इंसान धन से गरीब नहीं, विचारों से गरीब होता है। जिसके विचार अच्छे है वो तो शाहों का शाह है।

दिनोद धाम जयवीर फोगाट

03 अक्टूबर – कुछ समय पहले के जीवन काल में यदि हम झांक कर देखे तो हम पाएंगे कि कितना सुनहरा समय था वो जब इंसान इंसान के काम आता था। इंसान के व्यवहार में सच्चाई और ईमानदारी रोम रोम में थी। आज तो इंसान भौतिकवादी हो गया है। पहले इंसान इंसान की ही बात को मानता था लेकिन आज तो इंसान सन्तो के वचन को ही नहीं मान रहा। आज जरूरत अपनी जड़ों से जुड़ने की है। सन्तो की शरणाई से हमारे दिलों में दया और प्रेम उपजेंगे जो भक्ति का मूल हैं। यह सत्संग वचन परमसंत सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज ने दिनोद धाम में स्थित राघास्वामी आश्रम में फरमाए।

हुजूर कंवर साहेब ने कहा कि आज सब स्वार्थ से भरे हुए हैं। पहले लाखों में कोई एक आध ही दुष्ट पापी होता था लेकिन आज तो दुष्टो के समूह मिलते हैं। आज इंसान पशुओं से भी बदतर जीवन जी रहा है। पहले वचन की कीमत थी। प्राण चले जाया करते लेकिन वचन से नहीं डिगते थे। आज तो पैसे के पीछे भाग कर इंसान सारी खुशियों को बर्बाद कर रहा है।

हुजूर महाराज जी ने फरमाया कि बड़ा इंसान बड़े काम करने से बनता है। इंसान को खुश नहीं कर सकते और दावा भगवान को खुश करने का करते हो। अपनी गठड़ी को संभालने की बजाए इंसान दूसरे की गठड़ी को टटोलने में लगा है। हम अपने संस्कार छोड़ कर पाश्चात्य संस्कृति की और जा रहे हैं। आज गद्दारी तो चहुं और मिल जाएगी लेकिन वफादारी बहुत कम मिलेगी। 

उन्होंने ने फरमाया कि इंसान धन से गरीब नहीं होता। इंसान गरीब होता है विचारों से। जिसके विचार अच्छे है वो तो शाहों का शाह है। विचार में बड़ी ताकत है। बुरे विचारों का अविलम्ब त्याग करो क्योंकि यही बुरे विचार आपकी आदत बन जाएंगे और एक दिन आप अच्छाई और बुराई में अंतर करना ही छोड़ देंगे। 

गुरु महाराज जी ने कहा कि सन्तो का सत्संग की आज के समय में सबसे ज्यादा आवश्यकता है। गुरु का वचन तभी काम करता है जब गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण कर दोगे। जो गुरु के प्रति द्रोह करता है उसको कहीं कोई ठौर ठिकाना नहीं है। चरित्रवान बनो, संस्कारी बनो क्योंकि कर्म आपके ही काम आएंगे। दुसरो की बुराई नहीं अच्छाई देखो। गुरुमुख केवल गुरु का पक्ष रखता है और मनमुख अपने मन को ही आगे करके चलता है।

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