गुडग़ांव, 1 सितम्बर (अशोक) : बिजली निगम द्वारा उपभोक्ताओं पर मीटर जांच के नाम पर बिजली चोरी के मामले समय-समय पर बनाए जाते रहे हैं और उन पर भारी-भरकम जुर्माना भी लगाया जाता रहा है और कनेक्शन न कट जाए, इस भय से
उपभोक्ता जुर्माने का भुगतान कर अदालत का दरवाजा भी खटखटाते रहे हैं।

अदालतों में चले इन मामलों में अधिकांश गलत ही पाए गए हैं और अदालतों द्वारा बिजली निगम को आदेश भी दिए जाते हैं कि जमा कराई गई जुर्माना राशि का ब्याज सहित उपभोक्ता को वापिस किया जाए। उपभोक्ताओं के मामलों की पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता क्षितिज मेहता का कहना है कि बिजली निगम अदालती आदेशों का पालन गंभीरता से नहीं करता। जब दालत बिजली निगम के बैंक अकाउंट को अटैच करने का आदेश देती है तो तभी उपभोक्ता को जमा कराई गई जुर्माना राशि ब्याज सहित मिल पाती है। उन्होंने कुछ मामलों का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले दिनों विभिन्न अदालतों ने उपभोक्ताओं के पक्ष में फैसला देते हुए बिजली निगम के बैंक अकाउंट को अटैच किया है।

इनमें से मुख्य हैं सैक्टर 39 की शकुंतला देवी। उन पर बिजली चोरी का आरोप लगाया गया था। जिसे अदालत ने गलत करार देते हुए बिजली निगम को आदेश दिया था कि उपभोक्ता को ब्याज सहित जमा की गई जुर्माना राशि को लौटाया जाए। लेकिन
बिजली निगम ने कोई ध्यान नहीं दिया। आखिर में अदालत को बिजली निगम का बैंक अकाउंट अटैच करना पड़ा, तब कहीं जाकर बिजली निगम ने उपभोक्ता को जमा की गई राशि का भुगतान किया। इसी प्रकार अशोक विहार की रोशनी देवी, भौंडसी गांव की निशा शर्मा व आईआरडब्ल्यूओ क्षेत्र की स्नेहलता दत्ता के बिजली चोरी के आरोप भी विभिन्न अदालतों ने गलत पाए, लेकिन फिर भी बिजली निगम ने उनकी जमा की गई राशि को वापिस नहीं किया। अंत में अदालतों द्वारा बिजली
निगम के बैंक अकाउंट अटैच करने के बाद ही उपभोक्ताओं को जमा कराई गई जुर्माना राशि ब्याज सहित बिजली निगम से मिल पाई। अधिवक्ता क्षितिज मेहता का कहना है कि इन सभी मामलों में बिजली निगम के खिलाफ मानहानि व ह्रासमेंट का केस डालने की तैयारियों में जुटे हैं।

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