तीन कृषि कानूनों के विरोध में कितलाना टोल पर जारी किसानों का धरना चरखी दादरी जयवीर फोगाट 09 सितंबर – धरती का सीना चीरकर अनाज उगाकर देश की जनता का पेट भरने वाला किसान लगभग दस माह से कितलाना टोल पर धरनारत्त है, लेकिन सरकार उनकी मांग सुनने की बजाए किसानों पर लाठियां बरसाकर उनकी आवाज को दबाना चाहती है, लेकिन किसान अब अपने हकों को लिए बिना घर वापिसी नहीं करेगा तथा सरकार किसानों को चाहे कितना भी प्रताडि़त कर ले, लेकिन जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं होगी, किसान ना तो डरेगा, ना झुकेगा और ना ही घर वापिसी करेगा। यह बात कितलाना टोल पर जारी किसानों के धरने को संबोधित करते हुए किसान नेता नरसिंह सांगवान डीपीई ने कही। वीरवार को धरने की अध्यक्षता सांगवान खाप से नरसिंह सांगवान, श्योराण खाप से विजेंद्र बेरला, फौगाट खाप से कुलदीप नंबरदार, युवा कल्याण संगठन से कमल सिंह प्रधान, अखिल भारतीय किसान सभा से मा. शेर सिंह, रिटायर्ड कर्मचारी यूनियन से रत्तन जिंदल, महिला शक्ति से कृष्णा राशीवास, बाला राशीवास, संतरा डोहकी, प्रेम कितलाना ने की। धरने को संबोधित करते हुए नरसिंह डीपीई ने कहा कि एक तरफ तो किसान कृषि कानूनों के विरोध में पिछले दस माह से धरनारत्त है, वही सरकार ने इसी विरोध के बीच भूमि अधिग्रहण का नया बिल लाकर किसानों का गला घोंटने का काम किया है और जब किसान इसका विरोध करता है तो अन्नदाताओं पर लाठियां बरसाई जाती है। कमल सिहं प्रधान ने कहा कि करनाल में किसानों पर लाठीचार्ज कांड देश का सबसे शर्मनांक कांड कहा जाता है, क्योंकि जिन नेताओं, अधिकारियों के आदेशों पर यह लाठीचार्ज हुआ है, वे यह बात भूल गए है कि उनकी थाली में भी जो रोटी है, वह भी किसानों की ही देन है। इसीलिए सरकार को यह बात समझनी चाहिए तथा किसानों को प्रताडि़त करने की बजाए तीन कृषि कानूनों को खत्म कर किसानों को उनका हक देना चाहिए।किसानों को संबोधित करते हुए युवा कल्याण संगठन के संरक्षक कमल सिंह प्रधान ने कहा कि सरकार ने नया भूमि अधिग्रहण बिल लाकर किसानों की ही जमीन को पूंजीपतियों के हवाले करने का षडय़ंत्र रचा जा रहा है, जिस षडय़ंत्र को किसान कभी भी पूरा नहीं होने देंगे तथा कृषि कानून रद्द होने तक धरने पर डटे रहेंगे। इस मौके पर धरने का मंच संचालन सुरेंद्र कुब्जानगर ने किया। इस मौके पर सूरजभान प्रधान, कप्तान चंदन, धर्मपाल अटेला, आजाद प्रधान, रामनिवास चरखी, मा. सुरेंद्र गौरीपुर, जयप्रकाश गौरीपुर, चांदीराम सिवाड़ा, महाबीर धनाना, नंदलाल अटेला, शमशेर पैतासकलां, थानेदार प्रेम, सुरेश डोहकी, सुबेदार सतबीर, कमल झोझू, कंवर सैन सांगवान, रतन कलाली, बलवान सरपंच डोहकी सहित अनेक किसान मौजूद रहे। Post navigation शिक्षा ही दिखाती है विकास की राह : शिखा यादव किसानों ने अब केंद्र सरकार के खिलाफ बनाया आर-पार की लड़ाई का मन : सोमबीर सांगवान