कितलाना टोल पर धरने के 345वें दिन बाबा साहब डॉ भीमराव आंबेडकर को किये श्रद्धासुमन अर्पित

चरखी दादरी जयवीर फोगाट

6 दिसम्बर,सयुंक्त किसान मोर्चे के आह्वान पर चल रहे किसान आन्दोलन की बची मांगों के समाधान हेतु पांच सदस्यीय कमेटी सरकार से बातचीत करके इस दिशा में काम करेगी वहीं 07 दिसम्बर को आन्दोलन का शीर्ष नेतृत्व बैठक करके सारे हालात का जायजा लेत्ते हुए आगामी रूपरेखा तैयार करेगा। यह बात दलित अधिकार मंच के जिला संयोजक सुखदेव पालवास ने धरने को सम्बोधित करते हुए कही। वहीं कितलाना टोल पर चल रहे धरने पर बाबा साहब डा० भीमराव अम्बेडकर के 65वें परिनिर्वाण दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। उनके चित्र पर माल्यार्पण करते हुए उन द्वारा रचित संविधान  को बचाने की शपथ ली गई। सुखदेव पालवास ने कहा कि राजनीतिक आजादी तभी बच सकती है जब सामाजिक व आर्थिक आजादी हासिल कर ली जाएगी इसके लिए संघर्ष चल रहा है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब के प्रति सच्ची श्रद्धाजंलि यही होगी कि हम सभी मेहनतकश मिलकर जातिवाद, साम्प्रदायिकता के विरूद्ध संघर्ष करके मनुवादियों के मनसूबे सफल न होने दें।

धरने को सम्बोधित करते हुए इन्टक मजदूर यूनियन के दादरी जिला प्रधान सुशील धानक ने कहा कि हमें मजदूर किसान की एक व्यापक एकता बनाकर संघर्ष करके बाबा साहब द्वारा बताए गये रास्ते पर चल कर हमारे संविधान में दिए गए अधिकार हासिल करने हैं।

सांगवान खाप चालीस के प्रधान व दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने कहा कि हमारे समाज सुधारकों ने गरीब घरों से जन्म लेकर पूरी मानव जाति को रास्ते दिखाए हैं, हमें बाबा साहब अम्बेडकर द्वारा दिखाए रास्ते पर चल कर समाज में जड़ जमाए जातिवाद, धार्मिक कट्टरता, अंधविश्वास जैसी बुराईयों को संघर्ष करते हुए उखाड़ना होगा तभी हमारा समाज आगे बढ़ेगा।कितलाना टोल पर चल रहे धरने के 345वें दिन की अध्यक्षता सांगवान खाप चालीस से नरसिंह सांगवान डीपीई, सर्वजातीय श्योराण खाप पच्चीस से जगदीश हुई, किसान सभा से मास्टर शेरसिंह, दलित अधिकार मंच से राममेहर सिंह घुसकानी, रिटायर्ड कर्मचारी संघ से रामफल देशवाल, युवा कल्याण संगठन से सुभाष यादव, चौ० छोटूराम डा० अम्मेडकर मंच से बलबीर सिंह बजाड़, इन्टक मजदूर यूनियन से सुशील धानक, महिला किसान मोर्चा से रतनी डोहकी व सुशीला घणघस ने संयुक्त रूप से की। मंच संचालन किसान सभा के कामरेड ओमप्रकाश ने किया।

इस अवसर पर मास्टर ताराचन्द चरखी, राजसिंह बिरही, सुरजभान झोझू कन्नी प्रधान, सुरेन्द्र कुब्जानगर, कमल प्रधान, रणधीर घिकाड़ा  पृथ्वी नम्बरदार बिरही, जगराम सांगवान गुडाना, दिलबाग ढुल, सुबेदार सतबीर सिंह, समुन्द्र सिंह धायल, विजय जांगड़ा, रामसिंह प्रधान तिवाला, रामकिशन साहब चरखी, सुभाष दहिया बडेसरा, जयपाल जांगड़ा डोहकी, अब्बदुल खान, कर्णसिंह रासीवास, रामानन्द धानक, सुबेदार कंवरशेर चन्देनी, मास्टर सुरेन्द्र गोरीपुर शामिल थे।