ब्रहमांड में जननी के बाद केवल गाय ही सबसे पवित्र, पालनहार.
आकाश और अवकाश के भेद का निराकरण नहीं हो सकता.
मनुष्य और पशु की प्रकृति एवं प्रवृत्ति लगभग समान होती

फतह सिंह उजाला

गुरूग्राम। ज्ञानयोगियों द्वारा जो परम धाम प्राप्त किया जाता है, कर्मयोगियों द्वारा भी वही प्राप्त किया जाता है । इसीलिए वे दोनों एकरूप ही होते हैं । जिस प्रकार आकाश और अवकाश (खाली स्थान) के भेद का निराकरण नहीं हो सकता, उसी प्रकार योग और सन्यास की एकता के सम्बन्ध में भी समझ लेना चाहिए । जो सन्यास और योग का अभेद या एकता समझता हो, उसी के सम्बन्ध में  ऐसा समझना चाहिए, कि उसे सच्चा प्रकाश प्राप्त हुआ है, और उसी को आत्मस्वरुप के दर्शन हुए हैं। सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु भारत के विभिन्न स्थानों निकले श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज ने भिवण्डी में आयोजित धर्म सभा में उपस्थित सनातन धर्मावलम्बियों को अपना आशीर्वचन एवम् मार्गदर्शन प्रदान करते हुए यह बात कही। इस धर्म सभा का आरंभ शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द के द्वारा पवित्र दीप प्रज्जवलित करके किया गया।

शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द ने कहा “नर समान नहिं कवनिउ देही-जीव चराचर जाचत तेही । यह मानव शरीर बड़े़ ही भाग्य से प्राप्त होता है, इसलिए व्यक्ति को सदैव शास्त्रों द्वारा निर्दिष्ट मार्ग पर चलकर अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए अपने जीवन को सफल बनाने का प्रयास करना चाहिए। जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा मनुष्य और पशु की प्रकृति एवं प्रवृत्ति लगभग समान होती है। लेकिन धर्म का पालन केवल मानव देहधारी ही कर सकता है। इसीलिए कहा गया है कि बड़े़ भाग मानुष तन पावा। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति कर्मयोग के पैदल वाले रास्ते से मोक्ष-रूपी पर्वत पर चढ़ता है। वह  शीघ्र ही आत्मानन्द के शिखर पर पहुँच जाता है। सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु भारत भ्रमण के दौरान शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द ने विभिन्न गौशालाओं में विशेष रूप से पहुंचकर गौ पूजन करते हुए गौ के पालन सहित सरंक्षण का भी संदेश दिया। उन्होंने कहा कि इस ब्रहमांड में जननी के बाद केवल मात्र गाय ही सबसे पवित्र, पालनहार सहित कल्याणकारी प्राणी अथवा जीव है।

यहां धर्म मंच पर धर्म पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी नारायणानन्द तीर्थ महाराज, स्वामी अरुणानन्द महाराज, कमलेश शास्त्री, स्वामी अखण्डानन्द तीर्थ महाराज, स्वामी केदारानन्द तीर्थ महाराज, स्वामी बृजभूषणानन्द महाराज राजेश अनन्ता पाटिल, सुभाष अनन्या पाटिल सहित अन्य सन्त एवं विद्वत्जन विराजमान रहे।