कितलाना टोल पर धरने के 290वें दिन 18 अक्तूबर को रेल रोको आंदोलन को घोषणा

चरखी दादरी जयवीर फोगाट

10 अक्तूबर,तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसला लिया है कि 12 अक्टूबर को किसान शहीद दिवस मनाया जाएगा और दशहरे के अवसर पर अहंकार में भरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पुतले जलाए जाएंगे। यह जानकारी श्योराण खाप के प्रधान बिजेंद्र बेरला ने कितलाना टोल पर किसानों के अनिश्चितकालीन धरने को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने कहा कि इसी क्रम में 18 अक्टूबर को देश भर में सुबह 10 बजे से शाम को 4 बजे तक रेल रोको आंदोलन चलाया जाएगा और उसके बाद 26 अक्टूबर को लखनऊ में किसान महापंचायत आयोजित की जाएगी।

जनवादी महिला समिति की संतोष देशवाल ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान 650 से अधिक किसान शहादत दे चुके हैं उसके बावजूद भी किसान और मजदूर शांतिपूर्ण ढंग से अपने मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन सरकार है कि हठधर्मिता पर अड़ी है और किसानों से बात तक करने को राजी नहीं है। उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे लोग भूल गए हैं कि जिस कुर्सी पर वो बैठे हैं वह इसी जनता की बदौलत है। उन्होंने कहा कि देश के अन्नदाता, मजदूर, व्यापारी, कर्मचारी और जवान इस अपमान को कभी नहीं भूलेंगे और समय आने पर इस माकुल जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि तीन काले कानूनों के खिलाफ सब एकजुट होकर मजबूती से जनांदोलन में जुटे हैं और जीत हासिल करके रहेंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर कितलाना टोल पर धरने के 290वें दिन सांगवान खाप चालीस के सचिव नरसिंह सांगवान डीपीई, श्योराण खाप के बिजेंद्र बेरला, किसान सभा के ओमप्रकाश दलाल, चौधरी छोटूराम डॉ भीमराव आंबेडकर मंच के बलबीर बजाड़, जाटू खाप के मास्टर राजसिंह जताई, मीरसिंह नीमड़ीवाली, आजाद सिवाच, अनिल कुमार, अनुराधा चांग, लक्ष्मी डोहकी, संतरा, चन्द्रकला ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि सरकार ने नष्ट फसलों की ढंग से गिरदावरी नहीं की तो इसे सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने इस काम में तेजी लाने की मांग की।

धरने का मंच संचालन रणधीर घिकाड़ा ने किया। इस अवसर पर मास्टर ताराचंद चरखी, सुरजभान सांगवान, सुरेंद्र कुब्जानगर, सुशील धानक, कप्तान रामफल, चंद्र सिंह पैंतावास कलां, सज्जन सिंगला, सुखदेव पालवास, सुरेश डोहकी, नंदलाल अटेला, यादवेंद्र शर्मा, मुन्ना पंडित चरखी, परमजीत फतेहगढ़, सुशीला घणघस, राजबाला कितलाना, संजय मानकावास सूबेदार सत्यवीर इत्यादि मौजूद थे।

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