Category: विचार

भीमराव अंबेडकर और आज: विचारों का आईना या प्रतीकों का प्रदर्शन?

डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भारत को एक समतामूलक, न्यायप्रिय और जातिविहीन समाज का सपना दिखाया था। उन्होंने संविधान बनाया, शिक्षा और सामाजिक न्याय को हथियार बनाया, और जाति व्यवस्था का…

जलियांवाला बाग: इतिहास नहीं, आज का आईना

जालियाँवाला बाग के अमर शहीदों को शत् शत् नमन। वो मरे नहीं थे, वो देश को जगा गए थे। श्रीमती पर्ल चौधरी 13 अप्रैल 1919—इस दिन को याद करना केवल…

“जयंती का शोर, विचारों से ग़ैरहाज़िरी” – “मूर्ति की पूजा, विचारों की हत्या” – “हाथ में माला, मन में पाखंड”

बाबा साहेब की विरासत पर सत्ता की सियासत, जयंती या सत्ता का स्वार्थी तमाशा? बाबा साहब के विचारों—जैसे सामाजिक न्याय, जातिवाद का उन्मूलन, दलित-पिछड़ों को सत्ता में हिस्सेदारी, और संविधान…

“लोकतांत्रिक भारत: हमारा कर्तव्य, हमारी जिम्मेवारी” जनतंत्र की जान: सजग नागरिक और सतत भागीदारी

(अंबेडकर जयंती विशेष) लोकतंत्र केवल अधिकारों का मंच नहीं, बल्कि नागरिकों के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का साझेधार भी है। भारत जैसे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में नागरिकों की भूमिका…

सत्ता, शहादत और सवाल: जलियांवाला बाग की आज की प्रासंगिकता

जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) केवल ब्रिटिश अत्याचार का प्रतीक नहीं, बल्कि आज के भारत में सत्ता और लोकतंत्र के बीच जटिल रिश्ते का प्रतिबिंब भी है। जनरल डायर द्वारा किए…

आज के दौर में भगवान महावीर के विचारों की प्रासंगिकता — एक नैतिक और आध्यात्मिक पुनर्जागरण की पुकार …..

आज के भौतिकवादी और असहिष्णु समय में भगवान महावीर के विचार पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हैं। उन्होंने अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय और ब्रह्मचर्य जैसे सिद्धांतों के माध्यम से आत्म-शुद्धि…

HPSC की PGT लेक्चरर भर्ती में ऑर्थो कोटे का फर्जीवाड़ा: क्या अब आयोग को मेडिकल बोर्ड गठित करना चाहिए?

-ऋषि प्रकाश कौशिक, गुरुग्राम हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) द्वारा आयोजित PGT (Post Graduate Teacher) लेक्चरर भर्ती में विकलांगता कोटे, विशेष रूप से ऑर्थोपेडिक (Ortho) श्रेणी के तहत फर्जीवाड़े के…

टैरिफ वार: ट्रंप ने चीन पर 104% टैरिफ लगाया, चीन ने भारत से मांगी मदद ….

दुनियाँ भर की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मची टैरिफ वार तमाम देशों के लिए मुसीबत बंना चीन अमेरिका से सीधा टकराव के मूड में है, तो भारत टैरिफ का ज़वाब टैरिफ…

जाति की जंजीरें: आज़ादी के बाद भी मानसिक गुलामी ! आस्था पेशाब तक पिला देती है, जाति पानी तक नहीं पीने देती। 

कैसे लोग अंधभक्ति में बाबा की पेशाब को “प्रसाद” मानकर पी सकते हैं, लेकिन जाति के नाम पर दलित व्यक्ति के छूने मात्र से पानी अपवित्र मान लिया जाता है।…

अरे बाप रे ! – पूरे विश्व का शेयर मार्केट लहूलुहान !

पूरे विश्व के शेयर बाजारों में हाहाकार ! भारत में चंद मिनट में 19 लाख करोड़ स्वाहा: भारतीय शेयर बाजार में जितनी बड़ी गिरावट 7 अप्रैल को 1 दिन में…

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