Tag: शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द

भगवान राम ने सबसे पहला कार्य यज्ञ रक्षा का किया: शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द

असम्भव को सम्भव बनाने एवं अपने अभीष्ट की सिद्धि का माध्यम यज्ञ यज्ञ का मन्त्र भाग ब्राह्मणों के पास है, तो हवि भाग गाय के पास यज्ञ वह कल्पवृक्ष है,…

यज्ञ विभाजित, असंगठित समाज को एकसूत्र में पिरोने का माध्यम: शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द

यज्ञ-महायज्ञ के माध्यम में सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण किया जाना संभव. यज्ञ-महायज्ञ, का भारतीय सनातन में वैदिक परंपरा का अनादी काल से महत्व. महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी…

धर्मस्थल हमारी आध्यात्मिक आस्था के केन्द्र: शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द

2019 में शिलान्यासित अकला देवी धाम के मन्दिर के लोकार्पण को नेपाल पहुंचे. समस्त सनातनियों को प्रतिदिन सपरिवार मन्दिर में निश्चित रूप से आना चाहिए. देव प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा…

आज ही ब्रह्मदेव ने सरस्वती का प्राकट्य किया: शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द

भारतीय ज्योतिष में हर घटना को पूर्ण वैज्ञानिक रूप से निरूपित करने की कला. माताएं इसी दिन अपने बच्चों को अक्षर ज्ञान आरंभ भी कराना शुभप्रद समझती. आज ही के…

राजसत्ता अपने पथ से भटके, सत्ता, धर्मसत्ता के हाथों उचित: शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द

सन्तों का मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बनना किसी भी दृष्टि से अनुचित नहीं. शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द ने दो टूक कहा कि राजनीति किसी की बपौती नहीं. सरकार देश में जिहाद की फैक्टरी…

माँ शक्ति के जो 9 रूप, वही हिन्दुओं की प्रमुख देवी: शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द

शाक्त सम्प्रदाय की मुख्य देवी , जिनकी तुलना परम ब्रह्म से की गई. अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली तथा कल्याणकारी. माँ शक्ति भिन्न-भिन्न रूपों में अपने…

भगवान परशुराम ने सत्ता मद में चूर सहस्त्रार्जुन का किया वध : शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द

पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम कहलाएभगवान परशुराम ने आरम्भिक शिक्षा महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचीक से प्राप्त कीपरशुराम शस्त्रविद्या के महान गुरु थे भीष्म, द्रोण, कर्ण को…

शिव, सृष्टि पालन, संहार, तिरोभाव और अनुग्रह में प्रवीण: शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द

आस्तिकता उसके दोनों नेत्र है, विश्वास ही उसकी श्रेष्ठ बुद्धि एवम् मन. शिवसम्पत ब्रह्मचर्य लोक, वहीं पाँच आवरणों से युक्त ज्ञानमय कैलास. काल चक्रेश्वर की सीमा जिसे कि विराट महेश्वरलोक…

धर्म का पालन केवल मानव देहधारी ही कर सकता है: शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द

ब्रहमांड में जननी के बाद केवल गाय ही सबसे पवित्र, पालनहार. आकाश और अवकाश के भेद का निराकरण नहीं हो सकता. मनुष्य और पशु की प्रकृति एवं प्रवृत्ति लगभग समान…

क्या जन्म और मृत्यु भी कभी टल सकती है ! : शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द

यह संभव नही तो फिर कर्मों को छोड़ देने से ही क्या होगा. माया के स्वभाव बल से ही सब कर्म अपने आप होते रहते. हमारा अपना जो स्वधर्म है…

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