डॉo सुरेश वशिष्ठ. गुरुग्राम वीर अमर सिंह इतिहास के पन्नों में वीर अमर सिंह का कहीं कोई जिक्र नहीं है । परंतु इसकी वीरता के जुबानी चर्चे हरियाणा की धरती पर खूब गाए जाते हैं । औरतों के सुरीले कंठ से वीर अमर सिंह की गाथा गांव-परगांव में बड़े भाव एवं उत्साह से सुनी जा सकती है । हरियाणा प्रदेश के रोहतक जिले में एक गांव है । सुुुनारिया नाम का गांव । वहीं उसका जन्म हुआ था । अंग्रेजी हुकूमत में यह मतवाला वीर मुलाजिम था । एक अंग्रेज अफसर मिस्टर मोर का वह चपरासी था । आजादी की लड़ाई में इसकी शहादत अविस्मरणीय है यह अंग्रेज अफसर हिंदू लड़कियों और महिलाओं पर बुरी नजर रखता था । उन्हें दबोचने के लिए मौके की तलाश में रहता था । किसी की सुन्दर लडकी को देखा नहीं कि उसके सैनिक उसे जबरन उठाकर ले आते थे । वह बहुत ही क्रूर और वहशी दरिन्दा था । एक दिन चपरासी अमर सिंह के सामने किसी लड़की को उठाकर लाया गया । लड़की भय से थर-थर कांप रही थी । मिस्टर मोर ने उसे बालों से पकडा और खींचकर अपने बैडरूम में ले जाने लगा । लडकी गिडगिडाए जा रही थी । अग्रेज पर उसके विलाप का कोई असर नहीं पड़ रहा था । वह तो जल्द से जल्द अपनी हवस को शांत करने की कोशिश मेंं था । अमर सिंह से यह देखा नहीं गया और उसने फरसे से अग्रेज अफसर मिस्टर मोर का सिर धड से अलग कर दिया । लड़की को साथ लेकर वह वहाँ से निकल पडा । इस प्रतिक्रिया में अंग्रेज सिपाहियों ने सुुुनारिया गांव को घेर लिया । अमर सिंह के खिलाफ आदेश पारित हुआ–“अमर सिंह खूनी है । उसे हमें सौंप दो ! वरना पूरे गांव को तोप के गोलों से तहस-नहस कर दिया जाएगा ।” संपूर्ण ग्रामवासी– महिलाएं, बच्चे, बड़े-बूढ़े– सभी अमर सिंह के समर्थन में उमड़ पड़े । अमर सिंह को देने से उन्होंने मना कर दिया । गांव में जुनून बढ़ने लगा । स्थिति को भांंपते हुए और ग्राम-वासियों की जान बचाने के पक्ष में वीर अमर सिंह ने आत्मसमर्पण कर दिया । ग्राम-वासी बेकाबू होने लगे । गोलियां चलने लगींं । बहुतो का खून बहा । अंग्रेजी फौज के आगे ग्राम-वासी बेबस भी हुए । अंग्रेज सिपाहियों ने वीर अमर सिंह को खम्बे से बांध दिया । उसके शरीर पर शीरा डाली और शिकारी कुत्तों को छोड़ दिया । शिकारी कुत्तों ने अमर सिंह के शरीर को चंदी-चंदी उधेडकर खा लिया । सैलाब उमडने लगा और ग्राम-वासी जुझते, मरते-गिरते रहे परन्तु जालिम अग्रेजों को जरा भी दया नहीं आई । कितने ही लोग रोते-बिलखते भी रहे और भारत माँँ की जय-जयकार करते रहे, फिर भी अंग्रेजों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा था । खून केे आखिरी कतरे तक वीर अमर सिंह ‘भारत माता की जय’ बोलता रहा । ग्राम-वासी भी धर्म और राष्ट्र की जय का गुंजार करते हुए शहीद होते रहे । मतवाला वीर अमर सिंह देश और धर्म की अस्मिता को बचाने में वीरगति को प्राप्त हुआ । ऐसे इस वीर क्रांतिकारी शहीद को शत-शत नमन है । Post navigation मैं सच्चे सुच्चे गीत लिखता हूं , नयी पीढ़ी को बहकाता नहीं : इरशाद कामिल हिसार के तेरह वर्षीय शिवम् सुरेश कुमार ने कोरोना संकट को को अपनी तूलिकाओं में सहेज रखा है.