भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में भाजपा लगी है और उसी की तैयारियों में केंद्रीय मंत्रियों की रैलियां की जा रही हैं। ऐसा माना जाता है कि भाजपा 2024 का चुनाव भी मोदी के नाम पर ही लड़ेगी और मोदी सरकार के 9 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में ये रैलियां भाजपा द्वारा बताई जा रही हैं परंतु प्रदेश की जनता समझ रही है कि यह 2024 की तैयारी है।

राजनैतिक चर्चाकारों में चर्चा है कि कहीं वह कहावत चरितार्थ न हो जाए कि दर्द बढ़ता गया, ज्यों-ज्यों दवा की। इसके पीछे का कारण बताते हैं कि एक बार अमित शाह की गोहाना रैली कैंसिल हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने जो जनसंवाद का कार्यक्रम बनाया था, उसमें वह सफल न हो सके तो जनसंवाद का प्रारूप संभ्रात लोगों तक सीमित कर दिया और वे संभ्रात लोग कौन होंगे, इसका अनुमान पाठक लगा सकते हैं। 

वर्तमान में आज भी आम आदमी पार्टी के नेता संवाददाता सम्मेलन कर बार-बार कह रहे हैं कि अमित शाह की रैली के चलते हमारे नेताओं को नोटिस दिए जा चुके हैं। ऐसी स्थितियों को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि रैलियां सरकार के लिए परीक्षा ही होंगी।

भाजपा सरकार के सभी मंत्रियों के कार्यक्रम इतने बने हुए हैं कि वह उन कार्यक्रमों में ही व्यस्त हैं। रैलियों के लिए समय कहां से निकालेंगे? दूसरी ओर भाजपा-जजपा गठबंधन टूटने की चर्चाएं जोरों पर हैं। यहां तक कि भाजपा के पूर्व शिक्षा मंत्री और कई बार अध्यक्ष प्रो. रामबिलास शर्मा भी कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को इस बात स्पष्टीकरण देना चाहिए।

एक कहावत है कि एक चावल देख पूरी कढ़ाई का अंदाजा लग जाता है तो भाजपा संगठन की बात करें तो गुरुग्राम में युवा मोर्चा लंबे समय से निष्क्रिय नजर आ रहा है। मोदी के 9 साल की उपलब्धियों के बीच भी उनकी कोई गतिविधियां नजर नहीं आई।

युवा मोर्चा ने कश्मीर फाइल्स तो अनेक लोगों को दिखाई थी लेकिन द केरला स्टोरी के समय भाजपा युवा मोर्चा दिखाई भी नहीं दे रहा, जबकि प्रदेश अध्यक्ष स्वयं द केरला स्टोरी देख संगठन को संदेश दिया था कि द केरली स्टोरी की ओर ध्यान दें।

इसी प्रकार आजकल भजापा के पन्ना प्रमुखों के चर्चा का कार्यक्रम चल रहा है। इसकी जिम्मेदारी विधायकों को दी गई है लेकिन गुरुग्राम में तो अब तक ऐसा कुछ नजर आया नहीं। कहने का तात्पर्य यह है कि संगठन बिखरा-बिखरा नजर आता है। 

राजनैतिक चर्चाकारों से चर्चा कर उपरोक्त स्थितियों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि ये रैलियां भाजपा के लिए परीक्षा होंगी।