-कमलेश भारतीय आपने बहुत से गाने सुने होंगे । जैसे-दिल दीयां गल्लां , करांगे नाल नाल बैठ बैठ के ,,,जग घूमूयो थारे जैसा न कोई ,,,हवायें ले जायें जाने कहां,,,,,शायद कभी न कह सकूं मैं तुमसे ऐसे बहुत से फिल्मी गीत जो आप गुनगुनाते हैं । जानते हैं किसने लिखे ये प्यारे प्यारे गीत ?हमारे प्यारे दोस्त और दैनिक ट्रिब्यून के पुराने सहयोगी इरशाद कामिल ने । जब जब ये गीत सुनता हूं तब तब इरशाद की याद आ जाती है । मूल रूप से पंजाब के मालेरकोटला निवासी इरशाद कामिल ने ग्रेजुएशन वहीं के गवर्नमेंट काॅलेज से की । फिर पंजाब यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग से एम ए और डाॅ सत्यपाल सहगल के निर्देशन में पीएचडी की -समकालीन कविता : समय और समाज । यहीं से जर्नलिज्म की और अनुवाद में डिप्लोमा भी किया । शायद ही मुम्बई की फिल्मी दुनिया में कोई और इरशाद कामिल की तरह पीएचडी गीतकार हो । जनसत्ता में भी काम किया । -फिल्मों से नाता कैसे जुड़ा?-लेख टंडन जी की वजह से । वे चंडीगढ़ सीरियल कहां से कहां तक की शूटिंग के लिए आए थे । उनका राइटर किसी कारण आ न पाया तब किसी माध्यम से मुझे बुलाया और सीरियल लिखवाया । उन्हें मेरा काम पसंद आया । बस । इसके बाद वे मुझे मुम्बई ले गये । -शुरू में कैसे जुड़े ?-सीरियल्ज राइटिंग से । ज़ी , स्टार प्लस और सोनी के लिए लिखे । संजीवनी , छोटी मां और धड़कन आदि सीरियल्ज लिखे । -पहला गीत किस फिल्म के लिए गीत लिखा ?-पहला गीत लिखा इम्तियाज अली की फिल्म सोचा न था के लिए । चमेली के गाने भी लिखे । -अब तक कितने गाने फिल्मों के लिए लिख चुके ?-लगभग एक सौ से ऊपर गाने लिख लिए होंगे । -क्या फर्क है आपमें और दूसरों में ?मै पहल जैसी पत्रिका में भी प्रकाशित होता हूं और फिल्मों के लिए शुद्ध मनोरंजन वाले गीत भी लिखता हूं । शाहरुख खान , सलमान खान और रणबीर कपूर सहित कितने एक्टर मेरे गानों पर थिरक चुके हैं । -आपने जब पंजाब यूनिवर्सिटी को अपनी अम्मी बेगम इकबाल बानो की स्मृति में पंजाब यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग को राशि अर्पित की स्काॅलरशिप के लिए तब मैं वहीं था । उस समारोह में । आपके बड़े भाई ने कहा था कि आपको हिंदी ऑफिसर का फाॅर्म लाकर दिया था पर बने गीतकार । ऐसा क्या ? -बिल्कुल भारती जी । मैं संदेश देना चाहता हूं कि हरेक बच्चे को अभिभावक वह करने दें जो वह चाहता है । बच्चे को स्पोर्ट करना चाहिए न कि विरोध । सुरक्षा के माहौल में टेलेंट मर जाती है । सुरक्षा की कोई सीमा नहीं होती । -आपको कौन कौन से पुरस्कार मिले ?-तीन फिल्म फेयर पुरस्कार और शैलेंद्र सम्मान, साहिर लुधियानवी सम्मान और कैफी आजमी सम्मान । साहिर सम्मान पंजाबी यूनिवर्सिटी ने दिया और वहां भी उर्दू , फारसी व अरबी भाषा के लिए स्काॅलरशिप शुरू करने के लिए राशि दी है । पंजाबी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन है मेरी ।-चंडीगढ़ कितना याद आता है ? -जैसे विद्यार्थी जीवन में प्रेमिका । वह बाइस सेक्टर और पंद्रह सेक्टर । दोस्त मित्र । सब । पकवान के छोले भटूरे और गांधी भवन । बहुत कुछ । -सबसे मुश्किल गाना कौन सा रहा लिखने में?-हवा हवा ,,,दस दिन में लिख पाया जबकि आमतौर पर ज्यादा से ज्यादा तीन दिन ही लगाता हूं गाना लिखने में । मनस्थिति , धुन और संगीत निर्देशक का भी योगदान और ध्यान रखना पड़ता है । -इरशाद के प्रिय गीतकार कौन ?-साहिर लुधियानवी को रोमांस के फलसफे वाले गानों के लिए । शैलेंद्र के गीतों में मिट्टी की खुशबू आती है तो मजरूह सुल्तानपुरी टेक्निकली राइटर की वजह से अच्छे लगते हैं । -पत्नी यानी हमारी भाभी?-तस्वीर कामिल । वे थियेटर आर्टिस्ट हैं । -बच्चे कितने ?-एक ही बेटा कामरान कामिल । -आगे क्या ?-अच्छे सच्चे व सुच्चे गीत,लिखता रहूं ।हमारी शुभकामनाएं इरशाद कामिल को । Post navigation गुरुग्राम का साहित्यिक गलियारा लघुकथा – वीर अमर सिंह