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। हर आदमी की धार्मिक आस्थाएं इससे जुड़ी हैं। यदि मैं यह कहूं कि केवल हिन्दू ही नहीं अपितु अन्य धर्मों के लोग भी इस पर्व में सम्मिलित होते हैं तो शायद अनुचित न होगा। इस पर्व को मनाने की अनेक मान्यताएं हैं। कोई इसे राजा राम से जोड़ता है तो कोई लक्ष्मी से। कुछ और भी किदवंतियां जुड़ी हैं इस पर्व को मनाने के बारे में परंतु यदि ध्यान से मनन किया जाए तो यह उभरकर आता है कि इस पर्व के साथ सच्चाई, निष्ठा, प्रेम, सौहार्द और स्वच्छता सभी जुड़े हैं इसलिए सभी समुदाय के लोग इसे मनाने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।

इस वर्ष हरियाणा में यह कैसी दीपावली आई जब सफाईकर्मी हड़ताल पर हैं, गली-कूचे और सड़कों पर गंदगी के अंबार लगे हैं। बाजारों में खरीददारों का अभाव है। अनेक समुदाय अपनी मांगों के लिए सड़कों पर हैं। ऐसे में इस वर्ष गत वर्षों के मुकाबले जनता में उत्साह की कमी नजर आती है। इस पर्व को राम के राजतिलक से भी जोड़ा जाता है, जो सच्चाई, ईमानदारी, न्याय और जनता की आवाज सुनने के लिए जाना-माना जाता है तथा इस वर्ष हरियाणा में देश में पांच प्रदेशों में हो रहे चुनावों की और आगामी 2024 के लोकसभा चुनावों की सरगर्मियां आरंभ हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए सत्य का दामन छोड़ असत्य बोल जनता को भ्रमाने के प्रयास में लगे हुए हैं। इसमें मैं सभी राजनैतिक दलों से क्षमा मांगते हुए पूछना चाहूंगा कि क्या वे भगवान राम के अनुरूप कार्य कर रहे हैं या घमंड में राजा रावण के अनुरूप?

दूसरा बड़ा प्रश्न यह है कि कौन-से धर्म में परनिंदा को उचित माना गया है? साथ ही जहां तक मेरी समझ कहती है कि दिवंगत आत्मा की निंदा करना तो घोर पाप की श्रेणी में आता है। इसके बाद धर्म में यह भी कहा गया है कि झूठ बोलने वाला मौत के ग्रास में चला जाता है। तो यदि इस बात को सत्य मान लिया जाए तो कितने राजनेता जीवित रह पाएंगे, या कालग्रास में चले जाएंगे यह उनके स्वयं मनन के लिए छोड़ता हूं। दीपावली सफाई का पर्व माना जाता है। हर व्यक्ति इस पर्व से पहले अपने घर और आसपास की सफाई में लग जाता है लेकिन इस वर्ष सफाईकर्मियों की हड़ताल, सरकार के दावे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहला अभियान स्वच्छता भारत अभियान था, उसको पलीते लगते नजर आ रहे हैं। और उसमें क्या कहें, किसकी गलती है?

लगता है यह सब लक्ष्मी प्राप्त करने के लिए ही हो रहा है। जानकारी के अनुसार सफाई के ठेकेदारों को पहले यह कहा जाता था कि आपको इतने आदमी रखने होंगे और सफाई करानी होगी लेकिन वर्तमान में सूत्रों के अनुसार आदमियों की संख्या की बंदिश हटा दी गई है। जिस कारण ठेकेदारों ने अपने आदमी काम से निकाल दिए और सरकार के पेरोल पर सफाईकर्मी शायद उन लोगों को देख और अपनी वर्षों की मांग देख वे भी हड़ताल पर चले गए। ऐसे में क्या कहा जाए कि यह किस कारण है? कुछ सुनने में आया कि इसके पीछे भ्रष्टाचार है। कहा जाता है कि भ्रष्टाचार ऊपर से शुरू होता है और क्रांति नीचे से। सोचिए…