Category: साहित्य

मैं सच्चे सुच्चे गीत लिखता हूं , नयी पीढ़ी को बहकाता नहीं : इरशाद कामिल

-कमलेश भारतीय आपने बहुत से गाने सुने होंगे । जैसे-दिल दीयां गल्लां , करांगे नाल नाल बैठ बैठ के ,,,जग घूमूयो थारे जैसा न कोई ,,,हवायें ले जायें जाने कहां,,,,,शायद…

गुरुग्राम का साहित्यिक गलियारा

डॉo सुरेश वशिष्ठ. गुरुग्राम मुझे याद आता है कि ओमप्रकाश आलोक, फूलचंद सुमन और रामानंद आनंद की तिगड़ी ने इस दिशा में अपना पहला कदम आगे बढ़ाया। हिंदी को प्रतिष्ठित…

सेक्टर-1 महाविद्यालय में हिन्दी एवं दूरदर्शन दिवस पर राज्य स्तरीय वेब संगोष्ठी का आयोजन

हिन्दी जनमानस की भाषा: डॉ. मिश्रा पंचकूला 15 सितंबर 2020। सेक्टर-1 स्थित राजकीय महाविद्यालय में हिन्दी और दूरदर्शन दिवस के अवसर पर मगलवार को हिन्दी और मीडिया विषय पर राज्य…

आईएएस की परीक्षा में हिंदी कोबढ़ावा दे सरकार:मुकेश शर्मा

गुरुग्राम।विश्व भाषा अकादमी (रजि.) के चेयरमैन मुकेश शर्मा ने यूपीएससी द्वारा ली जाने वाली आईएएस, आईपीएस आदि की परीक्षाओं में हिंदी को प्रोत्साहित करने की माँग की है।वे यहाँ विश्व…

हिंदी दिवस को श्राद्ध से न जोड़ा जाए : डाॅ मधुसूदन पाटिल

–कमलेश भारतीय हिंदी दिवस को श्राद्ध पक्ष से न जोड़ा जाए । शरद जोशी ने लिखा था कि श्राद्ध के दिनों में कौए को याद किया जाता है । ऐसे…

“हिन्दी आज रोजगार की भाषा बन चुकी है”

हिन्दी दिवस का आयोजन गुरुग्राम, 14 सितम्बर। “मन की भाषा, प्रेम की भाषा, हिन्दी है भारत जन की भाषा।“ ये विचार एसजीटी विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संकाय के…

हिंदी भाषा की लिपि में अंतर्निहित दार्शनिकता से कुछ तो सीखें

उमेश जोशी हिंदी दिवस पर ‘सुप्रभात’ के संदेश में हिंदी की महानता और वैज्ञानिकता को दर्शाती चार लाइनें मिली थीं। अपनी बात उन्हीं चार लाइनों से शुरू करता हूँ- “ऊँच-नीच…

लघुकथा : छलावा

डा. सुरेश वशिष्ठ, गुरुग्राम मुझे शास्त्र का ज्ञान नहीं परंतु अनुभव से समझता हूं–“परम-आत्मा जब देह सजाते हैं, तब सर्वप्रथम उसमें प्राण फूँकते हैं । अंतर्मन के भाव सूरत में…

हमारी मातृ भाषा हिंदी~जिस देश में हिंदी के लिए दबाव बनाना पड़ता है और 90% लोग अंग्रेजी में हस्ताक्षर करते हैं..

बंटी शर्मा सुनारिया हर साल हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन ही देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया…

मनुमुक्त ‘मानव’ ट्रस्ट द्वारा ‌अंतरराष्ट्रीय हिंदी-संगोष्ठी आयोजित दस देशों के विद्वानों ने किया हिंदी की प्रासंगिकता पर विचार-मंथन

— डॉo सत्यवान सौरभ, आज हिंदी विश्व की जरूरत बन गई है तथा हर देश भारत के साथ मैत्री संबंधों की खिड़की हिंदी भाषा के माध्यम से ही खोलना चाहता…

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